- बिरगांव मेयर-अध्यक्ष के चुनाव में आपस में उलझते रहे कांग्रेसी
- नाराज कार्यकर्ताओं ने पार्टी ध्वज का किया अपमान
- विधायक और विधायक पुत्र पर लगाया तानाशाही का आरोप
- कांग्रेस-भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच हुई झड़प
- देवजी भाई पटेल को बाहर निकालने कांग्रेसी पुलिस का घेरा तोडकऱ अंदर घुस गए
ज़ाकिर घुरसेना
रायपुर। बिरगांव में निकाय चुनाव के बाद महापौर और सभापति चुनाव में कार्यकर्ताओं की नहीं सुनने के साथ ग्रामीण विधायक और विधायक पुत्र ने तानाशाहीपूर्ण रवैया अपना कर अपने करीबियों को पदासीन करने की जिद के कारण पार्टी ध्वज का अपमान हुआ। नाराज कार्यकर्ताओं ने विधायक और विधायक पुत्र के रवैये पर नाराजगी जताते हुए जमकर नारे बाजी करने के बाद भी जब मन नहीं भरा तो पार्टी ध्वज को कुचल दिया। विधायक के करीबी रहे वार्ड पार्षद इकराम को चुनाव से पहले सभापति बनाने की चर्चा चल रही थी, लेकिन अचानक विधायक पुत्र ने कृपाराम का नाम आगे बढ़ा दिया जिससे कांग्रेसी कार्यकर्ता बर्दाश्त नहीं कर पाए। वहीं सुबह से ही भाजपा-जोगी कांग्रेस और कांग्रेसी कार्यकर्ताओं किसी न किसी बात पर झड़प होते रही। मामला उस समय और गरमा गया जब भाजपा पार्षदों के साथ बीजेपी के ही नेता देवजी भाई पटेल कंट्रोल रूम के भीतर घुसने लगे इस पर कांग्रेसियों ने जमकर हंगामा किया। वहीं देवजी भाई पटेल को बाहर निकालने के लिए कांग्रेसियों ने पुलिस का घेरा तोड़ कर चैनल गेट से अंदर घुस गए। देवजी पटेल को निकालने के लिए भाजपा कार्यकर्ता भी नारेबाजी करते हुए अंदर चले गए। इस दौरान दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं के बीच जमकर तू-तू-मैं-मैं देख ने को मिला। वहीं भारी हंगामे के बीच देवजी पटेल को पुलिस की सुरक्षा के बीच बाहर निकाला गया। इसके बाद काफी देर तक भाजपा और कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के बीच नारेबाजी होती रही।
महापौर चुनाव के दौरान भाजपा के कार्यकर्ताओं द्वारा निगम परिसर में जमकर जिंदाबाद के नारे लगाए जा रहे थे, लेकिन जैसे ही महापौर चुनाव का परिणाम आया तो भाजपा के खेमें में मायूसी छा गई और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं द्वारा जिंदाबाद के नारे लगाना शुरू कर दिया। वहीं दूसरी तरफ बिरगांव निगम का अध्यक्ष पद का टिकट न मिलने पर इकराम अहमद के कार्यकर्ताओं ने नाराजगी व्यक्त की। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने वार्ड में विधायक पिता-पुत्र के लगे पोस्टर और झंडे को फाड़ डाला।
निगम में महापौर और सभापति पद के उम्मीदवारों के चुनाव के बाद बवाल रोकने के दिए हिदायत काम नहीं आया। यहां कांग्रेस पार्षद इकराम अहमद के समर्थकों ने कांग्रेस पार्टी के खिलाफ ही नारेबाजी कर दी। समर्थकों में संगठन के प्रति इस कदर नाराजगी देखी गई कि उन्होंने विधायक पुत्र की तस्वीर और पार्टी का झंडा भी तोडकऱ जमीन पर फेंका और उसे पैरों से रौंदने लगे।
बवाल का मुख्य कारण बीरगांव के वार्ड नंबर 28 के इकराम अहमद को सभापति नहीं बनाने को लेकर था। बीरगांव नगर निगम में सभापति के लिए कांग्रेस की तरफ से कृपाराम निषाद का नाम भेजा गया। इकराम के दावेदारी की चर्चा थी। महापौर नंदलाल देवांगन को चुने जाने के बाद कृपाराम को 26 वोट के साथ सभापति बना दिया गया। अब कृपाराम को सभापति बनाने का ही इकराम के समर्थक विरोध कर रहे हैं।
