छत्तीसगढ़

प्रशिक्षण अधिकारियों की सेवा समाप्ति के आदेश को हाईकोर्ट ने किया ख़ारिज

Shantanu Roy
26 April 2023 1:43 PM GMT
प्रशिक्षण अधिकारियों की सेवा समाप्ति के आदेश को हाईकोर्ट ने किया ख़ारिज
x
छग
रायपुर। रोजगार एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा वर्ष 2013 में नियुक्त 723 प्रशिक्षण अधिकारियों में से आराधनानाथ, टिकेंद्र वर्मा, सुरेन्द्र देवांगन सहित कुल 50 प्रशिक्षण अधिकारियों को नियुक्ति के समय आरक्षण नियमों का पालन नहीं किये जाने का हवाला देते हुए सेवा समाप्ति का कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया था। खास बात यह है किये 50 प्रशिक्षण अधिकारी वे हैं जिन्होंने लंबे समय से पदोन्नति नहीं किये जाने से पदोन्नति हेतु माननीय उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था । न्यायालय ने भी इनके पक्ष में फैसला देते हुए पदोन्नति हेतु डी.पी.सी. बैठाने के निर्देश दिए थे । विभाग ने इन की पदोन्नति तो नहीं की लेकिन इन प्रशिक्षण अधिकारियों को सबक सिखाने के लिए इनकी नियुक्ति के समय आरक्षण नियम का पालन नहीं होने की बात कहते हुए सेवा समाप्ति का कारण बताओ नोटिस जरूर जारी कर दिया गया । प्रशिक्षण अधिकारियों द्वारा अधिवक्ता श्री फैज़ल अख्तर के माध्यम से विभाग द्वारा सेवा समाप्ति हेतु जारी कारण बताओ नोटिस को चुनौती दी गयी। छः महीने चली लंबी सुनवाई के बाद आखिर कार उच्चन्यायालय की एकल बेंच ने प्रशिक्षण अधिकारियों के पक्ष में फैसला देते हुए सेवा समाप्ति का कारण बताओ नोटिस को निरस्त कर दिया था।
प्रशिक्षण अधिकारियों द्वारा उच्च न्यायालय की एकल बेंच द्वारा सेवा समाप्ति संबंधी कारण बताओ नोटिस निरस्त होने पर पुनः पदोन्नति की मांग की गयी। माननीय उच्च न्यायालय ने पुनः इनकी पदोन्नति हेतु DPC करने के निर्देश दिए। किंतु विभाग द्वारा इन प्रशिक्षण अधिकारियों की सेवा शून्य करने हेतु एक वर्ष बाद डिविजन बेंच में अपील याचिका दायर कर दी,तथा सेवा समाप्ति का मामला माननीय उच्च न्यायालय की डिविजन बेंच में विचाराधीन है कहकर पदोन्नति से पल्ला झाड़ लिया। प्रशिक्षण अधिकारियों की तरफ से अधिवक्ता श्री फैजल अख्तर के द्वारा पैरवी की गयी। अधिवक्ता फैजल अख्तर द्वारा कोर्ट को बताया गया कि नियुक्ति के 10 वर्ष बाद एकाएक किसी कर्मचारी को नियुक्ति के समय आरक्षण नियम का पालन नहीं होने का हवाला देते हुए सेवा समाप्ति का कारण बताओ नोटिस जारी किया जाना न्यायोचित नहीं है । साथ ही आरक्षण नियमों का पालन करने की जिम्मेदारी नियोक्ता एवं नियुक्ति हेतु गठित नियुक्ति समिति की होती है ।आरक्षण नियमों का पालन करने में अभ्यर्थी की कोई भूमिका ही नहीं होती।अतः इनके विरुद्ध कार्यवाही करना उचित नहीं है। इसके साथ ही अधिवक्ता फैजल अख्तर द्वारा यह भी बताया गया कि प्रशिक्षण अधिकारियों को कोई भी चार्जशीट नहीं दी गयी है । संविधान का अनुच्छेद 311(2) के तहत किसी भी शासकीय कर्मचारी को सेवा से बर्खास्त करने के पूर्व उस कर्मचारी को सौंपे गए दायित्वों में उसके द्वारा की गयी लापरवाही अथवा अनुशासनहीनता को इन्द्राज करते हुए संबंधित कर्मचारी को चार्जशीट दे कर उससे जवाब मांगा जाता है , तत्पश्चात ही उसे सेवा से बर्खास्त किया जा सकता है । विभाग को पहले यह बताना चाहिए कि अभ्यर्थी के रूप में इन प्रशिक्षण अधिकारियों की स्वयं की नियुक्ति में आरक्षण नियमों का पालन करने में क्या भूमिका निर्धारित की गई थी, जिसका इनके द्वारा पालन नहीं किया गया । लगभग तीन माह चली सुनवाई के बाद डिविजन बैंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद प्रशिक्षण अधिकारियों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए संचालक द्वारा प्रशिक्षण अधिकारियों की सेवा समाप्ति हेतु जारी कारण बताओ नोटिस को खारिज कर दिया ।
