हरियाणा
एससी विद्यार्थियों को मुफ्त कोचिंग के नाम पर 20 करोड़ का घोटाला
Kajal Dubey
27 July 2022 6:07 PM GMT
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हरियाणा में 11 साल पहले बंद हो चुकी एससी विद्यार्थियों की मुफ्त कोचिंग योजना में करोड़ों का घोटाला हुआ है। तकनीकी शिक्षा, एससी-बीसी कल्याण विभाग के कुछ अधिकारियों और कोचिंग केंद्र के निदेशकों ने विद्यार्थियों के नाम फर्जी दिखाकर घोटाले को अंजाम दिया। जांच में लगभग 20 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितता पकड़े जाने के बाद राज्य सतर्कता ब्यूरो ने 14 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।
तकनीकी शिक्षा विभाग ने आठवीं और दसवीं कक्षा में पास एससी विद्यार्थियों के लिए 2008 से 30 मार्च 2011 तक एआईईई (ऑल इंडिया इंजीनियरिंग एग्जामिनेशन एंट्रेंस) और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए मुफ्त कोचिंग योजना शुरू की थी। ग्वालियर स्थित निजी कोचिंग केंद्र को कोचिंग के लिए चुना गया, जिसकी एक शाखा चंडीगढ़ में भी है।
तकनीकी शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बिना जांच पड़ताल के 15.88 करोड़ में से 14.60 करोड़ रुपये चंडीगढ़ स्थित कोचिंग संस्थान के परियोजना निदेशक और 1.28 करोड़ रुपये ग्वालियर शाखा को दिए। तकनीकी शिक्षा और एससी-बीसी कल्याण विभाग के अधिकारियों ने रिकॉर्ड को जांचा ही नहीं कि जिन विद्यार्थियों के नाम पर राशि जारी की जा रही है, उन सभी ने कोचिंग ली है या नहीं। विजिलेंस ने जिन लोगों पर मामला दर्ज किया है, उनमें दो विभागों और कोचिंग केंद्र के निदेशक शामिल हैं। जांच के बाद धोखाधड़ी, जालसाजी, सबूत मिटाने, आपराधिक साजिश और आपराधिक साजिश रचने के आरोप में दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज की गई हैं।
14 जुलाई को दर्ज एफआईआर में यह आया सामने
14 जुलाई को दर्ज एफआईआर में कोचिंग केंद्र और तकनीकी शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर अनियमितता का आरोप है। 30 मार्च 2011 को कोचिंग बंद की गई और तकनीकी शिक्षा विभाग के तत्कालीन उप निदेशक ने 31 मार्च 2011 को एक ही दिन में कोचिंग केंद्र को करोड़ों रुपये का भुगतान कर दिया।
भुगतान में विभाग के डिस्पैच नंबर का उपयोग नहीं किया गया। नीलोखेड़ी के पॉलिटेक्निक कॉलेज के प्राचार्य ने भी नियमों को ताक पर रखकर भुगतान की मंजूरी भेज दी। जिस दिन मंजूरी दी गई, कोषागार से भुगतान भी उसी दिन करा दिया। इस एफआईआर में तत्कालीन उपनिदेशक, प्राचार्य और ग्वालियर स्थित कोचिंग केंद्र के तीन तत्कालीन निदेशकों और चंडीगढ़ स्थित केंद्र के परियोजना निदेशक, एक अन्य कर्मी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
विद्यार्थी ने जांच में कहा, नहीं ली कोचिंग, 100 करोड़ तक पहुंच सकता है घोटाला
विजिलेंस की 22 जुलाई को दर्ज एफआईआर में एससी-बीसी कल्याण विभाग के अधिकारी जांच के घेरे में हैं। चंडीगढ़ स्थित कोचिंग केंद्र को 720 विद्यार्थियों की कोचिंग के लिए राशि दी गई। जांच में एससी-बीसी कल्याण विभाग सिर्फ 44 विद्यार्थियों का ब्योरा ही दे सका। जबकि एआईईई की 720 विद्यार्थियों को कोचिंग के लिए 2.55 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
विभाग ने जिन 44 विद्यार्थियों का ब्योरा दिया, उनमें से 10 से विजिलेंस ने पूछताछ की। उसमें विद्यार्थियों ने कहा कि उन्होंने कोई कोचिंग नहीं ली है। एससी-बीसी विभाग ने 2599 एससी विद्यार्थियों को अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग नाम पर भी करोड़ों की राशि जारी हुई दिखाई है। विजिलेंस जांच में विभाग मात्र 123 विद्यार्थियों का रिकॉर्ड प्रस्तुत कर सका। विजिलेंस ने उनसे भी पूछताछ की, जिसमें से 33 ने कहा कि उन्होंने कोई कोचिंग नहीं ली है। आने वाले दिनों में विजिलेंस जांच के आधार पर यह घोटाला 100 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।
Kajal Dubey
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