छत्तीसगढ़

रायपुर के पान ठेलों में बिक रहा हुक्के का तंबाकू वाला फ्लेवर!

jantaserishta.com
26 Nov 2020 6:42 AM GMT
रायपुर के पान ठेलों में बिक रहा हुक्के का तंबाकू वाला फ्लेवर!
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शहर के कई बड़े होटलों-रेस्टारेंटों में परोसा जा रहा हुक्का

रायपुर (जसेरि)। राजधानी में चल रहे हुक्के के अवैध कारोबार ने युवाओं को अपनी चपेट में ले लिया हैं। कमजोर कानूनी कार्रवाई और जमानती अपराधों की वजह से हुक्का बार के संचालक धड़ल्ले से अपना व्यापार कर रहे है और स्कूली बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। रायपुर समेत पूरे प्रदेश में हुक्का बार के लिए कोई कठोर कानून नहीं होने के कारण ये धुआं उद्योग खूब फल-फूल रहा है। साथ ही हुक्का में डालकर पीने वाले तंबाकू का फ्लेवर खुलेआम पान ठेलों पर बिक रहा है। राजधानी में ऐसा कोई इलाका नहीं होगा जहां ये हुक्का बार अवैध रूप से संचालित न हो रहे हों। पुलिस समय-समय पर कार्रवाई जरूर करती है, लेकिन कोई कठोर नियम नहीं होने की वजह से मामूली जुर्माने के बाद संचालक आसानी से छूट जाते हैं और अब तो पुलिस भी ऐसे संचालकों से त्रस्त हो गई हैं। पुलिस अपना काम कर लेती है मगर जमानती अपराध के आरोपी छूट जाते हैं। जिसकी वजह से ये कारोबार पूरे शहर समेत प्रदेश में धड़ल्ले से संचालित होते आ रहे है। सिर्फ हुक्का बार ही नहीं इन दिनों शहर के कई बड़े नामी-गिरामी होटल रेस्ट्रोरेंट में भी हुक्का परोसा जा रहा है। इन हुक्का बार या रेस्ट्रोरेंट में नाबालिगों की इंट्री पर रोक का बाहर बोर्ड जरूर लगा रहता है लेकिन ज्यादात्तर नाबालिग ही हुक्का के कस लेकर धुंआ उडाते देखे जाते हैं। जानकारों के मुताबिक इसमें मिलाकर पीने वाला तंबाकू फ्लेवर हानिकारिक होता है, उसके बावजूद शहर के सभी छोटे बड़े पान दुकानों पर आसानी से बिक रहा है लेकिन प्रशासन है कि उसके कान पर कोई जूं नहीं रेंगती। एक थाना इलाके में 15 से 30 हुक्का बार संचालित हो रहे हैं या रेस्ट्रॉरेंट में हुक्का परोसा जा रहा है और पुलिस को नहीं मालूम हो, ऐसा संभव नहीं दिखता, फिलहाल इसके लिए प्रशासन को कठोर कानून बनाने की जरूरत है जिससे युवा पीढ़ी को इस नशे दलदल में गिरने से बचाया जा सके।

स्कूली बच्चों में फैल रहा नशा : हुक्का बार में स्कूल में पढऩे वाले छात्र-छात्राओं को कई तरह का फ्लेवर तक उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके लिए भी हुक्का बार संचालकों में होड़-सी मची हुई है। छात्रों के साथ छात्राओं को भी अलग-अलग फ्लेवर के लिए ऑफर किया जाता है। युवक-युवतियों के साथ-साथ नाबालिगों को भी प्रवेश करने से रोका नहीं जाता। पुलिस के अफसर भी मानते हैं कि ज्यादातर हुक्का बार स्कूली बच्चों के कारण चल रहे हैं। हुक्का बार में महानगरों की तर्ज पर छोटे-छोटे और मद्धिम रौशनी वाले कमरे बनाए गए हैं। हुक्का बार खोलने के लिए स्कूल-कॉलेज और अस्पतालों का भी ध्यान नहीं रखा गया। बाजार और घनी आबादी वाली बस्तियों व कालोनियों तक में हुक्का बार खोल दिए गए हैं। धीरे-धीरे इसका चलन इतना बढ़ता जा रहा है कि कुछ बड़े प्रतिष्ठित होटल व मॉल में भी अलग से हुक्का जोन बना दिया गया है। टेबल के आधार पर हुक्के की कीमत ली जाती है और आज के समय में राजधानी के अलग-अलग इलाकों को मिलाए तो लगभग 120 हुक्का बार सचांलित हो रहे हैं।

ई- सिगरेट का चलन दिखने लगा : नशे के कारोबारी गिफ्ट दुकान से लेकर मॉल तक में खुले आम सिगरेट बेच रहे है। युवाओं से आसानी से हुक्का-सिगरेट बहुत की सस्ते में उपलब्ध हो रही है। जबकि इस पर सरकार ने प्रतिबंध लगाया है। इसके बाद भी कारोबारी इसे बेच रहे हैं। शहर के अधिकांश इलाके में इस तरह का प्रतिबंधित सामान बेचा जा रहा है। ई-सिगरेट भी हुक्का बार की ही देन है। वहां भी हुक्का का उपयोग न करने वाले युवाओं को ई-सिगरेट ऑफर किया जाता है।

ये ई-सिगरेट बड़े घर के बच्चों द्वारा ही उपयोग किया जाता हैं। आज के समय में हुक्का और ई-सिगरेट आसानी से दलालों द्वारा उपलब्ध करा दिए जाते हैं।

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