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जशपुर। जिला चिकित्सालय के मातृ व शिशु अस्पताल में विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया गया। इस अवसर पर सी.एम.एच.ओ. डॉ. रंजीत टोप्पो, जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. आर.एस. पैंकरा, डॉ. ममता सिंह पैथोलॉजिस्ट, राजेश कुरील जिला अस्पताल सलाहकार, मनीषा कुजूर प्रभारी मीडिया अधिकारी, बीएससी नर्सेस टेªनिंग सेंटर के ट्यूटर मैडम व स्टूडेंट अरुणा सिंह एएनएम, अनिता सिंह एएनएम उपस्थित थे। सी.एम.एच.ओ ने सर्वप्रथम हेपेटाइटिस बी का टीका लगाकर सबको टीका लगवाने की अपील की गई। इसके पश्चात जिला टीकाकरण अधिकारी व बीएससी नर्सेस ट्रेनिंग सेंटर की छात्राओं का बारी-बारी से टीकाकरण किया गया। इस दिन जिला चिकित्सालय में कुल 71 लोगों को हेपेटाइटिस बी का टीका लगाया गय। डॉ. ममता सिंह पैथोलॉजिस्ट के द्वारा हेपेटाइटिस के प्रकार, लक्षणों इत्यादि के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। इस दौरान बीएससी नर्सेस ट्रेनिंग सेंटर की छात्राओं के लिए भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिला टीकाकरण अधिकारी की ओर से जानकारी दी गई कि हेपेटाइटिस लिवर से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है, जिसे प्रति लोगों को जागरूक करने से मकसद से हर साल 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया जाता है। यह दिन नोबेल-पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक डॉ. बारूक ब्लमबर्ग के जन्मदिवस के मौके पर मनाया जाता है।
जिन्होंने हेपेटाइटिस बी वायरस (एचबीवी) की खोज की थी और इस वायरस के लिए एक परीक्षण और टीका विकसित किया था। हेपेटाइटिस लिवर में होने वाली सूजन है, जो वायरस, शराब के सेवन, विषाक्त पदार्थों या कुछ दवाओं सहित विभिन्न कारकों के कारण हो सकती है। हेपेटाइटिस कई प्रकार के होते हैं, लेकिन सबसे आम वायरल हेपेटाइटिस है, जो एक विशेष वायरस के कारण होता है। हेपेटाइटिस के लक्षण संक्रमण के प्रकार और गंभीरता के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। हेपेटाइटिस ए.बी.सी.डी व ई पांच प्रकार का होता है। इनमें बी और सी सबसे खतरनाक होते हैं और इन्हें क्रॉनिक हेपेटाइटिस माना जाता है। ई ज्यादा खतरनाक नहीं होते। भारत में हेपेटाइटिस एक प्रमुख हेल्थ प्रॉब्लम बना हुआ है। इसमें हेपेटाइटिस बी सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाली बीमारी है। भारत के 3 से 5 प्रतिशत लोग हेपेटाइटिस बी के संक्रमण से जूझ रहे हैं। आसान शब्दों में इसे लिवर में हेपेटाइटिस वायरस (एच.बी.व्ही) का इन्फेक्शन कह सकते हैं। यह कैसे फैलता है : यह वायरस खून, असुरक्षित सेक्स, दूसरों के उपयोग की गई सूई के अलावा मां से उसके नवजात बच्चे में भी फैलता है। इसके सामान्य लक्षणों में निम्न शामिल हैं- थकान और कमजोरी, त्वचा और आँखों का पीला पड़ना, पेट में दर्द और बेचौनी, मतली और उल्टी, भूख की कमी, गहरे रंग का यूरिन, हल्के रंग का मल, जोड़ों का दर्द, बुखार। मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी की ओर से अपील की गई है, कि उपरोक्त किसी भी तरह के ऐसे कोई भी लक्षण होने पर डॉक्टर से सम्पर्क करें।
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Shantanu Roy
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