मुस्लिम हाल बैजनाथपारा को संचालित करने वाले नहीं दे रहे हिसाब
तथाकथित मुस्लिम नेता, उसके भाई तथा उनके गुर्गों की दबंगई से समाज के लोग रहते थे चुप
कांग्रेस सरकार में किसी भी समाजसेवी की हिम्मत नहीं हुई हिसाब मांगने की
अब सरकार बदलते ही समाजसेवियों ने मुस्लिम हाल की दुर्गति सुधारने जुटने लगे
कौमी सेवा के नाम पर खा रहे मेवा, कौन रखता है हिसाब किताब किसी को पता नहीं
मुस्लिम समाज भी अब भाजपा के नारे अब नई सहिबो, बदल के रहिबो को चरितार्थ कर रही
रायपुर। नॉन गवर्नमेंटल ऑर्गेनाइजेशन (एनजीओ) यानी गैर सरकारी संगठनों की कार्यशैली और कमाई चर्चा का विषय होने के कारण ये एनजीओ आयकर विभाग की निगरानी में रहते है। लेकिन सामाजिक संस्थाओं द्वारा आयकर विभाग से मिले छूट का फायदा उठाया जाता है जिसका परिणाम यह होता है कि कोई हिसाब देने वाला नहीं होता है। यही हाल बैजनाथपारा रायपुर स्थित मौलाना अब्दुल रउफ हाल यानी मुस्लिम हाल का है,जो इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है । पिछले पांच साल तो कांग्रेस सरकार सत्ता में रहने के कारण एक स्थानीय नेता और उसके भाई के दबंगई और दबाव की वजह से कोई मुंह खोलने वाला नहीं था। जब से सरकार बदली है लोग अब खुलकर बोलने वाले भी पैदा हो गए हैं और कुछ लोग मुस्लिम हाल के कर्ताधर्ताओं से हिसाब मांगने की तैयारी भी कर रहे हैं। सूत्रों से यह भी जानकारी मिल रही है कि संस्था के पदाधिकारी संस्था की आय से देश-विदेश की यात्रा, पांच सितारा होटलों में रुकने और घूमने फिरने में भी खर्च करने की जानकारी मिल रही है। मौलाना अब्दुल रउफ हाल यानी मुस्लिम हाल वास्तव में समाजहित के लिए बनाया गया था लेकिन अब समाजहित कम और स्वहित ज्यादा दिख रहा है। लोग यह भी बता रहे हैं कि मुस्लिम हाल के पदाधिकारियों ने आय व्यय का कोई ब्यौरा नहीं दे रहे हैं, अगर कोई पूछता है तो उसे तथाकथित नेता उसका भाई और उसके गुर्गे देख लेने की धमकी देते हैं। लेकिन अब सरकार बदलने के बात उनका तेवर ढीला पड़ता दिखाई दे रहा है जिससे आम मुस्लिम अब हिसाब-किताब पूछने की हिम्मत जुटाते दिख रहा है। देखा गया है कि अपने लोगों को ही वहां साफ-सफाई और पंडाल टेंट का ठेका दिया गया है जिसमें भी करोड़ों रूपये का गोलमाल नजर आ रहा है। सब काम उनके आदमी ही काम कर रहे हैं, लेकिन मनमानी करने वालों पर अब सख्ती बरतने की तैयारी की जा रही है। नशाखोरी का अड्डा बना मुस्लिम हाल के बाजू उर्दू स्कूल बैजनाथपारा स्थित मुस्लिम हाल के बाजू उर्दू स्कूल सिर्फ नाम का स्कूल रहा गया है वहां पर सिर्फ सट्टेबाजों और नशेबाजों का कब्जा रहता है। रात ग्यारह बजे के बाद बैजनाथपारा की होटलों को बंद करने का फरमान जारी होने के बाद लोगों का हुजूम अब उर्दू स्कूल की ओर रूख करता नजर आ रहा है। वह नशेडिय़ों के लिए सुरक्षित स्थान माना जाता है। जहां बैठ कर सिर्फ शराब खोरी और गांजा चरस के सेवन करते लोग ही नजर आते हैं इनको भी उक्त नेता और उनके भाइयों का वरहदस्त प्राप्त है, जिसके वजह से पुलिस भी हाथ डालने से अभी बच रही है।
