पर्यावरण संरक्षण मंडल की गैरजिम्मेदाराना कार्यशैली से प्रदूषण कम होने के बजाय बढ़ा
नागरिक संघर्ष समिति ने पर्यावरण संरक्षण मंडल के दावे को झूठा बताया
पर्यावरण मंडल और उद्योगपति सामाजिक सरोकार निभाने बरत रहा कोताही
मंडल का जनजागरूकता अभियान फेल, पूरा प्रदेश प्रदूषण की जद में
एनओसी के लिए नर्सिंग होम, डिस्पेंसरी और अन्य संस्थानों से भारी रकम मांगे जाने की शिकायत भी मिल रही है
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल की रिपोर्ट में बताया गया है कि राजधानी में वायु प्रदूषण पिछले वर्ष की तुलना में बढ़ा है। ठण्ड का मौसम प्रारम्भ होते ही वायु प्रदूषण अधिक होता है। जिस तरह प्रशासन द्वारा प्रतिबंधित पटाखों के विरुद्ध जन जागरूकता अभियान चलाया था उसी प्रकार प्रदूषण कम करने की दिशा में प्रशासन को कई स्तरों पर काम करना चाहिए। समय-समय पर प्रशासन की टीम उद्योगों में जाकर निरीक्षण करे, गड़बड़ी मिलने पर भारी जुर्माना लगाने से लेकर लाइसेंस रद करने की कार्रवाई की जाए। लेकिन पर्यावरण संरक्षण मंडल की गैरजिम्मेदाराना काम से प्रदूषण कम होने के बजाय बढ़ ही रहा है। केवल दीपावली पर पटाखे फोडऩे के कारण प्रदूषण स्तर बढऩे का बहाना से प्रदूषण कम नहीं होगा इसके लिए पर्यावरण संरक्षण मंडल और उद्योगपतियों को अपना सामाजिक दायित्व को समझते हुए काम करना होगा तब जाकर जनता प्रदूषण से मुक्त हो सकेगी। मंडल को ईमानदारी से इस पर अमल करना चाहिए। देखा ये गया है कि हर वर्ष दीपावली के बाद वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण की चर्चा शुरू हो जाती है। कहा जाता है कि लोगों ने पटाखे फोड़े, इसलिए प्रदूषण का स्तर बढ़ गया। प्रदेश का अमुक शहर सबसे ज्यादा प्रदूषित रहा। वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण बढ़ते उद्योग और उनके द्वारा छोड़े जा रहे धुंआ है। अब लोग यह भी कटाक्ष कर रहे हैं कि कितने दिनों से यूक्रेन और रूस बम धमाके कर रहे हैं लेकिन प्रदुषण नहीं फ़ैल रहा है और मात्र फटाका जलाने से प्रदूषण इस कदर बढ़ जायेगा की लोगों को साँस लेना मुश्किल हो जायेगा। ये सब पर्यावरण संरक्षण मंडल का उद्योगपतियों को बचने का बहाना मात्र है। राज्य में पावर प्लांट, स्टील उद्योग, सीमेंट उद्योग पावर प्लांट सहित कई प्रकार के छोटे बड़े उद्योग संचालित हो रहे हैं और वहां से जहरीली धुंआ निकल रही है वही हवा में जहर घोल रहा है। जिसे रोकने या कम करने की जिम्मेदारी मंडल की है लेकिन मंडल के अधिकारियों की चुप्पी संदेह पैदा करती है।
प्रदूषण रोकने मानक निर्धारित
हालांकि प्रदूषण नियंत्रण के लिए मानक निर्धारित है, अगर इसका पालन उद्योग जगत ईमानदारी से कर ले या पर्यावरण संरक्षण मंडल सख्ती से लागू करवाए तो प्रदूषण पर काबू पाया जा सकता है। दीपावली पर प्रदूषण बढऩे की चिंता व्यक्त कर लोगों का ध्यान बाँट दिया जाता है। लगातार दो साल से दिवाली पर फटाके नहीं जलाये गए थे और अब इस दिवाली में जमकर आतिशबाजी की गई लेकिन वायु प्रदूषण नहीं के बराबर रहा इससे जाहिर होता है की उद्योगों के कारण ही ज्यादा प्रदूषण फ़ैल रहा है।
सड़कों की हालत भी कर रहे खस्ता
