रायपुर। प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता मोहम्मद असलम ने कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा किए गए मंत्रिमंडल विस्तार से स्पष्ट हो गया है कि इस तानाशाह सरकार की बिदाई सुनिश्चित है। इसकी शुरुआत उत्तरप्रदेश के योगी सरकार से प्रारंभ हो जाएगी, जो देश की मोदी सरकार में जाकर समाप्त होगी। केवल हुक्म बरदारों को सरकार का चेहरा बना देने से और सब कुछ बदल डालने की प्रवृत्ति से सरकार की छवि पर कोई अंतर पड़ने वाला नहीं है। मोदी सरकार का जो चेहरा पर्दाफाश हो चुका है, उसे तानाशाह केंद्र सरकार नहीं धो पाएगी। साफ सुथरा कपड़ा पहन लेने से दाग धुलने वाला नहीं है। कथनी और करनी का अंतर देश भोग चुका है, चुनाव जीतने तथा सत्ता में बने रहने के लिए अपनाए जाने वाले हथकंडा को लोग समझ चुके हैं। लालच, दबाव देकर तथा पार्टियों में तोड़फोड़ करके शासन हथियाने की प्रवृत्ति भी उजागर हो गई है। केंद्र सरकार के कारनामों को ढाक पाना अब नामुमकिन है, चाहे इसके लिए कितना ही प्रयास क्यों न कर लिया जाए।
इतिहास गवाह है कि तानाशाह सरकार ज्यादातर नौकरशाहों के जरिए अपनी तानाशाही थोपने का प्रयास करती है परंतु यह भी कटु सत्य है कि राजनीतिक योग्यता और नौकरशाही की योग्यता में काफी अंतर होता है उनकी सोच विचार कार्यशैली में फर्क होता है। सरकार की नीतियों से जाहिर है देश की जनता कंगाल हो रही है और उन्हें निरंतर लूटने का क्रम जारी है, अच्छे दिनों के इंतजार में बुरे से बुरा दिन देख चुके लोगों के बर्दाश्त की सीमा खत्म हो चुकी है।
प्रवक्ता मोहम्मद असलम ने कहा की सच्चाई तो यह है कि देश में सत्ता का फेरबदल होना चाहिए किंतु लोकतंत्र का तकाजा है और मतदाताओं की विवशता कि केंद्र सरकार को अभी 3 वर्षों तक भोगना ही पड़ेगा? छत्तीसगढ़ देश का इकलौता राज्य है जो किसानों के साथ-साथ अन्य वर्गों की भलाई के लिए सतत काम कर रही है। क्या देश में इस तरह के कार्यों के लिए कदम नहीं उठाए जाने चाहिए? आज किसानों, महिलाओं, बेरोजगारों, गरीबों, छोटे व्यवसायियों, लघु व्यापारियों को सड़क पर खड़े होने के लिए मजबूर कर दिया गया है। कमरतोड़ महंगाई ने जीना दुश्वार कर दिया है और तानाशाह केंद्र सरकार केवल अपने उद्योगपति मित्रों की भलाई करने और उनके विकास को लेकर चिंतित है।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता मोहम्मद असलम ने कहा है कि ना देश की सीमाएं सुरक्षित है और ना ही देश की संपत्तियों और धरोहरों की सुरक्षा की जा रही है। सामाजिक मान्यताएं तार-तार हो रही है, महंगाई आसमान छू रही है, रोजगार के अवसर को समाप्त कर दिया गया है। भाई-चारा खत्म हो रहा है और वैमनस्यता चरम पर है। क्या महात्मा गांधी और हमारी पीढ़ियों के सपनों का यही भारत है? क्या आजादी के लिए लाखों लोगों ने इसी दिन के लिए कुर्बानियां दी थी, यह बार-बार समझने की जरूरत है?