छत्तीसगढ़

अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी दिवस पर विशेष

Nilmani Pal
18 Dec 2022 10:31 AM GMT
अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी दिवस पर विशेष
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...रोशन साहू ( मोखला )

// तेरा देश बुलाती ...//

जिन गलियों में खेले कूदे, याद बहुत आती है।

बूढ़े बरगद याद न जाती,आंखें नम हो जाती है।।

बेगानों में नित अपने ढूंढें,अपनों के सपने न टूटे।

सच करने अपनों के सपनें, खुद के टूट जाती है।।

चलते-चलते पांवों में,मिट्टी के निशाँ मिट जाती है।

पांव सने धूल भी तो ,तितली बन उड़ जाती है।।

वतन की याद मन में लिए,मर-मर कर जी रहे ।

आंखों से दूर दिल से दूर,सुन आंखें भर आती है।।

बूंद भी न किंचित हाथों में ,नीचे टपक जाती है।

बहुमंजिला में माटी की खुशबू न पहुँच पाती है।।

कहता था तारे देख-देख,नींद मुझे आ जाती माँ।

पांव नीचे जगमग तारे,अब सारी रात जगाती है।।

सदा शिकायत रही तू क्यों,सुबह चहचहाती है ।

कलरव कोलाहल लगता जिसे,सकोरा रख आती है।।

मेरे देश से कोई पंछी आये,दाना पानी चुग जाये।

गौरैया देती मुझे संदेशा,तेरा देश तुझे बुलाती है।।

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