कोर्ट ने अपने फैसले में यहां तक कह दिया कि अपीलकर्ता के वकील यह साबित नहीं कर सके कि रिट याचिकाकर्ताओं (प्रशिक्षण अधिकारियों) की गलती कैसे है यदि उनकी नियुक्ति 1998 के नियम में निहित आरक्षण नियमों के अनुसार नहीं की गयी थी। यदि नियुक्ति के समय किसी नियमों का पालन नहीं भी हुआ है तो वह उन अधिकारियों की गलती है, जिन्होंने पूरी भर्ती प्रक्रिया का संचालन किया था। किसी की गलती की सजा किसी अन्य को नहीं दिया जा सकता।
पदोन्नति का हुआ रास्ता साफ
ज्ञात हो कि माननीय उच्च न्यायालय के द्वारा वर्ष 2021 में 50 प्रशिक्षण अधिकारियों के पदोन्नति हेतु छःअलग अलग मामलों में विभाग को डी.पी.सी. बैठने के आदेश दिए थे । किंतु संचालक द्वारा इन 50 प्रशिक्षण अधिकारियों को ही निशाना बनाते हुए सेवा समाप्ति का कारण बताओ नोटिस जारी कर डी.पी.सी आयोजित करने में असमर्थता व्यक्त कर दी थी । अब कारण बताओ नोटिस के उच्च न्यायालय की एकल एवं डिविजन बेंच द्वारा खारिज किये जाने के बाद प्रशिक्षण अधिकारियों की प्रशिक्षण अधीक्षक पद पर पदोन्नति का रास्ता भी साफ हो गया है । अब देखना है कि विभाग इन प्रशिक्षण अधिकारियों की पदोन्नति करता है या कुछ और पैतरे खेलता है। कुछ प्रशिक्षण अधिकारियों का तो यहां तक कहना है कि विभाग के वरिष्ठ अधिकारी द्वारा आईटीआई में पदस्थ इन 50 बीई एवं डिप्लोमा इंजीनियर प्रशिक्षण अधिकरियों की पदोन्नति रोकने के लिए इन के भर्ती नियम में भी बदलाव करने का प्रयास करेंगे। अब देखना यह है कि भूपेश बघेल के शासन में अभी भी आईटीआई विभाग द्वारा इन प्रताडित 50 प्रशिक्षण अधिकारियों को पदोन्नति दिया जायेगा या फिर कोई नया पैंतरा अपनाते हुए अपनी मनमानी करते हुए इन कर्मचारियों का अनहित करते रहेंगे।
संशोधित भर्ती नियम बनने के चार साल बाद भी पदोन्नति नहीं की गयी
गौर करने वाली बात है कि छत्तीसगढ़ औद्योगिक प्रशिक्षण (अराजपत्रित) तृतीय श्रेणी सेवा भर्ती नियम 2014 संशोधन 2019 बने हुए चार वर्ष पूर्ण हो चुके हैं, किन्तु इन चार वर्षों में एक बार भी पदोन्नति हेतु DPC नहीं बैठाई गयी, जबकि 113 पद रिक्त भी थे। कुछ कर्मचारियों का कहना है कि संचालनालय के अधिकारी ने बी.ई., डिप्लोमा धारी को पदोन्नति नहीं करने की कसम खा रखी है तथा चूंकि प्रचलित भर्ती नियम में पदोन्नति हेतु शैक्षणिक योग्यतानुसार प्राथमिकता क्रमशः बी.ई. डिप्लोमा तत्पश्चात आईटीआई रखी गयी है। अतः कुछ वरिष्ठ अधिकारी द्वारा प्रचलित भर्ती नियम को बदलने का प्रयास भी किया जा सकता है। अब देखने वाली बात है कि माननीय उच्च न्यायालय के द्वारा प्रचलित भर्ती नियम अनुसार पदोन्नति करने के निर्देश देने के बाद भी बिना पदोन्नति किए विभाग द्वारा नियम बदला जाता है अथवा नहीं। तथा संशोधित नियम बनने के चार वर्ष तक पदोन्नति नहीं करने और उसके बाद पुनः नियम बदल कर पदोन्नति करने के पीछे विभाग क्या तर्क देता है। यदि भर्ती नियम बदलकर पदोन्नति की जाती है, तो भर्ती नियम बनाने का अर्थ ही क्या रह जायेगा तथा माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना भी होगी।
