भारत के करीब 80 लाख गरीबों तक पहुंचने वाला गेहूं सरकारी गोदाम में रखे-रखे खराब हो गया है. हरियाणा के सरकारी गोदामों में 42 हजार मीट्रिक टन गेहूं बीते दो सालों में बारिश की वजह से सड़ गया. मामले में अब भारतीय खाद्य निगम (FCI) और हरियाणा खाद्य आपूर्ति विभाग एक-दूसरे पर इसकी जिम्मेदारी थोप रहे हैं. एनडीटीवी संवाददाता ने कैथल पहुंचकर इस मामले की तफ्तीश की. सरकारी गोदामों में गेहूं के सड़ने की कहानी की शुरुआत कैथल के पुंडरी के खुले सरकारी गोदाम से शुरु होती है. यह गोदाम खराब हो चुके गेहूं के बोरों से भरा पड़ा है. कुछ तो इतने खराब हो चुके हैं कि वो मिट्टी में मिल चुके हैं. तमाम ऐसे खराब गेहूं के बोरे रखे हैं जिन्हें अब कीड़े भी नहीं खा रहे. खुले आसमान के नीचे रखे इन खराब गेहूं के बोरों को मीडिया की नजर से बचाने के लिए तिरपाल से ढक दिया गया है, लेकिन तिरपाल के अंदर रखे गेहूं के बोरों में पौधे तक उग आए हैं. यहां 3200. मीट्रिक टन गेहूं खराब हो चुका है.
ये गेहूं दो साल से इसी तरह रखे हैं. स्थानीय पत्रकार सुनील रवीश बताते हैं, "ये हरियाणा सरकार का गोदाम है जहां रबी और खरीफ की फसल के लिए खरीद होती है. वैसे तो हर साल सड़ता है लेकिन इस पर ज्यादा अनाज सड़ा है. कैथल के सरकारी गोदाम में गेहूं खराब होने की ये शुरुआत भर है. हम आगे बढ़े तो 5 किमी दूर गेहूं का एक दूसरा सरकारी गोदाम मिला जहां FCI की एक टीम, खराब हो चुके गेंहू को जांचने पहुंची थी. इस गेहूं को कौड़ियों के भाव यानि 2 रुपए किलो से लेकर 12 रुपए किलो तक दे दिया जाता है.
हरियाणा फूड डिपार्टमेंट के लोगों को FCI पत्र लिखता रहा कि आप रखरखाव ठीक करें, गेंहू खराब हो रहा है. FCI के मैनेजर रामअवतार से बातचीत की कि आप केवल पत्र लिखते रहे और यहां गेहूं खराब होता रहा तो उनका जवाब था कि ये गेहूं 2021 का है. हमने पत्राचार के अलावा गेहूं भी उठाते रहे. अब सवाल यह है कि इसकी जवाबदेही किसकी है. चूंकि इंसान ये गेहूं नहीं खा सकता है इसलिए हम सेंट्रल पूल में इसे शामिल नहीं कर सकते हैं. ये हरियाणा फूड सप्लाई विभाग की गलती है. वैसे, यह कहकर क्या FCI अपनी जिम्मेदारी से बच सकती है.
जवाब है नहीं. कैमरे के सामने तो नहीं लेकिन गेहूं खराब होने वाले गोदाम इंचार्ज से जब हमने फोन पर बात की तो उनका कहना था कि ये गेहूं छह महीने के लिए रखा गया था. FCI ने इसको समय रहते नहीं उठाया. NDTV के पास हरियाणा खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता विभाग का एक पत्र है जिसमें खराब गेहूं को कौड़ियों के भाव नीलाम करने का जिक्र है इसके मुताबिक, कुरुक्षेत्र में 24624 मीट्रिक टन, कैथल में 11794 मीट्रिक टन, करनाल में 6587 मीट्रिक टन जबकि फतेहाबाद में 216 मीट्रिक टन ऐसा गेहूं है.अब कैथल की जिलाधिकारी ने इस मामले में एक जांच कमेटी गठित की है
कैथल की डिप्टी कलेक्टर डॉ. संगीता तेतरवाल ने कहा, "गेहूं के खराब होने का संज्ञान आया है. इस मामले में एक तीन सदस्यीय कमेटी बनाई गई है जो जांच करेगी. जानकारी के अनुसार, चार जिलों का कुल 42 हजार मीट्रिक टन गेहूं इस साल खराब हो चुका है. कुल करीब 82 करोड़ के खराब हो चुके इस गेहूं को 5 किलो के हिसाब से सरकार गरीबों को बांटती तो इससे 70 लाख से ज्यादा लोगों को गेहूं मिल सकता था. अब लापरवाही बताती है कि देश में अनाज का सरप्लस उत्पादन होने के बावजूद हम भुखमरी के इंडेक्स में 100 नंबर के बाद क्यों हैं?