छत्तीसगढ़

गुणवत्ता जांचने वालों को भी नहीं दिखता घटिया निर्माण

Nilmani Pal
6 Dec 2021 6:16 AM GMT
गुणवत्ता जांचने वालों को भी नहीं दिखता घटिया निर्माण
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प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में भारी बंदरबाट

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना अधिकारियों और ठेकेदारों के लिए धन कमाने का सबसे आसान रास्ता बना हुआ है। सड़कों के निर्माण में भ्रष्टाचार और घटिया निर्माण को लेकर लगातार मिल रही शिकायतों और धरातल भी सड़कों की हालत देखकर भी आज तक न ही सरकार और न ही संबंधित विभागों ने कभी किसी शिकायत को गंभीरता से ली है और न ही केन्द्र सरकार के नोडल अधिकारी और हर तीन महीने में निर्माणाधीन सड़कों की मानिटरिंग करने वाले गुणवत्ता निरीक्षक ही सड़कों की भौतिक सत्यापन कर घटिया निर्माण और गड़बडिय़ों को लेकर अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की है। परिणाम राज्य में इस योजना के तहत बनाई गई हजारों किलोमाटर की पक्की और कांक्रीट सड़कें भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई हैं। सारे नियम-कायदों को ताक पर रखकर गुणवत्ताहीन सड़कों का निर्माण किया गया है। सड़क निर्माण में न तो ग्रेडिंग किया गया है और न लेबल मिलाया गया है। जिससे नवनिर्मित सड़कें उबड़-खाबड़ हैं और धसने लगी हैं। सड़क निर्माण में अधिकारियों की मिलीभगत से ठेकेदारों ने भारी लापरवाही की है। गरियाबंद जिले में जिस तरह की सड़कों का निर्माण हुआ कमोबेश पूरे राज्य में इस योजना के तहत सड़कों का यही हाल है। सरकार और विभाग ने जहां बजट जारी कर टेंडर की प्रक्रिया के बाद अपनी आंखें मूंद लीं वहीं मैदानी स्तर पर तैनात अधिकारियों ने ठेकेदारों के साथ मिलकर योजना की राशि की जमकर लूट की और यह बदस्तूर जारी है। गरियाबंद के देवभोग ब्लाक में जिस अधिकारी ने पिछले 25 सालों से अपने पांव जमा रखे हैं उसने ने सिर्फ अपने अधिकार क्षेत्र में अपितु राज्य के दूसरे क्षेत्रों में भी अपना दबदबा बना रखा है उसके संरक्षण में अधिकारी-ठेकेदार भ्रष्टाचार का खुला खेल खेल रहे हैं। सरकार-मंत्री से बेखौफ उक्त अधिकारी का जादू उच्चाधिकारियों पर भी ऐसा चलता है कि विभाग में उसने अपना सिक्का जमा लिया है। सूचना के अधिकार के तहत न संबंधित कार्यालय और न ही मुख्यालय से भी सही जानकारी उपलब्ध नहीं कराई जाती।

निर्माण पूरा होने से पहले ही दम तोड़ रही सड़कें

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत सड़क निर्माण कार्य में ठेकेदार व प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अधिकारियों द्वारा जमकर भ्रष्टाचार कर स्तरहीन निर्माण सामग्री का उपयोग कर सड़क निर्माण कराया जा रहा है। प्रदेश में हर जगह सड़कें बनायी गई एवं पांच साल के मेंटनेन्स सहित संविदा की पूर्ति भी गई है, किन्तु भ्रष्टाचार के कारण सड़कें केवल नाम मात्र के लिए ही निर्मित की गई, जिसमें भारी भ्रष्टाचार हुआ। गुणवत्ताहीन सड़क निर्माण से कुछ महीनों में ही सड़कों पर दरारें आ रहीं हैं और जगह-जगह धंसने भी लगी हैं। योजना के तहत बनी सड़कों का कमोबेश पूरे प्रदेश में एक जैसा हाल है। अधिकारियों ने इस योजना को तिजोरी भरने का माध्यम बनाकर ठेकेदारों को घटिया निर्माण करने का लाइसेंस दे दिया है। जो सड़कें वर्तमान में बन रही हैं उसकी गुणवत्ता निर्माण स्थलों का निरीक्षण कर जांचा जा सकता है वहीं कुछ साल बनी सड़कों की दुर्दशा घटिया निर्माण की कहानी खुद ही बयां कर रही हैं। पांच साल तक सड़कों के मेंटनेंस की जिम्मेदारी भी ठेकेदार पूरा नहीं कर रहे हैं। राज्य निर्माण के साथ ही जब से योजना शुरू हुई है अधिकारियों की मिलीभगत से ठेकेदारों ने जमकर कमाई की है। राज्य सरकार और लोक निर्माण विभाग भ्रष्टाचार की शिकायतों को संज्ञान में लेने की जगह ठेकेदारों और कमीशन खोर अधिकारियों को उपकृत कर रहा है। सड़क घोटालों को छुपाने के लिए राज्य सरकार मरम्मत के लिए भी टेंडर जारी कर उन्हें कमाई का मौका देती है जिससे करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है।