छत्तीसगढ़ में उरला-सिलतरा के औद्योगिक क्षेत्र में हर तरह की फैक्ट्रियों से राजधानी के आसपास वायु प्रदूषण बना रहता है। इसके अलावा रायपुर के आसपास के शहर भी प्रदूषण की चपेट में हैं। प्रदेश में कोरबा, जांजगीर-चांपा, रायगढ़, बिलासपुर, भिलाई व अन्य शहरों में हवा ज्यादा दूषित है। कोरबा, रायगढ़ का तो हाल बुरा है वहां कई थर्मल पावर प्लांट और कोयले की खदानें हैं, इसलिए वहां सांस की बीमारियां और टीबी के मरीजो में दिन प्रतिदिन इजाफा हो रहा है। पावर प्लांट से निकली हुई राख, कोयले से लदे ट्रक, खराब सड़कों की धूल और फ्लाई एश वायु प्रदूषण तो बढ़ा ही रहे है और सड़कों की भी हालत खस्ता कर रहे हैं।
राजधानी की सड़कों का हो रहा पोस्टमार्टम
राजधानी में सड़कों पर जगह-जगह खुदाई के कारण उठ रहे धूल गुबार ने लोगों का चलना मुश्किल कर दिया है ऊपर से वाहनों से निकल रहे धुआं और जलाए जा रहे कचरे से भी प्रदूषण फैलता है। इसे रोकने के सब को ठोस प्रयास करना चाहिए लेकिन कोई नजऱ नहीं आ रहा है। डाक्टरों की माने तो वायु प्रदूषण मानव शरीर के हर अंग और लगभग हर कोशिका को नुकसान पहुंचा सकता है। श्वांस से संबंधित बीमारियां प्रदूषण से होती हैं। पांच एमएम माइक्रोन से कम धूल हमारी सांस नली में जाती है, जिससे दमा, अस्थमा, सीओपीडी और सिलिकोसिस नाम की बीमारी का जन्म होता है।
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के अंतर्गत 2024 तक पार्टिकुलेट मैटर कंसन्ट्रेशन में 30 प्रतिशत तक कटौती का लक्ष्य रखा है। इसे प्राप्त करने के लिए हर स्तर पर ठोस कदम उठाना होगा। केवल दीपावली पर पटाखे फोडऩे के कारण प्रदूषण स्तर बढ़ जाता है। साथ ही ऐसी बहानेबाजी की जगह इस पर निगरानी और नियंत्रण के जिम्मेदारों को भी उदासीनता को त्यागकर कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। उद्योग जगत को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
पर्यावरण संरक्षण मंडल का दावा झूठा
वायु प्रदूषण से आज हर कोई जूझ रहा है। नागरिक संघर्ष समिति और प्रदेश के पर्यावरण प्रेमियों ने छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल के दावे को झूठा बताया है कि रायपुर में वायु प्रदूषण कम हो रहा है। बल्कि हकीकत यह है कि इस दिवाली में रायपुरवासियों को भरपूर प्रदूषण युक्त हवा की सांस लेने को मजबूर होना पड़ा। दिवाली में दिन रात को लगातार 9 से 10 किलोमीटर प्रति घंटे की हवा चलने के कारण वायु प्रदूषण कम हो गया अगर हवा नहीं चलती तो यह प्रदूषण और भी बहुत अधिक बढ़ जाता। वायु में सूक्ष्म कण जिन्हें पार्टिकुलेट मैटर कहा जाता है के पीएम 2.5 का वर्ष भर का अधिकतम औसत 40 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर होना चाहिए, परंतु किसी भी दिन 24 घंटो में अधिकतम 60 से अधिक नहीं होना चाहिए। इसी प्रकार पीएम 10 का वर्ष भर का अधिकतम औसत 60 होना चाहिए परंतु किसी भी दिन 24 घंटो में अधिकतम 100 से अधिक नहीं होना चाहिए। वल्र्ड हेल्थ आग्रेनाइजेशन के अनुसार पीएम 2.5 की अधिकतम मात्रा किसी भी 24 घंटे में 15 से अधिक नहीं होना चाहिए।
राजधानी पूरी तरह प्रदूषण की जद में आ चुका है। यदि शासन-प्रशासन ने इस पर ध्यान नहीं दिया तो पूरा शहर श्वांस-नली, आंखों, फेफड़े को चपेट में ले सकता है । धूल कण और औद्योगिक धुआं पर सरकार को तत्काल रोक लगानी चाहिए है।
- असद अनवार सिद्दिकी, पर्यावरण प्रेमी