न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला
जमीन के लिए की थी दादा की हत्या, दोषी पोते और उसके दो साथियों को उम्रकैद
सोनीपत के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश देवेंद्र सिंह की अदालत ने गांव नई बसौदी में अपने दादा की गोली मारकर हत्या करने के मामले में सुनवाई करते हुए आरोपी पोते और उसके दो साथियों को दोषी करार दिया है। अदालत ने तीनों को उम्रकैद व 55-55 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना न देने पर 15 माह अतिरिक्त कैद की सजा भुगतनी होगी। दोषी पोते ने जमीन के विवाद में वारदात को अंजाम दिया था।
घर में घुसकर मारी थी गोली
गांव नई बसौदी निवासी इंद्रावती ने 6 मई, 2018 को पुलिस को बताया था कि उसके पति महासिंह (68) देर शाम घर पर थे। इसी दौरान उसका बड़ा पोता समुंद्र उर्फ मोनू अपने दो साथियों के साथ बाइक पर सवार होकर आया और अपने दादा के कमरे में घुसकर उन पर दो फायर किए। इसके बाद आरोपी वहां से भाग गया था। एक गोली लगने से घायल हुए महासिंह को सामान्य अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां से प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें पीजीआई, रोहतक रेफर कर दिया गया था। पुलिस ने मामले में इंद्रावती के बयान पर उसके पोते मोनू व दो अन्य पर हत्या की कोशिश का मुकदमा दर्ज किया था। बाद में पीजीआई रोहतक में महासिंह ने दम तोड़ दिया था। पुलिस ने मामले में हत्या की धारा जोड़ दी थी।
दो माह में दो बार किया था हमला
मोनू ने अपने दादा पर दो माह में दूसरी बार हमला किया था। इससे पहले 6 मार्च, 2018 की सुबह भी स्कूटी पर सवार होकर आए मोनू ने उन्हें गोली मार दी थी। हालांकि गोली लगने के बाद भी वह बच गए थे। पुलिस ने तब महासिंह के बयान पर मुकदमा दर्ज किया था। परिजनों ने बताया था कि सात एकड़ जमीन के लिए मोनू ने इंसानियत को शर्मसार कर दिया है। मोनू का पिता मुकेश महासिंह का अकेला बेटा था। मुकेश के पास मोनू व एक उससे छोटा बेटा है। मोनू सात एकड़ जमीन अपने नाम कराना चाहता था। इसके लिए उसके दादा ने मना किया था। इसी के चलते उसने दादा के प्रति रंजिश पाल ली और हत्या कर दी।
पुलिस ने आरोपी समुंद्र उर्फ मोनू को गिरफ्तार कर लिया था। उसके साथियों की पहचान गांव गुमड़ निवासी मोहित व गांव हसनपुर निवासी सचिन के रूप में हुई थी। पुलिस ने उन दोनों को गाड़ी लूट के आरोप में गिरफ्तार किया था। बाद में महासिंह हत्याकांड में प्रोडक्शन वारंट पर लिया गया था।
मामले में सुनवाई करते हुए एएसजे देविंद्र सिंह की अदालत ने तीनों को दोषी करार दिया। अदालत ने तीनों दोषियों को भादंसं की धारा 302 में उम्रकैद व 50-50 हजार रुपये जुर्माना तथा शस्त्र अधिनियम में तीन-तीन साल कैद व 5-5 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। दोनों सजा एक साथ चलेंगी। जुर्माना न देने पर 15 माह अतिरिक्त कैद की सजा भुगतनी होगी।