छत्तीसगढ़

पावरफुल मुस्लिम नेता ही बन रहे समाज के लिए रोड़ा

Nilmani Pal
25 Nov 2021 5:52 AM GMT
पावरफुल मुस्लिम नेता ही बन रहे समाज के लिए रोड़ा
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सुन्नी मुस्लिम समाज के लोगों को ही अल्पसंख्यक आयोग में नियुक्ति दी जाए

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। छत्तीसगढ़ अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष का कार्यकाल लगभग तीन साल पूरा होने जा रहा है जिससे छग के मुस्लिम समाज को आशा की किरण नजर आ रही है। वैसे भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मुस्लिम समाज का भला ही चाहते है। वे काफी पहले मुस्लिम समाज से संबंधित निगम मंडलों में नियुक्तिकर चुके होते, लेकिन कुछ तथाकथित पदों पर बैठे पावरफुल मुस्लिम नेता अल्पसंख्यक आयोग और रिक्त अल्पसंंख्कों से संबंधित विभागों में नियुक्ति को जानबूझ कर रोक रखे है ताकि उनका वर्चस्व बना रहे यही कारण है कि यहां नियुक्ति रूकी हुई ऐसा मुस्लिम समाज के लोग महसूस करते है। अन्यथा क्या कारण है कि सिर्फ मुसलमानों से संबंधित विभाग को जानबृूझ कर रोककर रखा गया है। उन तथाकथित नेताओं की कोशिश यह भी होती है कि उन पदों पर ऐसे व्यक्ति को जिनका राजनीति से कोई लेना देना नहीं जैसे कि ब्यूरोक्रेट, शायर, कलाकार, खिलाड़ी अथवा ज्यूडिसरी से सेवा निवृत्त व्यक्ति को बैठाना चाहते है जबकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल किसी निष्ठावान पार्टी के प्रति इमानदार समर्पित योग्य एवं जमीन से जुड़े वरिष्ठ मुस्ेिलम नेता को ही पद देना चाहते है। ताकि मुस्लिम समाज का भला हो लेकिन ऐसे नेताओं के कारण मामला ठंडे बस्ते में है। प्रभारी महामंत्री के रायपुर आगमन पर भी मुस्लिम समाज को लोग उनसे और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से अल्पसंख्यक आयोग में मुस्लिम समुदाय से चेयरमेन बनाने के लिए गुहार लगाएंगे। उल्लेखनीय है कि मुसलमान समाज हमेशा से कांग्रेस पार्टी का समर्थक रहा है और चुनावों में मुस्लिम कार्यकर्ता वफादारी और निष्ठा के साथ पार्टी के उम्मीदवारों को जिताने के लिए जमकर पसीना बहाते रहे हैं। कांग्रेस से जुड़े होने के कारण लोंगो में पार्टी नेतृत्व और नेताओ से अपेक्षा भी रहती है। लगभग तीन साल पहले जब राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी मुस्लिम समाज को लगा कि अब उन्हें राज्य सरकार में प्रतिनिधित्व मिलेगा और वे सरकार के माध्यम से समाज के कल्याण के कुछ कार्य करने के साथ अपनी समस्याओं का समाधान भी निकाल सकेंगे। लोगों को उम्मीद थी कि सरकार बनने पर अल्पसंख्यकों विशेषकर मुस्लिम समाज के उत्थान के लिए बनाए के आयोग और दीगर प्रतिष्ठानों में मुस्लिम समाज के लोगों को प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। खासकर अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमेन का पद मुसलमान अपने कुनबे से चाहता है लेकिन कांग्रेस सरकार ने अन्य समुदाय से चेयरमेन नियुक्त कर दिया। इससे समाज के लोगों में मायूसी है। समाज के लोगों का मानना है कि अल्पसंख्यक आयोग ही ऐसी सरकार प्रवर्तित संस्था है जिसके माध्यम से मुस्लिम समुदाय अपनी जरूरतों और समस्याओं को सरकार तक पहुंचा कर उसका समाधान निकलवा पाता है। चूंकि अल्पसंख्यक समुदाय में सर्वाधिक जनसंख्या मुसलमानों की है जिसमें भी अधिकांश सुन्नी मुसलमान हैं। ऐसे में सुन्नी मुसलमान अपने बीच से ही आयोग का चेयरमेन चाहता है।समाज से जुड़े नेताओं का भी मानना है कि गैर मुस्लिम चेयरमेन होने से समाज के लोगो की अपेक्षाएं पूरी नहीं हो पाती और नहीं उनकी समस्याओं का समाधान ही हो पाता है। गजट में भी आयोग का अध्यक्ष अल्पसंख्यकों में ज्यादा जनसंख्या वाले समाज से बनाए जाने का उल्लेख है।

