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चरखी। डीएपी के बाद अब यूरिया खाद की किल्लत से किसानों की चिंता बढ़ने लगी है। इस समय गेहूं की बिजाई में डीएपी व सरसों की पहली सिंचाई पर यूरिया खाद की जरूरत है, लेकिन खाद नहीं मिलने से किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। महिलाएं चूल्हा-चौका और बच्चे स्कूल जाने की बजाए खाद के लिए लाइनों में लगने पर मजबूर हो गए हैं। इतना ही नहीं बल्कि किसानों को खाद के साथ जबरदस्ती कीटनाशक दवाएं थमाई जा रही हैं। ऐसे में खाद के साथ कुछ नहीं बेचने व पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध होने के सरकार के दावे हवाई साबित हो रहे हैं। किसानों का कहना है कि सुबह से खाद के लिए घंटो लाइन में खड़े रहने के बाद भी उन्हें यूरिया नहीं मिल पा रही है।
बता दें कि सरसों व गेहूं की सिंचाई का समय आ गया है। सिंचाई के बाद खेत में नाइट्रोजन की पूर्ति के लिए यूरिया खाद का छिड़काव करना होता है। ऐसे में किसान खाद के लिए केंद्रों पर पहुंच रहे हैं। इसके बावजूद खाद नहीं मिलने से किसानों को अपनी फसल की चिंता भी सताने लगी है। किसानों के साथ-साथ महिलाएं व बच्चे भी खाद के लिए अल सुबह से लाइनों में लगने को मजबूर हैं। कई खाद केंद्रों पर तो किसानों की भीड़ को देखते हुए पुलिस पैहरे में खाद का वितरण किया गया। खाद के साथ कीटनाशक दवा देने पर किसानों ने विरोध जताया और कहा कि सरकार के आदेशों के बाद भी किसानों को जबरदस्ती कीटनाशक व अन्य दवाएं दी जा रही हैं। किसान संजय कुमार, धर्मसिंह, सचिन फौगाट, राम सिंह इत्यादि ने कहा कि लगातार कई दिनों से लाइनों में लगने के बावजूद काफी मशक्कत के बाद खाद मिल पा रहा है। जरूरत के अनुरूप भी किसानों को पूरा खाद नहीं दिया जा रहा है।
वहीं खाद विक्रेता जयवीर ने बताया कि इस समय उनके पास खाद के करीब 850 बैग पहुंचे हैं, जो प्रत्येक किसान को दो-दो बैग दिए जा रहे हैं। इस समय किसानों की मांग के अनुरूप करीब 20 हजार हजार यूरिया खाद के बैग की डिमांड है। जो खाद आ रहा है वह किसानों को वितरित किया जा रहा है। किसानों को खाद के साथ कोई कीटनाशक दवा नहीं दी गई है।
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