मुख्यमंत्री : हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा जलविद्युत परियोजनाओं पर जल उपकर लगाने के फैसले के खिलाफ विधानसभा बजट सत्र में संकल्प पत्र पारित कराने वाली हरियाणा सरकार ने अब अपना विरोध केंद्र सरकार के समक्ष भी दर्ज करा दिया है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बुधवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि 1960 के सिंधु जल समझौते के तहत केंद्र के पास इस मामले में हस्तक्षेप के अधिकार हैं। कोई राज्य अकेले इस संदर्भ में फैसला नहीं कर सकता। इस संबंध में मनोहर लाल ने हिमाचल के सीएम सुखविंदर सुक्खू से फोन पर बात की है।
वर्तमान में हरियाणा को कुल 1325 मेगावाट बिजली हिमाचल प्रदेश के हाइड्रो प्लांट से मिलती है। इसमें से 846 मेगावाट बिजली भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी), 64 मेगावाट बिजली नाथपा झाकड़ी व एनएचपीसी के माध्यम से 415 मेगावाट बिजली मिलती है।
बीबीएमबी से वर्तमान में 59 पैसे प्रति यूनिट, नाथपा झाकड़ी से 2.36 रुपये यूनिट और एनएचपीसी से दो से ढाई रुपये प्रति यूनिट तक हरियाणा को देने होते हैं। यदि सेस लगता है तो प्रत्येक परियोजना पर एक रुपये कुछ पैसे प्रति यूनिट अधिक देना पड़ेगा। सेस से हरियाणा पर 336 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि उन्होंने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से भी बात की है। हिमाचल के सीएम का तर्क था कि हमने पानी पर कोई टैक्स नहीं लगाया, बल्कि हाइड्रो प्रोजेक्ट पर सेस लगाया है। मनोहर लाल ने कहा कि जल विद्युत परियोजना पर उपकर लगाने से बिजली महंगी होगी ही इसलिए यह सेस स्वीकार नहीं है।