छत्तीसगढ़ राज्य इंजीनियर्स प्रशिक्षण अधिकारी कल्याण संघ द्वारा शासन के निर्देशों का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों पर जांच की मांग
समान्य प्रशासन विभाग का निर्देश है कि पदोन्नती हेतु प्रतिवर्ष DPC आयोजित की जाये। बावजूद इसके वर्ष 2018 के बाद से DPC आयोजित नहीं की गयी, जबकि 100 से अधिक पद रिक्त थे। इसके लिये कौन जिम्मेदार है? सेवा समाप्ति का नोटिस अक्टूबर 2021 में जारी किया गया था, तो वर्ष 2019 एवं 2020 में प्रशिक्षण अधिकारी की पदोन्नति हेतु DPC आयोजित क्यों नहीं की गयी। DPC प्रतिवर्ष आयोजित करना स्थापना प्रभारी का कर्तव्य है। अतः तत्कालीन स्थापना प्रभारी को प्रभार मुक्त कर इनके खिलाफ विभागीय जांच की जानी चाहिए जिन्होंने अपना कर्तव्य निष्ठा पूर्वक नहीं निभाया ।
• यदि नियुक्ति के समय आरक्षण रोस्टर का पालन नहीं हुआ तो सेवा समाप्ति सबंधी कारण बताओ नोटिस सभी प्रशिक्षण अधिकारियों को जारी होना था। सूचना के अधिकार से प्राप्त जानकारी के अनुसार जावक पंजी में वर्ष 2013 में नियुक्त सभी प्रशिक्षण अधिकारियों के नाम दर्ज किए गए, किंतु 723 में से केवल उन 50 प्रशिक्षण अधिकारी को ही पंजीकृत डाक से नोटिस भेजा गया जिनके पदोन्नति हेतु माननीय उच्च न्यायालय ने आदेश दिए थे। शेष प्रशिक्षण अधिकारियों को आज तक नोटिस नहीं भेजा गया । यह प्रमाणित करता की विभाग के कुछ अधिकारियों द्वारा माननीय उच्च न्यायालय की शरण लेने वाले प्रशिक्षण अधिकारीयों को जानबूझकर सुनियोजित तरीके से प्रताड़ित किया जा रहा है। माननीय उच्च न्यायालय ने भी इस नोटिस को स्पष्ट तौर पर प्रीडिटरमाइन करार दिया है। ऐसे दुर्भावना एवं द्वेष पूर्णनीति अपनाकर चुनिंदा कर्मचारियों को प्रताड़ित करने वाले अधिकारियों के विरुद्ध जांच होना चाहिये ।
• सोचने वाली बात है कि इतनी पक्षपात एवं अनहित करने वालेस्थापना प्रभारी के उप्पर आज पर्यंत तक कोई कार्यवाही नहीं हुई एवं प्रभार पर क्यों रखा जा रहा है।अब देखने वाली बात यह है कि शासन प्रशासन ऐसे अधिकारी को अभी भी पद पर रखते है पद से हटा कर किसी अन्य न्यायसंगत अधिकारी को पद पर रखने का कार्य करते है ।
Tagsछत्तीसगढ़ न्यूज हिंदीछत्तीसगढ़ न्यूजछत्तीसगढ़ की खबरछत्तीसगढ़ लेटेस्ट न्यूजछत्तीसगढ़ क्राइमछत्तीसगढ़ न्यूज अपडेटछत्तीसगढ़ हिंदी न्यूज टुडेछत्तीसगढ़ हिंदीन्यूज हिंदी न्यूज छत्तीसगढ़छत्तीसगढ़ हिंदी खबरछत्तीसगढ़ समाचार लाइवChhattisgarh News HindiChhattisgarh NewsChhattisgarh Ki KhabarChhattisgarh Latest NewsChhattisgarh CrimeChhattisgarh News UpdateChhattisgarh Hindi News TodayChhattisgarh HindiNews Hindi News ChhattisgarhChhattisgarh Hindi KhabarChhattisgarh News Liveदिन की बड़ी ख़बरअपराध खबरजनता से रिश्ता खबरदेशभर की बड़ी खबरताज़ा समाचारआज की बड़ी खबरआज की महत्वपूर्ण खबरहिंदी खबरजनता से रिश्ताबड़ी खबरदेश-दुनिया की खबरराज्यवार खबरहिंदी समाचारआज का समाचारबड़ा समाचारनया समाचारदैनिक समाचारब्रेकिंग न्यूजBIG NEWS OF THE DAYCRIME NEWSLATEST NEWSTODAY'S BIG NEWSTODAY'S IMPORTANT NEWSHINDI NEWSJANATA SE RISHTABIG NEWSCOUNTRY-WORLD NEWSSTATE-WISE NEWSTODAY NEWSNEWS UPDATEDAILY NEWSBREAKING NEWS
Shantanu Roy

Shantanu Roy

    Next Story