जबकि भोले- भाले लोगों को पुलिस आसानी से उठा रही है। मोहल्ले वालों ने मांग की है कि देर रात में उर्दू स्कूल की निगरानी होने से काफी तादात में आसामाजिक तत्वों को रंगे हाथों पकड़ा जा सकता है। यहां निगरानी बदमाश फरारी काटते है? वर्षों से ऑडिट नहीं होने की खबर सोसायटी फर्म एवं रजिस्ट्रार कार्यालय में हर माह सैकड़ों नई संस्थाओं का पंजीकरण होता है। नियमानुसार नवीनीकरण कराने वाली संस्थाओं की संख्या साल में पांच से दस ही होती हैं। कई संस्था व फर्म ऐसी हैं जिन्होंने अपना नवीनीकरण नहीं कराया है। नवीनीकरण के लिए ऑडिट रिपोर्ट अनिवार्य है। नियमानुसार पांच साल बाद हर संस्था को नवीनीकरण कराना होता है। यदि कोई संस्था नवीनीकरण नहीं कराती है, तो उनके पास उन पर कार्रवाई का कोई अधिकार नहीं हैं। मुस्लिम हाल के बारे में कोई बताने वाला नहीं है जो पदाधिकारी बना वही अपना मनमानी करने लगता है। इसकी जांच सूक्ष्मता से होने पर काफी गड़बडिय़ां उजागर होगी। धर्म के नाम पर कर रहे फर्जीवाड़ा संस्थाएं धर्म के नाम पर ट्रस्ट के रूप में अरबों रुपयों का लेन देन करती हैं। अब मुसलमानों का मुस्लिम हाल जैसी संस्था का नाम इस फेहरिस्त में शामिल हो गया है। पिछले कई सालों से मुस्लिम हाल में मुस्लिम समुदाय के लोग शादी और अन्य कार्यक्रम के लिए बुकिंग करते हैं जिसका कोई हिसाब नहीं दिखाया जाता। जबकि पूरे साल भर मुस्लिम हाल फुल रहता है।
देखा जाय तो सिर्फ रमजान महीने को छोड़ दें तो ग्यारह महीने बुकिंग रहती है, लेकिन समाज को कमाई के रूप में एक धेला नहीं मिलता है,जबकि उक्त पैसे को समाज कल्याण में लगाना चाहिए। कुछ लोग अजगर की तरह कुंडली मार कर मुस्लिम हाल संचालन कमेटी में जमे हुए हैं और यही लोग रुपयों का हेराफेरी कर रहे हैं। रिसीवर बैठाने की मांग मुस्लिम समाज का एक तबका यहां रिसीवर बैठाने की मांग कर रहा है साथ ही अलग-अलग मोहल्ले के लोगों को शामिल करते हुए नई संचालन कमेटी गठन करने की भी आवाज़ उठ रही है। पुराने और हिसाब नहीं देने वाली कमेटी को भंग कर नए लोगों को मौका दिया जाए ताकि सही हिसाब रहेगा और ईमानदारी से लोग काम करेंगे। मुस्लिम हाल में शादी आयोजित करने वालों की फजीहत समाज में मुस्लिम हाल का खुले मैदान में समारोह तो आयोजित हो जाता है, लेकिन यहां घराती और बाराती परिवार महिलाओं के लिए वाशरूम नहीं है, वाशरूम जो है उसमें इतनी गंदगी है कि यदि उसका उपयोग कर लिया तो बीमारी पीछे लग जाएगी। मुस्लिम हाल में वाशरूम की सुविधा नहीं होने से यहां समारोह आयोजित करने वाले परिवार को फजीहत झेलनी पड़ती है। वहां चारों ओर इतनी गंदगी रहती है कि रात में परदे में कुछ समझ नहीं आता यदि दिन के उजाले में मुस्लिम हाल का जायजा लिया जाय तो कोई भी वहां शादी समारोह आयोजित ही नहीं करे। क्योंकि यहां के कर्ताधर्ता सिर्फ पैसा वसूली करते है, साफ-सफाई से इनका कोई वास्ता ही नहीं है। भले ही यहां समारोह आयोजित करने वाले घराती-बाराती बीमार पड़े तो उनकी बला से।