छत्तीसगढ़

दिव्य जीने की कला सिखाती है संबोधि साधना - डॉ. मुनि शांतिप्रिय सागर

Shantanu Roy
28 Oct 2022 2:24 PM GMT
दिव्य जीने की कला सिखाती है संबोधि साधना - डॉ. मुनि शांतिप्रिय सागर
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छग
रायपुर। एमजी रोड स्थित जैन दादावाड़ी में पांच दिवसीय संबोधि ध्यान योग शिविर का शुक्रवार को शुभारंभ हुआ जिसमें रायपुर के विभिन्न क्षेत्रों से आए सैकड़ों संबोधि साधकों ने सक्रिय योग साधना, सचेत श्वास साधना, प्रभु-प्रार्थना एवं विश्व शांति मंत्रोच्चार के साथ आध्यात्मिक जीवन जीने का आनंद लिया। इस अवसर पर डॉ मुनि शांतिप्रिय सागर महाराज ने कहा कि संबोधि ध्यान न केवल दिव्य जीने की कला सिखाता है वरन् हमारे तन-मन-चेतना की चिकित्सा भी करता है। धर्म बाहरी क्रियाकांडों को ओढऩे का नाम है जबकि संबोधि ध्यान खुद को बेनकाब करने की प्रेरणा है। परिस्थिति बदलने के बावजूद मनस्थिति को अच्छा बनाए रखना ही संबोधि साधना है। अच्छा व्यवहार करने वाले के साथ अच्छा व्यवहार करना संसार है, पर बुरा व्यवहार करने वाले के साथ भी अच्छा व्यवहार करना संबोधि साधना है।
संबोधि ध्यान का रहस्य बताते हुए संतश्री ने कहा कि श्वास से जीवन चलता है, पर ध्यान से जीवन बढ़ता है। सारे धर्म अगले जीवन को स्वर्ग बनाते हैं जबकि ध्यान इसी जन्म को स्वर्ग बनाता है। उन्होंने कहा कि संबोधि ध्यान केवल आँख बंद करने का नाम नहीं है वरन् जीवन की हर छोटी से छोटी गतिविधि को जागरूकता पूर्वक करने का नाम ध्यान है। संबोधि ध्यान का उद्देश्य व्यक्ति को एकाग्र एवं तरोताजा करना है। जैसे महिला पापड़ सेकते समय पल-पल सावधान रहती है वैसे ही अगर व्यक्ति जीवन की हर गतिविधि को ध्यान एवं सावधानी पूर्वक करने लग जाए तो वह समाधि के बद तालों को खोल सकता है। इस अवसर पर मुनि श्री ने साधक भाई बहनों को आरोग्य लाभ और रोग निवारण के लिए मूवमेंटेबल योगा, पावर योगा, स्ट्रैचिंग योगा के अभ्यास करवाएं। शनिवार को सुबह 6 बजे करवाए जाएंगे विशेष योग के प्रयोग - जैन दादावाड़ी में शनिवार को सुबह 6:00 से 8:30 बजे तक मन की शांति, आध्यात्मिक विकास और रोगों से छुटकारा पाने के लिए योग और ध्यान के विशेष प्रयोग करवाए जाएंगे।
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