निर्माण कार्यों की नहीं हो रही मानिटरिंग

केन्द्र सरकार ने इस भ्रष्टाचार और घोटालों को रोकने के लिए एक देख-रेख समिति बनाई, लेकिन छत्तीसगढ़ में इस समिति को कोई निगरानी कार्य नहीं सौपा गया। इस योजना में कार्य कर रहे की अधिकारी सालों से एक ही स्थान पर जमे हुए हैं, जिनके कभी ट्रांसफर हुए भी वे कुछ ही महीने में पुन: उन्ही इलाकों में पदस्थ हो गए। पीएमजीएसवाई के अंतर्गत बनायी गई सड़कें बहुत कम समय में खराब होने व गुणवत्ताहीन निर्माण की शिकायते लगातार ग्रामीण राज्य सरकार के साथ केन्द्र सरकार से भी कर रहे हैं। पीएमजीएसवाई के तहत केन्द्र को सड़कों के निर्माण में घटिया सामग्री उपयोग किए जाने सहित कार्यों की खराब गुणवत्ता से संबंधित कई गंभीर शिकायतें मंत्रालय को मिली हैं। कई बार निविदा तथा ठेका प्रबंधन एवं गुणवत्ता नियंत्रण सहित कार्यक्रम के जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई करने के लिए राज्य सरकार को आदेशित भी किया गया तथा राज्यों से ये अपेक्षा की गई है कि वे ऐसे मामलों पर सख्त कार्रवाई करें। बावजूद अधिकारी शिकायतों पर परदा डालकर ठेकेदारों को मनमाने ढंग से काम करने की छूट देकर भ्रष्टाचार का मौका दे रहे हैं।

एक भी ठेकेदार पर कार्रवाई नहीं

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत सड़क निर्माण में लगीं एजेंसियों और ठेकेदारों के खिलाफ भ्रष्टाचार और गड़बडिय़ों की शिकायत पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। योजना के शुरू होने के साथ ही प्रदेश में हजारों किमी सड़कें बनाई गई और बनाई जा रही हैं। जिसमें सैंकड़ों की तादात में कई श्रेणी के ठेकेदार लगे हुए हैं। अब तक बनी लगभग 70 फीसदी से ज्यादा सड़कों के घटिया निर्माण को लेकर ग्रामीणों ने आवाज बुलंद की है, कई निर्माणाधीन सड़कों में गुणवत्ता हीन और घटिया मटेरियल के साथ सड़कों के निर्माण को लेकर मीडिया में खबरें आ रही है. ग्रामीण इसे लेकर प्रदर्शन और अधिकारियों को ज्ञापन भी सौंप रहे हैं लेकिन किसी भी शिकायत पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। आज तक किसी ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट तक नहीं किया गया है। मैदानी स्तर पर जमे अधिकारी उच्चाधिकारियों से सेटिंग कर ठेकेदारों को मोटे कमीशन लेकर शिकायतों पर परदा डाल रहे हैं।

केन्द्र-राज्य सरकार करें जांच

छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में भ्रष्टाचार की जांच करनी चाहिए। एसई, ईई, एसडीओ, ठेकेदार के साथ विभाग के उच्चाधिकारी सीईओ और टेंडर डिपार्टमेंट की मिलीभगत से ही हजारों करोड़ के घोटाले को अंजाम दिया जा रहा है। योजना के तहत बनाई गई सड़कों की सही मानिटरिंग और निर्माण कार्य की जांच नहीं होने से अधिकार-ठेकेदार बेखौफ हो कर सरकारी रकम डकार रहे हैं। केन्द्र सरकार की जांच एजेंसियों ईडी, आईटी और सेंट्रल विजिलेंस को स्वत: योजना में लगे अधिकारी और ठेकेदारों की संपत्ति की जांच करनी चाहिए। वहीं राज्य सरकार को भी अपनी जांच एजेंसियों के माध्यम से अलग से जांच कर अनियमितता करने वाले अधिकारियों और ठेकेदारों पर कार्रवाई करनी चाहिए।

गुणवत्ता निरीक्षक भी कर रहे सिर्फ खानापूर्ति

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत निर्माणाधीन सड़कों की गुणवत्ता जांच के लिए गुणवत्ता निरीक्षक हर तीन महीने में जायजा लेते हैं, बाकायदा सरकार इसकी सूचना भी जारी करती है कि ये गुणवत्ता निरीक्षक इस तारीख को इस सड़क की गुणवत्ता जांच करेंगे, संबंधित शिकायत इनसे की जा सकती है। लेकिन वास्तविकता यह है कि गुणवत्ता निरीक्षक भी अधिकारियों से कागजों पर सड़कों की स्थिति देखकर खानापूर्ति कर रहे हैं। सड़कों की गुणवत्ता जांचने न तो भौतिक सत्यापन करते हैं न लोगों की निर्माण कार्यो को लेकर राय लेते हैं। कार्यालय में ही अधिकारियों-ठेकेदारों के साथ बैठकर गुणवत्ता का प्रमाण बांट कर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर लेते हैं। यही कारण है कि आज तक किसी अधिकारी-ठेकेदार पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है न बड़ा जुर्माना लगाया है। प्रदेश में शिकायतों की भरमार के बीच एक भी सड़क दोबारा बनाए जाने का उदाहरण नहींं है। कोई सड़क अगर दोबारा बनी भी तो उसके लिए नए टेंडर कर दोबारा राशि स्वीकृत की गई तब जाकर सड़क दोबारा बनाई गई है।

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