सुन्नी मुसलमान को चेयरमेन बनाने से यूपी चुनाव में होगा फायदा

छत्तीसगढ़ के प्रभारी महामंत्री भी यूपी के मुस्लिम बाहुल क्षेत्र बाराबंकी का प्रतिनिधित्व करते आ रहे है । छत्तीसगढ़ के कई मुस्लिमों से चर्चा करने पर बताया कि यह बात सही है कि यूपी के महत्वपूर्ण दरगाह और मरकज जिसके अनुयायी पूरे देश भर में है। छत्तीसगढ़ में भी सुन्नी मुस्लिम तबके के लगभग सौ फीसद लोग कछोछा शरीफ, बरेली शरीफ, देवा शरीफ और मकनपुर शरीफ दरगाह से ताल्लुक रखते है और जुड़े हुए है। इन जगहों पर इनका आना-जाना साल भर लगा रहता है। इसके जरिए छत्तीसगढ़ के मुसलमानों का सीधा संपर्क उत्तरप्रदेश के मुसलमानों से बना रहता है। उत्तरप्रदेश में वर्तमान में मुसलमान कांग्रेस से कटे हुए हैं और उनका सपोर्ट सपा को मिल रहा है। ऐसे में मुसलमानों को कांग्रेस से जोडऩे के लिए मुसलमान हित से जुड़े किसी बड़े फैसले की जरूरत है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल यूपी चुनाव के लिए प्रमुख आव्जर्वर बनाए गए हैं ऐसे में उनका लिया गया कोई भी फैसला वहां की राजनीतिक स्थिति पर असर डालेगा। ऐसे में मुसलमान विशेष कर सुन्नी मुसलमान चाहते हैं कि छग में राज्य अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमेन के पद पर किसी सुन्नी मुसलमान को नियुक्त करने का सीएम ऐलान करे तो इसका बड़ा संदेश यूपी के मुसलमानों का जाएगा और वे कांग्रेस की तरफ फिर से मुखातिब होंगे। देखा यह जा रहा है कि मुसलमान मूलत: कांग्रेस समर्थक होने के बाद भी वर्तमान में सपा और बसपा का समर्थन कर रहे है। छत्तीसगढ़ के मुस्लिम नेताओं ने भी इस बात पर हामी भरी कि यूपी और छग के मुसलमानों को बीच आपसी तालमेल है जिससे उनको छग की राजनीति के बारे में जानकारी मिलती रहती है। चंूकि भूपेश बघेल यूपी के चुनाव प्रभारी है और यूपी में 30 प्रतिशत मुस्लिम वोटर्स है उनको अपने पाले में लाने और लुभाने के लिए छग के नेताओं को छग अल्पसंख्यक आयोग में बिठाकर इसका फायदा यूपी चुनाव में उठाया जा सकता है। इस सबंध में शीघ्र ही छग के मुस्लिम नेताओं का समूह प्रियंका गांधी वाड्रा को पत्र लिखेंगे और ट्विटर और सोशल मीडिया पर भी जानकारी देंगे।

सुन्नी मूसलमानों को सीएम भूपेश से उम्मीद, सुनेंगे फरियाद...

लोगों ने यह भ्रम फैला रखा है कि एक मुस्लिम को पद दिया गया तो दूसरा मुस्लिम नाराज होगा बल्कि ऐसा नहीं है,सभी सुन्नी मुस्लिम एक है और अगर भूपेश बघेल किसी एक को पद देते है तो पूरा समाज स्वागत करेगा। समाज के लोगों और नेताओं में किसी प्रकार की नाइत्तेफाकी नहीं रहेगी, चूंकि अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष का तीन साल कार्यकाल पूरा होने जा रहा है। इस स्थिति में मुस्लिम नेता भूपेश बघेल से काफी उम्मीद लगाए है कि इस पद पर किसी सुन्नी मुस्लिम नेता को बिठाया जाएगा। वर्तमान अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष से मुस्लिम समाज दुर्भावना नहीं रखता लेकिन बहुसंख्यक मुसलमानों की समस्या का निराकरण या समाज के विकास के लिए सरकार को दिए जाने वाले सुझाव के लिए ऐसे महत्वपूर्ण पद पर मुस्लिम समाज का चेयरमेन होना जरूरी है। जिसका फायदा यूपी चुनाव में भी देखने को जरूर मिलेगा।

वर्तमान अध्यक्ष से कोई दुर्भावना नहीं

सुन्नी मुस्लिम समाज के नेताओं का कहना है कि वर्तमान अल्रसंख्यक आयोग के अध्यक्ष समाज को कोई दुर्भावना नहीं है। मुसलिम समाज चाहता है कि उनका कार्यकाल समाप्ति की और है तो प्रदेश सरकार इस पद पर किसी सुन्नी मुसलमान नेता को बिठाए।

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