छत्तीसगढ़

मंत्री रविन्द्र चौबे के विभागों के लिए 8834.7 करोड़ रूपए की अनुदान मांगे पारित

Shantanu Roy
15 March 2022 3:11 PM GMT
मंत्री रविन्द्र चौबे के विभागों के लिए 8834.7 करोड़ रूपए की अनुदान मांगे पारित
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रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज कृषि एवं जैव प्रौद्योगिकी, पशुधन विकास, मछलीपालन, जल संसाधन, आयाकट और संसदीय कार्य मंत्री श्री रविन्द्र चौबे के विभागों के लिए कुल 8834 करोड़ 69 लाख 73 हजार रूपए की अनुदान मांगे ध्वनिमत से पारित की गईं। इनमें राज्य विधान सभा के लिए 69 करोड़ 43 लाख 60 हजार रूपए, कृषि के लिए 5306 करोड़ 59 लाख 32 हजार रूपए, पशुपालन विभाग से संबंधित व्यय के लिए 468 करोड़ 88 लाख सात हजार रूपए, मछलीपालन के लिए 83 करोड़ 82 लाख 56 हजार रूपए, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा से संबंधित व्यय के लिए 272 करोड़ 12 हजार रूपए, जल संसाधन विभाग के लिए 1182 करोड़ 59 लाख 73 हजार रूपए, लघु सिंचाई निर्माण कार्य के लिए 759 करोड़ 65 लाख 33 हजार रूपए, जल संसाधन विभाग से संबंधित नाबार्ड से सहायता प्राप्त परियोजनाओं के लिए 689 करोड़ 71 लाख रूपए तथा जल संसाधन विभाग से संबंधित विदेशों से सहायता प्राप्त परियोजनाओं के लिए दो करोड़ रूपए की अनुदान मांगे शामिल हैं।

कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने विभागीय अनुदान मांगों पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान राज्य है। गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ के संकल्प के साथ पूरे देश में छत्तीसगढ़िया किसानों ने पहचान बनाई है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में हमारी सरकार ने शासन में आते ही किसानों के अल्प कृषि ऋण को माफ किया। कई वर्षो से लंबित सिंचाई कर को माफ किया। किसानों से समर्थन मूल्य में धान खरीदी के साथ-साथ राजीव गांधी किसान न्याय योजना के माध्यम से अंतर की राशि देने का काम किया।
श्री चौबे ने कहा कि देश में छत्तीसगढ़ के किसानों को फसल की सबसे ज्यादा कीमत मिल रही है। पिछले तीन सालों में तमाम चुनौतियों के बावजूद प्रदेश में खेती के रकबे व किसानों की संख्या में वृद्धि हुई है। मिलेट मिशन के तहत कोदो-कुटकी और रागी को भी समर्थन मूल्य पर खरीदने का काम राज्य सरकार कर रही है। सरकार की इन नीतिगत फैसलों के कारण किसानों की जेब में सीधा पैसा गया, किसान समृद्ध और खुशहाल हुए हैं। श्री चौबे ने बताया कि खरीफ विपणन वर्ष 2021-22 में राज्य के किसानों से 98 लाख मीटरिक टन धान खरीदकर उनके बैंक खातों में 20 हजार करोड़ रूपए डालने का काम किया गया है। राज्य सरकार ने खेती-किसानी को लाभकारी बनाया है।
श्री चौबे ने सदन में कहा कि राज्य सरकार प्रदेश के किसानों की आर्थिक उन्नति के लिए संकल्पित है। विगत तीन वर्षों से विभिन्न किसान हितैषी योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है। वर्ष 2022-23 में प्रदेश के कुल बजट एक लाख चार हजार करोड़ रूपए में से किसानों के लिए लगभग दस हजार 100 करोड़ रूपए का प्रावधान कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन एवं मछलीपालन सहित विभिन्न योजनाओं के लिए रखा गया है। इस वर्ष के बजट प्रावधानों में कृषि के बजट में पांच प्रतिशत, उद्यानिकी में 0.68 प्रतिशत और मछलीपालन में 7.55 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की गई है।
मंत्री श्री चौबे ने कहा कि राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत खरीफ वर्ष 2020 में 20 लाख 59 हजार से अधिक किसानों को तीन किश्तों में 4523 करोड़ 76 लाख रूपए की इनपुट सब्सिडी दी जा चुकी है। आगामी वित्तीय वर्ष 2022-23 में किसान न्याय योजना के तहत इनपुट सब्सिडी के लिए छह हजार करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। बस्तर एवं सरगुजा संभाग के चयनित विकासखण्डों में पोषण सुरक्षा, कृषकों की आर्थिक स्थिति में सुधार तथा कृषि उत्पाद के मूल्य संवर्धन से अतिरिक्त आय सृजन के लिए चिराग परियोजना के लिए 200 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है।
गन्ना उत्पादन एवं प्रोत्साहन योजना के लिए इस वर्ष 112 करोड़ रूपए प्रावधानित किए गए हैं। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत सिंचाई जल क्षमता में वृद्धि के लिए 100 करोड़ रूपए, एकीकृत वाटर प्रबंधन योजना के लिए 100 करोड़ रूपए तथा राज्य पोषित लघुत्तम सिंचाई तालाब निर्माण के लिए 18 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ावा देने जैविक खेती मिशन के लिए 18 करोड़ 65 लाख रूपए का प्रावधान किया गया है। मिट्टी के स्वास्थ्य की जांच एवं किसानों को स्वाइल हेल्थ कार्ड वितरित करने के लिए 21 करोड़ रूपए और दलहन-तिलहन प्रोत्साहन के लिए अक्ती बीज संवर्धन योजना हेतु 123 करोड़ 53 लाख रूपए प्रावधानित है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए इस वर्ष 575 करोड़ रूपए का बजट प्रावधान किया गया है। श्री चौबे ने कहा कि उद्यानिकी विभाग के अंतर्गत संचालित योजनाओं के माध्यम से फल-सब्जी, मसाले, पुष्प और सुगंधित औषधि आदि की खेती लगभग 31 हजार 320 हेक्टेयर क्षेत्र में लेने की कार्ययोजना तैयार की गई है। इस वर्ष इसके लिए 503 करोड़ 52 लाख रूपए का बजट प्रावधान किया गया है। इसके अलावा उच्च मूल्य वाली उद्यानिकी फसलों की संरक्षित खेती को बढ़ावा देने के लिए 28 करोड़ रूपए का भी प्रावधान किया गया है।
श्री चौबे ने सदन में कहा कि राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी सुराजी गांव योजना नरवा, गरवा, घुरवा, बारी के तहत भूमिहीन ग्रामीणों एवं कृषि मजदूरों व महिलाओं को गौठानों के माध्यम से रोजगार उपलब्ध करा रही है। प्रदेश में निर्मित 8349 गौठानों में 32 हजार 311 हितग्राहियों के साथ 3603 सामुदायिक बाड़िया संचालित हैं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार देश की पहली सरकार है जिसने गोबर खरीदी का निर्णय लिया है। इस योजना की प्रशंसा पूरे देश में हो रही है।
प्रदेश में कुल 10 हजार 551 गौठान स्वीकृत है, जिसमें 8349 गौठान का निर्माण कर 588 करोड़ 89 लाख रूपए की आधारभूत संरचना स्थापित की गई है। योजना के तहत अब तक 64 लाख 92 हजार क्विंटल गोबर का क्रय कर पशुपालकों, महिला स्व-सहायता समूहों व किसानों को 129 करोड़ 86 लाख रूपए का भुगतान किया जा चुका है। गोधन न्याय योजना से अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग सहित भूमिहीन मजदूरों व पशुपालकों को लाभ मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि हमारी सरकार द्वारा मछलीपालन को भी कृषि का दर्जा दिया गया है। मछलीपालकों को भी कृषकों की भांति अल्पकालीन ऋण सुविधा एवं बिजली में छूट प्रदान की जा रही है। मछलीपालन के माध्यम से लगभग सवा लाख से अधिक मछुआरों को स्व-रोजगार के साधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। मंत्री श्री चौबे ने कहा कि राज्य में कुल बोया गया क्षेत्र 55 लाख 40 हजार हेक्टेयर तथा निरा बोया क्षेत्र 46 लाख 53 हजार हेक्टेयर है। प्रदेश में सिंचाई क्षमता विकसित करने के उद्देश्य से वर्ष 2028 तक उपलब्ध सतही जल से 32 लाख हेक्टेयर रकबे में सिंचाई क्षमता प्राप्त कर शत-प्रतिशत सिंचाई क्षमता सृजन करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
वर्ष 2022-23 के बजट में जल संसाधन विभाग के लिए तीन हजार 323 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। इसके तहत सृजित सिंचाई और वास्तविक सिंचाई के अंतर को कम करने के साथ ही वृहद, मध्यम तथा लघु सिंचाई योजनाओं के नवीन निर्माण एवं जीर्णोंद्धार का कार्य किया जाएगा। श्री चौबे ने कहा कि पेयजल राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में है। जल संरक्षण एवं संवर्धन के लिए लोगों को जागरूक करने का कार्य किया जा रहा है। वर्तमान और भविष्य में जल की आवश्यकताओं, चुनौतियों और उनके समाधान को ध्यान में रखते हुए रणनीति बनाई जा रही है। श्री चौबे ने कहा कि सदन में सदस्यों द्वारा दिए गए सुझावों पर भी यथासंभव कार्यवाही की जाएगी।
विधानसभा में कृषि एवं जैव प्रौद्योगिकी, पशुधन विकास, मछलीपालन, जल संसाधन, आयाकट और संसदीय कार्य विभाग से संबंधित अनुदान मांगों पर चर्चा में विधायक बृजमोहन अग्रवाल, मोहन मरकाम, अजय चन्द्राकर, शैलेष पाण्डेय, सौरभ सिंह, दलेश्वर साहू, धरमजीत सिंह, प्रकाश शक्राजीत नायक, पुन्नुलाल मोहिले, केशव चन्द्रा, धरमलाल कौशिक, लक्ष्मी ध्रुव और श्रीमती इंदु बंजारे ने भाग लिया।
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