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छत्तीसगढ़
जनता कोरिया। वन मण्डल मनेंद्रगढ़ अंतर्गत वन परिक्षेत्र मनेंद्रगढ़ का महत्वपूर्ण वनोपज जांच नाका अपने अस्तित्व से ले कर आज तक बिजली का मुंह देखने को तरस रहा है। राष्ट्रीय राजमार्ग 43 कटनी - गुमला मुख्य मार्ग में मनेंद्रगढ़ शहर से लगा ग्राम पंचायत लालपुर में वन विभाग का वनोपज जांच नाका लगा हुआ है।
जहाँ पर विभाग के कर्मचारी रात दिन तैनात रह कर लकड़ी तस्करी एवं अन्य संदिग्ध गतिविधि पर नज़र रखते हैं। मगर विभाग की बेरुखी के कारण कर्मचारी अंधकार में रहने को मजबूर है। ऐसा नहीं कि आसपास बिजली का साधन नहीं होने के कारण वनोपज जांच नाका में बिजली की सुविधा नहीं मिल पा रही है।
फॉरेस्ट जांच नाका के पीछे एक खम्भा लगने से बिजली की समस्या को दूर किया जा सकता है। मगर विभाग की उदासीनता के कारण वनोपज जांच नाका लालटेन युग में बना हुआ है। बिना तकनीकी ज्ञान के घने जंगलों में सड़क व भवन बनाने में माहिर विभाग शहर से लगे वनोपज जांच नाका की समस्या को दूर करने में दिलचस्पी न लेना कहीं ना कहीं लकड़ी के अवैध कारोबारियों की राह आसान करने जैसा प्रतीत होता है।
जांच नाका राष्ट्रीय राजमार्ग में होने की वजह से उच्च अधिकारियों का आना- जाना लगा रहता है। स्वयं विभाग के मुखिया जांच नाका पंजी निरीक्षण में अपने मोबाइल के रोशनी का प्रयोग करते नजर आए है। मगर नाका में तैनात वन कर्मचारी अंधेरे में कैसे काम करते हैं इस बात को जानना जरूरी नहीं समझते ।
वही राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण के दौरान पूर्व में लगा नाका (बैरियर) को इस शर्त पर हटाया गया था कि शीघ्र ही नया बैरियर ठेकेदार द्वारा लगवा दिया जाएगा परंतु लगभग एक वर्ष बीत जाने के पश्चात भी विभाग ठेकेदार के भरोसे बैठा हुआ है और बिना बैरियर के ही वनोपज जांच नाका संचालित हो रहा है। बैरियर नहीं होने के फलस्वरूप वाहन धड़ल्ले से पार हो रहे हैं। वनोपज जांच में तैनात वन कर्मी के सामने मूक दर्शक बनने के अलावा कोई चारा नहीं रहता है।
Shantanu Roy
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