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नई दिल्ली: हरियाणा के सूरजकुंड में 27 और 28 अक्टूबर को राज्यों के गृह मंत्रियों के दो दिवसीय 'चिंतन शिविर' में साइबर अपराधों के प्रबंधन के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र के विकास, आपराधिक न्याय प्रणाली में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) के इस्तेमाल में वृद्धि, महिला सुरक्षा, तटीय सुरक्षा और अन्य आंतरिक सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा की जाएगी. एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 'चिंतन शिविर' की अध्यक्षता करेंगे, जिसका मकसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस भाषण में घोषित 'विजन 2047' और 'पंच प्राण' के कार्यान्वयन के लिए एक कार्य योजना तैयार करना है. मोदी 28 अक्टूबर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये 'चिंतन शिविर' को संबोधित करेंगे.
बयान के मुताबिक, 'चिंतन शिविर' में साइबर अपराधों के प्रबंधन के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र के विकास, पुलिस बलों के आधुनिकीकरण, आपराधिक न्याय प्रणाली में आईटी के इस्तेमाल में वृद्धि, महिला सुरक्षा, तटीय सुरक्षा, भूमि सीमा प्रबंधन और अन्य आंतरिक सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा की जाएगी. '2047 तक विकसित भारत' के लक्ष्य को हासिल करने के लिए 'नारी शक्ति' की भूमिका महत्वपूर्ण है और महिलाओं की सुरक्षा और उनके लिए एक सुरक्षित वातावरण बनाने पर विशेष जोर दिया जाएगा. सम्मेलन का उद्देश्य उपरोक्त क्षेत्रों में राष्ट्रीय नीति निर्माण और बेहतर योजना एवं समन्वय की सुविधा प्रदान करना भी है. 'चिंतन शिविर' में छह सत्रों में विभिन्न विषयों पर चर्चा की जाएगी. शिविर के पहले दिन होमगार्ड, नागरिक सुरक्षा, आग से सुरक्षा और शत्रु संपत्ति आदि कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श होगा. वहीं, दूसरे दिन साइबर सुरक्षा, मादक पदार्थों की तस्करी, महिला सुरक्षा और सीमा प्रबंधन जैसे अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जाएगी. चिंतन शिविर में मादक पदार्थों की तस्करी विषय को लेकर एनडीपीएस अधिनियम, एन्कॉर्ड, निदान और नशामुक्त भारत अभियान पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा. इसके अलावा, भूमि सीमा प्रबंधन और तटीय सुरक्षा विषयों के तहत सीमाओं की सुरक्षा और सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास पर चिंतन किया जाएगा.
शिविर में इंटर-ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (आईसीजेएएस), क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम्स (सीसीटीएनएस) और एनएएफआईएस, आईटीएसएसओ और एनडीएसओ तथा क्राई-मैक जैसे आईटी मॉड्यूल का उपयोग करके प्रौद्योगिकी-आधारित जांच द्वारा दोषसिद्धि दर बढ़ाने पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा. इसके अलावा, सेफ सिटी प्रोजेक्ट, 112 एकल आपात प्रतिक्रिया प्रणाली, जिलों में मानव तस्करी-रोधी इकाई, पुलिस थानों में महिला हेल्प डेस्क और मछुआरों के लिए बायोमेट्रिक पहचान पत्र जैसी पहलों पर भी चर्चा की जाएगी. विभिन्न विषयों पर आयोजित सत्रों का मकसद इन मुद्दों पर राज्य सरकारों की सहभागिता को प्रोत्साहित करना है. चिंतन शिविर में सभी राज्यों के गृह मंत्री, केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल को आमंत्रित किया गया है.
Admin4
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