छत्तीसगढ़

रोजगार गारंटी योजना के कई मापदंडों पर कबीरधाम प्रदेश में अव्वल

Shantanu Roy
29 Jun 2023 1:41 PM GMT
रोजगार गारंटी योजना के कई मापदंडों पर कबीरधाम प्रदेश में अव्वल
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कवर्धा। कहते हैं यदि किसी योजना अथवा लक्ष्य को निर्धारित कर लगातार प्रयास करते हुए सही दिशा में कार्य किया जाए तो उसके परिणाम हमेशा सुखद ही होते हैं। शासकीय योजनाओं का लाभ समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्तियों तक सरलता से पहुंचे और उसका लाभ मिले तो इसके फायदे पूरे समाज को होने लगता है। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार का पर्याय बन चुके महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में कबीरधाम जिले में उपरोक्त कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है।कबीरधाम जिला ग्रामीणों को रोजगार देने के साथ अलग-अलग बहुत से पैमानों पर प्रदेश के 33 जिलों में अव्वल स्थान पर बना हुआ है।
चालू वित्त वर्ष में 39 लाख 50 हजार 840 मानव दिवस का रोजगार ग्रामीणों को देने का लक्ष्य रखा गया था जिसे मात्र ढाई से तीन महीने के अल्प समय में 45 लाख 32 हजार 411 मानव दिवस रोजगार प्रदाय किया गया जो लक्ष्य का 115 प्रतिशत है। ग्रामीणों को रोजगार देने के मामले में कबीरधाम जिला प्रदेश में प्रथम स्थान पर लगातार बना हुआ है तथा रोजगार देने का सिलसिला निरंतर जारी है। राजनंदगांव, बलोदा-बाजार, बालोद, रायपुर एवं बिलासपुर जैसे बड़े जिलों से लाखों मानव दिवस आगे चल रहा है। कबीरधाम जिले में 1569 ग्रामीण परिवारों को 100 दिवस का रोजगार प्रदाय किया जा चुका है जो प्रदेश के 33 जिलों में सर्वाधिक है। कोरबा, बिलासपुर, बलरामपुर, कोंडागांव जैसे जिलों से लगातार आगे बना हुआ है। इसके साथ ही ग्रामीण परिवारों को रोजगार देने का सिलसिला निरंतर जारी है।
प्रदेश में 147207 दिव्यांग योजना अंतर्गत पंजीकृत है जिनमें से 21433 दिव्यांगों को अब तक रोजगार मिला है। कबीरधाम जिले में 16370 पंजीकृत दिव्यांग में से 2636 दिव्यांगों को रोजगार प्रदाय किया गया तथा इन्हें कुल 48375 मानव दिवस रोजगार मिला है जो प्रदेश सर्वाधिक है। दिव्यांगों को रोजगार देने में कबीरधाम, राजनांदगांव, रायपुर एवं बालोद जैसे अनेक बड़े जिलों से कहीं आगे बना हुआ है। कार्य अभी भी चल रहे हैं जिसमें रोजगार का अवसर मिल रहा है। जिले की आधी आबादी एवं मातृशक्ति महिलाओं को रोजगार देने में कबीरधाम प्रदेश के 33 जिलों में अग्रणी है। 125339 महिलाओं को रोजगार देकर प्रथम स्थान पर बना हुआ है। ज़िले में कुल 207101 महिलाएं पंजीकृत है जिनमें से 189168 महिलाएं सक्रिय रूप से कार्यशील है। इस तरह लगभग 66.25 प्रतिशत महिलाओं को रोजगार मिला चुका है और यह कारवां निरंतर जारी है। बलौदा-बाजार, राजनांदगांव,धमतरी एव बालोद जैसे ज़िलों से आगे बना हुआ है।
योजना के क्रियान्वयन पर चर्चा करते हुए कलेक्टर जनमेजय महोबे ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार निर्माण कार्य खोले गए जिसके कारण ग्रामीणों को रोजगार का अवसर मिल रहा है। सभी पंचायतों के लिए पूर्व से विभिन्न कार्यों की स्वीकृति दी गई साथ मे हमारा प्रयास रहा है कि जिले के सभी 468 ग्राम पंचायतों में कार्य चलता रहे जिसमे इसमें हम सफल भी हुए हैं। यही कारण है कि चालू वित्त वर्ष 2023-24 के सिर्फ दो माह में ही लक्ष्य का 115 प्रतिशत हासिल कर लिया गया है। कलेक्टर ने आगे बताया कि 15 जून से 15 अक्टूबर तक योजना में निर्माण कार्य बंद रहते हैं और इस दौरान वृक्षारोपण जैसे कार्य होंगे जिसमे रोजगार उपलब्ध होगा। अर्थ वर्क के कार्य अभी बंद हो गए है भवन निर्माण के कुछ कार्य प्रगति पर है। अक्टूबर महीने से कार्य पुनः प्रारंभ होंगे। निश्चित ही ग्रामीणों को आने वाले समय में और अधिक रोजगार का अवसर मिलेगा।
मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत संदीप कुमार अग्रवाल चर्चा करते हुए बताते हैं कि ग्रामीणों को रोजगार देने के लिए शुरुआत से ही योजनाबद्ध रूप में कार्य किया गया। पूर्व से निर्माण कार्यों की स्वीकृति, अधिक से अधिक मजदूरी मूलक कार्य करना, समय पर मजदूरी भुगतान एवं मैदानी कर्मचारियों की नियमित समीक्षा प्रत्येक स्तर पर की गई जिससे ग्रामीणों को समय पर रोजगार गारंटी योजना का लाभ मिले। सीईओ ने आगे कहा कि योजना में अभी तक 71 करोड़ 70 लाख 97 हजार रुपए मजदूरी भुगतान ग्रामीणों को उनके बैंक खातों में आधार बेस्ड पेमेंट के माध्यम से प्राप्त हो चुका है। योजना से ग्रामीणों को समय पर रोजगार का अवसर मिला साथ में मजदूरी भुगतान होने से ग्रामीणों की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति हो रही है। उल्लेखनीय है कि जिले में तालाब गहरीकरण, नया तालाब निर्माण, डबरी निर्माण, अमृत सरोवर, कूप निर्माण, कच्चा नाली निर्माण, मिट्टी सड़क निर्माण, आंगनबाड़ी भवन, ग्राम पंचायत भवन सेगरीग्रशन शेड निर्माण जैसे अनेक निर्माण कार्य नरेगा योजना में कराए जा रहे हैं। एक और जहां इन निर्माण कार्यो से ग्रामीणों को रोजगार के साथ आजीविका संवर्धन के लिए नए साधन उपलब्ध हो रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर स्थाई परिसंपत्ति के निर्माण से जल संरक्षण करते हुए ग्रामीणों के लिए मूलभूत सुविधाओं का विस्तार हो रहा है।
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