छत्तीसगढ़

अंतर्राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में डॉ. अनुसुइया अग्रवाल ने रामकथा को निस्वार्थ प्रेम और शक्ति का प्रतीक बताया

Shantanu Roy
30 Nov 2024 6:23 PM GMT
अंतर्राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में डॉ. अनुसुइया अग्रवाल ने रामकथा को निस्वार्थ प्रेम और शक्ति का प्रतीक बताया
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Mahasamund. महासमुंद। नेपाल की राजधानी काठमांडू में 27-28 नवंबर को आयोजित द्विदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में प्रो. डॉ. अनुसुइया अग्रवाल, डी.लिट्, प्राचार्य, स्वामी आत्मानंद शासकीय अंग्रेजी माध्यम आदर्श महाविद्यालय महासमुंद, छत्तीसगढ़ ने रामकथा को निस्वार्थ प्रेम और शक्ति का प्रतीक बताया। इस संगोष्ठी का आयोजन कन्हैयालाल मानिकलाल मुंशी हिन्दी तथा भाषा विज्ञान विद्यापीठ आगरा, डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा, त्रिभुवन विश्वविद्यालय काठमांडू नेपाल, बी.डी. जैन कन्या महाविद्यालय आगरा, बैकुंठी देवी कन्या महाविद्यालय आगरा, और ग्लोबल हिन्दी ज्योति कैलिफ़ोर्निया अमेरिका के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि नेपाल सरकार के संस्कृति, पर्यटन और नागरिक उड्डयन मंत्री बद्रीप्रसाद पांडे थे।


जबकि ग्लोबल हिन्दी ज्योति कैलिफ़ोर्निया की संस्थापक अध्यक्ष डॉ. अनीता कपूर विशिष्ट अतिथि थीं। कार्यक्रम के दूसरे दिन अकादमिक सत्र की अध्यक्षता करते हुए डॉ. अनुसुइया ने राम के जीवन को सत्य, प्रेम और कर्तव्य का आदर्श बताया। उन्होंने कहा, "राम का अपनी पत्नी सीता के प्रति अटूट प्रेम ही उन्हें रावण से युद्ध करने और उसे पराजित करने के लिए प्रेरित करता है। राम अच्छाई, धर्म, और करुणा का प्रतीक हैं।" उन्होंने राम के चरित्र की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि राम का जीवन न केवल उनके साहस और भक्ति के लिए
प्रेरणादायक
है, बल्कि वे न्याय, त्याग और कर्तव्यपरायणता के आदर्श भी हैं। छत्तीसगढ़ के जनजीवन में राम की लोकप्रियता का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि वहां "राम-राम" अभिवादन का प्रचलित रूप है। डॉ. अनुसुइया के वक्तव्य को सभा में उपस्थित विद्वानों ने अत्यधिक सराहा। उनके अध्यक्षीय उद्बोधन के अंत में उन्हें काठमांडू की सांसद द्वारा स्मृति चिन्ह और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। इस अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में भारत के विभिन्न राज्यों हरियाणा, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, केरल, दिल्ली आदि से विद्वान शामिल हुए। कार्यक्रम का संयोजन प्रो. प्रदीप श्रीधर और बंदना अग्रवाल ने किया।
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