इकराम अहमद और कांग्रेस के वरिष्ट नेता है और तीसरी बार के पार्षद है मुस्लिम बाहुल वार्ड के पार्षद चुने जाने के बाद से ही इकराम अहमद का नाम सभापति के लिए तय माना जा रहा था, क्योंकि एक चुनावी सभा में ंमुख्यमंत्री ने पिछड़ा वर्ग से महापौर बनाने की घोषणा की थी। उम्मीद में कांग्रेस को सभी वार्डों में भरपूर समर्थन दिया था। जब सभापति का नाम फाइनल हुआ तब इकराम अहमद आगे चल रहे थे। अचानक रायपुर ग्रामीण के विधायक और विधायक पुत्र ने इकराम अहमद को न बनाते हुए किसी दूसरे नाम को सभापति के लिए आगे कर दिया। जिससे इकराम अहमद के समर्थकों ने नाराजगी जाहिर करते हुए विधायक और उनके पुत्र के खिलाफ नारेबाजी की । इसके बावजूद पार्षद इकराम अहमद ने खामोश रहते हुए पार्टी के हर निर्णय के प्रति निष्ठा जताई। वहां पर उपस्थित एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने उन्हें भरोसा दिलाया कि आने वाले निगम मंडल में उन्हें समायोजित किया जायेगा। वहां पर उपस्थित लोगों को ये भी कहते हुए सुना गया इसका खामियजा विधायक को आगामी चुनाव में भुगतना पड़ेगा। बीरगांव चुनाव का जिम्मा संभाल रहे कांग्रेस विधायक ने कहा- इस प्रकरण की जानकारी नहीं है। इकराम बेहद सज्जन पार्षद हैं। हो सकता है कि उनका विरोधी समर्थक बनकर कुछ और हुडदंगाइयों ने ऐसा किया हो। मैं जानकारी ले लूंगा।
बीरगांव में नंदलाल देवांगन ही महापौर कृपाराम बने सभापति
रायपुर के बीरगांव नगर निगम में कांग्रेस के नंदलाल देवांगन ने ही जीत दर्ज की है। उन्होंने भाजपा उम्मीदवार पतिराम साहू को 10 वोट के अंतर से हरा दिया। महापौर पद के लिए कांग्रेस ने नंदलाल देवांगन को उम्मीदवार बनाया था। कांग्रेस को यहां 40 में से 25 वोट मिले। इसमें 6 निर्दलीय पार्षद भी शामिल हैं। वहीं भाजपा प्रत्याशी को महज 15 वोट ही मिले हैं। 3 निर्दलीय पार्षद पहले ही कांग्रेस में शामिल हो चुके थे। बाद में अन्य तीन ने भी कांग्रेस को समर्थन कर दिया।
सभापति पद पर भी कांग्रेस ने कब्जा कर लिया है। कांग्रेस के सभापति पद के उम्मीदवार कृपाराम निषाद ने जेसीसीजे के एवज देवांगन को हरा दिया है। बीजेपी के समर्थन के बावजूद एवज के पक्ष में केवल 14 वोट पड़े। जबकि कांग्रेस उम्मीदवार को 26 वोट मिले। सभापति चुनाव में बीजेपी या जोगी कांग्रेस के किसी पार्षद ने क्रॉस वोटिंग की है। महापौर चुनाव के लिए जोगी कांग्रेस ने भी बीजेपी को समर्थन दिया था, जबकि सभापति पद के लिए भाजपा जोगी कांग्रेस को समर्थन कर रही थी। उधर, कांग्रेस की तरफ से कृपाराम निषाद को सभापति पद के लिए उम्मीदवार बनाया गया था। जोगी कांग्रेस के समर्थन के बाद ही महापौर चुनाव में भाजपा के पक्ष में 5 और वोट जुड़ गए थे और भाजपा प्रत्याशी को कुल 15 वोट मिले थे। भाजपा के यहां 10 पार्षद ही जीतकर आए थे। जोगी कांग्रेस के 05 पार्षद भी चुनाव जीतकर आए थे। इसी वजह से जोगी कांग्रेस ने भी सभापति पद के लिए अपना उम्मीदवार खड़ा किया था।नंदलाल देवांगन वार्ड 25 से तीसरी बार चुनाव जीतकर आए थे। वे रायपुर ग्रामीण से कांग्रेस विधायक के करीबी हैं। महापौर चुनाव के रिजल्ट आने के बाद कांग्रेसियों ने बीरगांव में जश्न मनाना शुरू कर दिया है। नंदलाल के महापौर बनने के बाद कांग्रेस नेताओं ने उन्हें मिठाई खिलाई।