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रायपुर। विटामिन डी की कमी, अनियमित खान-पान, तनावपूर्ण जीवन शैली या अन्य कोई बीमारियां किसी भी व्यक्ति के जबड़ों में दर्द पैदा करने का कारण बन सकता है, यहीं नहीं डॉक्टरों ने तो यहां तक बताया कि ऊंची हिल की सैंडल पहने वाली महिलाओं को भी यह दिक्कत आ सकती है। सामान्य जांच में तो पता नहीं चलता लेकिन सूक्ष्मता से अन्य कारणों की पड़ताल व जांच की जाती है तो ऐसे कई मामलों का पता चलता है। दवाई व सर्जरी के साथ फिजियोथैरेपी से भी इसका उपचार संभव है। जबड़े के जोड़ों का दर्द क्यों होता है और इसके निदान के क्या उपाय है देश भर के जुटे दांत के एक्सपर्ट डॉक्टरों ने अपने चिकित्सकीय अनुभव इंडियन प्रोस्थेडोटिक्स सोसाइटी छत्तीसगढ़ शाखा के न्यू सर्किट हाउस में आयोजित वर्कशाप में शनिवार को साझा किया।
इंडियन प्रोस्थेडोटिक्स सोसाइटी छत्तीसगढ़ शाखा के अध्यक्ष डा. नीरज कुमार चंद्राकर ने बताया कि वर्कशाप का आज शुभारंभ पं. दीनदयाल उपाध्याय मेमोरियल आयुष व स्वास्थ्य विज्ञान विवि के कुलपति डा.अशोक चंद्राकर के मुख्य आतिथ्य व इंडियन प्रोस्थोडोसिस सोसायटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. वी. रंगराजन के विशेष आतिथ्य में हुआ। देश भर के लगभग 200 डाक्टर्स इसमें हिस्सा ले रहे हैं जिसमें 120 छत्तीसगढ़ व अन्य बाहर राज्य से हैं। जयपुर से आए प्रसिद्ध डा. फिजियोथेरेपिस्ट डा.हिमांशु माथुर ने बताया कि दांतों के जबड़ों का इलाज करने के विभिन्न विधियों में फिजियोथैरेपी भी शामिल है। शरीर के किसी अन्य हिस्से में यदि प्राब्लम हैं तो उसके कारण भी जबड़े के जोड़ों में दर्द हो सकता है। उन्होने ही बताया कि ऊंची हिल की सैंडल पहनना भी इसका कारण बन सकता है।
रोहतक से आए आरेल मेडिसीन एवं रेडियोलॉजी विशेषज्ञ डा. हरनीत सिंह ने बताया कि कई सारे इंफेक्शन की वजह से भी जबड़ों में जोड़ों का दर्द होता है। अनियमित खान व तनावपूर्ण जीवन शैली भी इस प्रकार का दर्द पैदा कर सकते हैं। वहीं दवाईयों व अन्य आधुनिक तरीकों को वीडियो के माध्यम से प्रदर्शित किया। चेन्नई से आए मैक्सिकोफेशियल प्रोस्थोडॉटिस्ट एवं इंडियन प्रोस्थोडोसिस सोसायटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. वी. रंगराजन ने बताया कि किसी प्रकार तनावपूर्ण जीवन शैली, अनियमित खानपान, अनिद्रा, रात में दांत घिसने की आदत इसके लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है। दंत चिकित्सकों-प्रास्डोडांटिस्ट द्वारा निर्मित ओरल स्पिलिंट इसके इलाज में कारगर व सहायक है। पुरानी सोच वाली विधियों में किस प्रकार का बदलाव आया है और उसका किस प्रकार उपयोग आज के डाक्टरों को करना चाहिए उन्होने बताया।
कुलपति डा. चंद्राकर ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से राज्य के सभी मेडिकल से जुड़े छात्रों व शिक्षकों के ज्ञानवर्धन व नवीनतम उपचार से राज्य के निवासियों को भी लाभ मिलता है। डाक्टर विद्या वैध ने भी अपने अनुभव साझा किए। इंडियन प्रोस्थेडोटिक्स सोसाइटी छत्तीसगढ़ शाखा के अध्यक्ष डा. नीरज कुमार चंद्राकर ने बताया कि इस वर्कशाप का मुख्य उद्देश्य विभिन्न क्षेत्र के विशेषज्ञों के बीच समन्वय बनाना ताकि राज्य के लोगों को इसका अधिकाधिक लाभ मिल सके।
रविवार को जनजागरूकता रैली निकाली जायेगी
रविवार 4 सितंबर को प्रोस्थोडॉटिक्स विशेषज्ञों के द्वारा मरीन ड्राइव से छत्तीसगढ़ दंत चिकित्सालय तक सुबह 9 बजे एक रैली निकाली जाएगी और आमजनों को पोस्टर, बैनर व स्लोगन के माध्यम से संदेश दिया जाएगा। कोच्चि के प्रसिद्ध क्रेनियोफेशियल सर्जन डा. प्रमोद सुभाष कल के वर्कशाप में प्रमुख रूप से शामिल रहेंगे।
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