जनता से रिश्ता वेबडेस्क | अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पीएन गोस्वामी की अदालत ने आठ मई को वीके सक्सेना को नर्मदा बचाओ आंदोलन की कार्यकर्ता मेधा पाटकर पर कथित तौर पर हमला करने के मामले में राहत देने से इनकार कर दिया।
अहमदाबाद की एक अदालत से दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना को झटका लगा है। अदालत ने सक्सेना की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उनके खिलाफ मारपीट के एक मामले में उनके पद पर रहने तक मुकदमे को स्थगित रखने का अनुरोध किया गया था। अदालत ने कहा कि ऐसा करके गुजरात की अदालतों में लंबित मामलों को बढ़ाना नहीं चाहते हैं।
अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पीएन गोस्वामी की अदालत ने आठ मई को वीके सक्सेना को नर्मदा बचाओ आंदोलन की कार्यकर्ता मेधा पाटकर पर कथित तौर पर हमला करने के मामले में राहत देने से इनकार कर दिया। आदेश की प्रति शुक्रवार को उपलब्ध कराई गई।
यह मामला उस समय का है जब मेधा पाटकर अप्रैल 2002 में गुजरात दंगों के खिलाफ गांधी आश्रम में शांति बैठक कर रही थीं, तब एक समूह ने उनपर हमला किया था जिसमें सक्सेना भी शामिल थे। पाटकर ने शहर के साबरमती पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी।
अदालत ने कहा कि यह मामला 2005 से चल रहा है यानी 18 साल हो गए और यदि आरोपी के खिलाफ मुकदमा निलंबित कर दिया जाता है, तो इसमें और समय लगेगा साथ ही स्वाभाविक रूप से यह मामला कई वर्षों तक लंबित रहेगा। इससे केवल गुजरात न्यायपालिका में लंबित पुराने मामलों की संख्या बढ़ेगी।