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चंडीगढ़। हरियाणा विधानसभा (Haryana Legislative Assembly) में विपक्ष के नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा (Former Chief Minister Bhupinder Singh Hooda) ने दावा किया है कि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस उम्मीदवारों (Congress candidates) को जबनदस्त समर्थन मिल रहा है और राज्य में कांग्रेस की ही सरकार बनेगी। हिमाचल प्रदेश में चुनाव प्रचार कर लौटे श्री हुड्डा आज यहां पत्रकारों से बातचीत में यह दावा किया। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में माहौल कांग्रेस के पक्ष में है। जनता भाजपा शासन में बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी की समस्याओं से परेशान हैं। ऐसे में उसने कांग्रेस को सत्ता में वापस लाने का मन बना लिया है। उन्हाेंने हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)-जननायक जनता पार्टी (जजपा) गठबंधन सरकार पर निशाना साधते हुये कहा कि राज्य में लगभग 50 हजार टन गेहूं खराब होने को बड़ा घोटाला बताया और दावा किया कि जानबूझकर गेहूं के रखरखाव में गड़बड़ी की गई है। यह अनाज करोड़ों लोगों के मुंह का निवाला बन सकता था लेकिन सरकार की लापरवाही और घोटाले की प्रवृत्ति ने सब बर्बाद कर दिया। उन्होंने इसके लिये जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है लेकिन साथ ही कहा कि सरकार से ऐसी उम्मीद करना बेमानी है, क्योंकि इससे पहले भी शराब घोटाले, रजिस्ट्री, धान खरीद, बिजली मीटर, भर्ती और पेपर लीक समेत अनेक घोटाले हो चुके हैं लेकिन सरकार ने कोई कार्रवाई की। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में दिखावे के नाम पर एसआईटी बना दी जाती है जिसकी रिपोर्ट तक कभी सामने नहीं आती। आदमपुर विधानसभा उपचुनाव परिणामों पर संतुष्टि जाहिर करते हुए श्री हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस ने मजबूती के साथ चुनाव लड़ा और अच्छा प्रदर्शन किया। पार्टी में व्याप्त गुटबाजी को लेकर उन्होंने कहा कि कांग्रेस पूरी तरह एकजुट है जबकि भाजपा में फूट नजर आ रही है। कांग्रेस के इक्का-दुक्का स्टार प्रचारक ही आदमपुर में नहीं पहुंचे, जबकि, भाजपा की ओर से केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत, कृष्णपाल गुर्जर तथा कई सांसद और अन्य नेता आदमपुर नहीं पहुंचे। पराली और प्रदूषण के मुद्दे पर उन्हाेंने कहा कि सरकार किसानों को पराली जलाने पर मजबूर कर रही है। सरकार ने बार-बार किसानों को पराली खरीदने और उसके निस्तारण के झूठे आश्वासन दिए, लेकिन हर सीजन में किसान असहाय नजर आते हैं। सरकार को पराली की समस्या के समाधान के लिए अपनी जिम्मेदारी को समझना होगा। सिर्फ किसानों के सिर पर ठीकरा फोड़ने से समाधान नहीं होगा।
Source : Uni India
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