छत्तीसगढ़

बिलासा लोककला सम्मान से सम्मानित हुए डॉ.पुरुषोत्तम चंद्राकर

Nilmani Pal
20 Feb 2023 9:20 AM GMT
बिलासा लोककला सम्मान से सम्मानित हुए डॉ.पुरुषोत्तम चंद्राकर
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बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के कला संस्कृति के विकास में निरंतर किए जा रहे उत्कृष्ट कार्य एवं सेवा के लिए छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ लोक कलाकार डॉ. पुरुषोत्तम चंद्राकर को बिलासा लोककला सम्मान से सम्मानित किया गया। यह प्रतिष्ठित सम्मान 33वॉ बिलासा कला मंच द्वारा बिलासपुर के पं. देवकीनंदन दीक्षित कन्या शाला परिसर बृहस्पति बाजार बिलासपुर में मुख्य अतिथि शैलेश पांडे विधायक बिलासपुर, अध्यक्ष प्रवीण झा जी समाजसेवी, विशिष्ट अतिथि डॉ अजय पाठक वरिष्ठ साहित्यकार, राजेश सिंह पार्षद, नगर निगम बिलासपुर, इरशाद अली जी, डॉ. सोमनाथ यादव संस्थापक एवं समस्त बिलासा कला मंच परिवार बिलासपुर के कार्यकर्ता की उपस्थिति में प्रदान किया गया।

इस अवसर पर डॉक्टर पुरुषोत्तम चंद्राकर द्वारा देशभर के विभिन्न महोत्सव लोकोत्सव एवं पर्व में छत्तीसगढ़ की कला संस्कृति को सुंदर ढंग से प्रस्तुत करने एवं छत्तीसगढ़ की कला संस्कृति को संरक्षित एवं संवर्धित करने का कार्य कर रहे हैं। बिलासा लोक कला महोत्सव में डॉ. पुरुषोत्तम चंद्राकर कृत लोकरंजनी लोककला सांस्कृतिक समिति रायपुर द्वारा शानदार सांस्कृतिक प्रस्तुति दिया गया हजारों की संख्या में आए दर्शकों ने कार्यक्रम का भरपूर आनंद उठाया। कार्यक्रम में लोकरंजनी लोककला सांस्कृतिक समिति रायपुर के 25 कलाकारों द्वारा छत्तीसगढ़ के समृद्ध पारंपरिक लोकगीत नृत्य, सुवा, करमा, ददरिया, पंथी, भोजली, राउत नाचा, फाग गीत, तथा छत्तीसगढ़ की पावन सरिता नदियों, पहाड़ पर्वत, देव तीर्थ स्थालो, तीज त्योहारों एवं स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान देने वाले महापुरुषों के अवदान को सुंदर गीत संगीत एवं नृत्य के माध्यम से लयबद्ध कर लोकरंजनी लोककला सांस्कृतिक मंच द्वारा प्रस्तुत की गई। संगीत में गुडूम, डफला, मोहरी, डमऊ, निशान, मंजीरा का विशेष उपयोग करते हैं आगे डा. पुरुषोत्तम चंद्राकर ने बताया कि कला के प्रति मेंरा रूझान बचपन से रहा है गांव के रामलीला एवं नाचा में बचपन से ही विभिन्न पात्र की भूमिका करते रहे लोककला मंच के माध्यम से छत्तीसगढ़ की लोककला संस्कृति को संरक्षित संवर्धित करने निरंतर प्रयास करते हुए समाज में फैली हुई कुप्रथा छुआछूत, भेदभाव, अंधविश्वास दूर करने, बेटी बचाने बेटी पढ़ाने, जल संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण, नदी नालों का संरक्षण के साथ सामाजिक कुरीतियों, नशा मुक्त भारत का काम कर रहे हैं डॉ. पुरुषोत्तम चंद्राकर ने कहा कि सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए फूहड़ता का सहारा लेना ठीक नहीं है। नए कलाकारों को इस क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा आना चाहिए छत्तीसगढ़ में लोक कला संस्कृति की बहुत अच्छी संभावनाएं हैं इसे प्रोफेशनल रूप से बहुत अच्छा करियर बना सकते हैं।

मंच पर लोकरंजनी के संचालक वरिष्ठ लोक गायक डॉ. पुरुषोत्तम चंद्राकर, नृत्य निर्देशक रोहित साहू संगीत पक्ष में शंकर, मंशा, अर्जुन, कोमल, पवन, छतराम, गायक, बाहरू यादव, गायिका पुनेश्वरी बारले, पुष्पा साहू, नृत्य पक्ष में खुशबू, माया, भूमिका, दुर्गा, ज्योति, मनीषा, अजय, अनिल, महेंद्र, देव की विशेष भूमिका रही एवं कार्यक्रम में समा बांध दिये।

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