छत्तीसगढ़

आज भी आदतों में शामिल है तेरे कूचे से होकर घर जाना...

Nilmani Pal
17 Dec 2021 5:32 AM GMT
आज भी आदतों में शामिल है तेरे कूचे से होकर घर जाना...
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क।

जाकिर घुरसेना-कैलाश यादव

विधानसभा सत्र के तीसरे दिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भाजपा विधायकों के साथ केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला। सीएम ने कहा कि संविदान के अनुच्छेद एक में लिखा है कि भारत राज्यों का संघ है, लेकिन यहां तो संघियों की सरकार चल रही है। जनता में खुसुर-फुसर है कि विधानसभा और लोकसभा में आमजनता के लिए कुछ राहतपूर्ण कामकाज होंगे कि बस यहीं हंगामा हमारे पैसों पर होता रहेगा। केंद्र सरकार राज्यों के हितों में अतिक्रमण कर रहा है। काले कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले किसानों को आतंकवादी और आंदोलन जीवी कहा गया। लेकिन पांच राज्यों में चुनाव का मुद्दा सामने आया तो माफी मांग कर कृषि कानूनों को वापस ले लिया। असल में भाजपाई माफीजीवी है सावरकर ने भी माफी मांगी थी। पुरानी आदत जल्दी जाती नहीं इसी पर किसी ने ठीक ही कहा है -आज भी आदतों में शामिल है तेरे कूचे से होकर घर जाना...

केंद्र सरकार को लिखी चिठ्ठी की सुनवाई ही नहीं हुई

छत्तसीगढ़ में सरकार अतिआवश्यक जरूरतों को लेकर केंद्र सरकार से मिलने वाले ग्रांट को लेकर एक साल में 30 चिठ्ठी लिखी लेकिन केंद्र के दरबार में कोई सुनवाई नहीं हुई। जनता में खुसुर-फुसुर है कि केंद्र सरकार सिर्फ गुजरात मॉडल पर सुनवाई करती है, या फिर आडानी-अंबानी हो, इसके अलावा किसी की भी चिठ्ठी को तवज्जो नहीं देती है। जनता जानना चाहती है कि आखिर केंद्र में किसकी सरकार है, भाजपा की या आडानी-अंबानी की। जिसके एक बात पर सरकार फिदा हो जाती है,कोई भी फैसला ले लेती है।

शहादत की आग ठंडी नहीं हुई और चलवा दिया बुलडोजर

भाजपा चाल चरित्र हाथी के दांत के समान है जो दिखाने के कुछ और खाने के कुछ होते है। सीडीएस जनरल विपिन रावत के घर पर जबरन मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार ने बुलडोजर चलवा दिया। कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह इस मामले में शिवराज सरकार को पर जमकर बोला। जनता में खुसुर-फुसुर है कि भाजपा क्यों शहीदों के नाम पर आंसू बहाने का ढोंग करती है। विपिन रावत के शहादत के कुछ दिन बाद ही उनके ससुर की समाधी के साथ सैकड़ों पेड़ों को नष्ट कर दिया। भाजपा सरकार के मंत्री नरोत्तम मिश्रा सफाई दे रहे है कि मेरे संज्ञान में लाए बिना कोई कार्रवाई नहीं करने के निर्देश दिए है। यहीं भाजपा का दोहरा चरित्र है। कहती कुछ है, और करती कुछ और है।

खेल में राजनीति : विराट-गांगुली, कौन सच्चा-कौन झूठा

खेल और राजनीति का चोलीदामन का संबंध है। बीसीसीआई क्रिकेट की नान राजनीतिक संस्था है जो खिलाडि?ों को देश के लिए खेलने की प्रेरणा देती है। हाल ही में विराट के कप्तानी में हुए मैचों में लगातार हार से विचलित बीसीसीआई ने जो फैसले लिए उसे लेकर विराट और सौरभ गांगुली में टकराव शुरू हो गए है। जिसके तल्खी वाले बयान मीडिया में आ गया है। भारतीय क्रिकेट बोर्ड और भारतीय क्रिकेट में कप्तानी को लेकर टकराव शुरू हो गए है। विराट कोहली को वन-डे टीम की कप्तानी से हटाने जाने के बाद आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि क्रिकेट में राजनीति से ज्यादा पैसा होने के बाद भी राजनीति क्यों? कहीं तो बख्शो,ं नहीं दो देश में क्रिकेट की हो रही किरकिरी विदेशों में पहुंच जाएगी जिसका असर खिलाडि?ों पर पड़ेगा, वे अपना स्वभाविक खेल नहीं खेल पाएंगे।

कांग्रेस सरकार के तीन साल-भाजपा बेकरार

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की भूपेश बघेल के नेतृत्व वाले सरकार के तीन साल 17 दिसंबर को पूरा हो रहा है। जिसमें सरकार की उपलब्धियों और गुणगान को लेकर विपक्षी भाजपाइयों के शीर्ष नेतृत्व से लेकर प्रादेशिक इकाई कांग्रेस को सत्ता बाहर करने के लिए बेकरार है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि कांग्रेस सरकार के खिलाफ बड़े-बड़े मुद्दे होने के बाद की गुटबाजी की शिकार भाजपा अपनी बात जनता के पास नहीं रख सकी। यहां तक की नगरीय निकाय चुनाव में आपसी गुटबाजी से नहीं उबर सकी है जिसका असर परिणाम पर दिखाई देगा। 15 साल सत्ता में रहने वाले नए नवेले नेता जैसे व्यवहार करने लगे है। अनुभव और संकल्प तो दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रहा है।

हुक्का वालों को होगा हुक्कापानी बंद

प्रदेश में युवाओं के टशन के प्रतीक बने चुके हुक्का गुड?ुड़ाने का फैशन अब कानून के दायरे में आ गया है। प्रदेश में हुक्काबार के संचालन पर कड़ा प्रतिबंध लगाने विधानसभा में विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिया है। पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र,राजस्थान के बाद छत्तीसगढ़ पांचवां राज्य बन गया जहां हुक्काबार के खिलाफ कानून लाया गया है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि यह विधेयक तो सरकार के पहले शुरूआती साल में ही लाया जा सकता था। लोगों का कहना है कि बहुत देर कर हुजुर आते-आते। हुक्काबार वाले जब कमाई कर लबालब हो गए, अब कानून बनाने से भावी पीढ़ी को फायदा मिलेगा। वे पब और होटल जाने के बजाय स्कूल और कालेजों में दिखाई देंगे।

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