गोबर से बने उत्पाद की पहुंच आमजनों तक हुई : सीएम भूपेश बघेल
रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में वर्चुअल कार्यक्रम के माध्यम से गोधन न्याय योजना अंतर्गत पशुपालक ग्रामीणों, गौठानों से जुड़ी महिला समूहों और गौठान समितियों को 8 करोड़ 63 लाख रूपए की राशि ऑनलाईन जारी की। इस योजना के हितग्राहियों को अब तक 412.19 करोड़ रूपए का भुगतान किया जा चुका है। इसके साथ ही इस योजना के शुरू होने से अब तक कुल 105 लाख 63 हजार क्विंटल गोबर की खरीदी की जा चुकी है इसके एवज में गोबर विक्रेताओं को आज 4.76 करोड़ रूपए के भुगतान के बाद 211 करोड़ 25 लाख रूपए की राशि प्रदान कर दी गई है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने गौपालकों, पशुपालकों, महिला समूहों तथा गौठान समितियों को बधाई और शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि गोधन न्याय योजना से लाभान्वित पशुपालकों में 59 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और गोबर खरीदी में 85 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कल हमने शिवाजी की मूर्ति का अनावरण किया, वह मूर्ति प्राकृतिक पेंट द्वारा पोताई की गई थी, यह अच्छी बात है कि गोबर से बनाए पेंट का आमजनता द्वारा उपयोग किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज अंतरित की जा रही कुल राशि में से 04 करोड़ 76 लाख रुपए का भुगतान गोबर खरीदी के एवज में की गई। इसमें से 02 करोड़ 6 लाख रुपए की राशि विभाग द्वारा और 02 करोड़ 70 लाख रुपए की राशि स्वावलंबी गौठानों द्वारा भुगतान की गई है। उन्होंने कहा कि राज्य में कुल 10 हजार 732 गौठान स्वीकृत किए गए हैं, जिसमें से 09 हजार 720 निर्मित होकर संचालित हो रहे हैं, इसका मतलब यह है कि स्वीकृत गौठानों में से 91 प्रतिशत गौठानों का निर्माण पूरा हो चुका है। 07 प्रतिशत गौठानों का निर्माण तेजी से चल रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गोधन न्याय योजना पूरी सफलता के साथ आगे बढ़ रही है। इससे अनेकों हितग्राही लाभान्वित हो रहे हैं। गोबर से पेंट बनाने के लिए 21 जिलों में 45 इकाई स्वीकृत हुई हैं, इनमें से 13 इकाईयां प्रारंभ हो चुकी हैं। शेष 32 यूनिट का निर्माण तेजी से कराया जा रहा है। अभी तक 30 हजार 218 लीटर पेंट का उत्पादन हो चुका है। इनमें से 14 हजार 358 लीटर पेंट का विक्रय हो चुका है। इससे 29 लाख 16 हजार 300 रूपए की आय प्राप्त हुई है।
उन्होंने कहा कि 99 गौठानों में गौमूत्र की खरीदी की जा रही है। अभी तक 01 लाख 33 हजार 484 लीटर गौमूत्र की खरीदी की जा चुकी है। इसका मूल्य 05 लाख 37 हजार 936 रूपए है। गौमूत्र से ब्रम्हास्त्र कीट नियंत्रक और जीवामृत वृद्धि वर्धक के निर्माण तथा विक्रय से अब तक 28 लाख 96 हजार 845 रूपए की आय हो चुकी है। उल्लेखनीय है कि गोधन न्याय योजना के तहत गोबर खरीदी में स्वावलंबी गौठान बराबर की भागीदारी निभाने लगे हैं। बीते कई पखवाड़ों से गोबर खरीदी के एवज में भुगतान की जा रही राशि में स्वावलंबी गौठानों की हिस्सेदारी 60 से 70 प्रतिशत तक रहने लगी है। आज की स्थिति में 50 फीसद से अधिक गौठान स्वावलंबी हो चुके हैं, जो स्वयं की राशि से गोबर एवं गौमूत्र की खरीदी के साथ-साथ गौठान के अन्य व्यय की राशि अपनी पूंजी से कर रहे हैं।