छत्तीसगढ़
चिह्नांकित केन्द्रों में शिशुवती माताओं व सभी बच्चों के पालकों को पोषण स्वच्छता संबंधी दी जा रही परामर्श
Shantanu Roy
4 Sep 2023 6:22 PM GMT
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बेमेतरा। जटिल चुनौतियों को हल करने के क्षेत्र में सरलता अक्सर सबसे प्रभावी समाधान के रूप में उभरती है। जब कुपोषण को संबोधित करने की बात आती है, तो पोषण परामर्श का सीधा दृष्टिकोण, मेहनती प्रगति निगरानी से पूरित, एक गेम-चेंजिंग रणनीति साबित हुई है। छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले का अनुभव इस प्रभावशाली हस्तक्षेप का एक आकर्षक उदाहरण है। पिछले कुछ वर्षों में, भारत सरकार ने खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं। प्रधानमंत्री की व्यापक पोषण योजना (पोषण) अभियान के तहत स्कूलों में मध्याह्न भोजन, मासिक राशन वितरण और आंगनवाड़ी केंद्रों पर पौष्टिक भोजन जैसी पहल की गई हैं। हालाँकि, इन उपायों के बावजूद, पोषण सुरक्षा की चुनौती बनी हुई है, जिसका मुख्य कारण उचित खान-पान और भोजन प्रथाओं के बारे में जागरूकता की कमी, लगातार भोजन संबंधी मिथक और अत्यधिक प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की बढ़ती खपत है। पोषण परामर्श इन जटिल मुद्दों का एक आशाजनक समाधान बनकर उभरा है।
इसी क्रम में बेमेतरा तहसील के आंगनबाड़ी केंद्रों में पोट्ठ लइका अभियान चलाया जा रहा है। जहां बेमेतरा व खण्डसरा परियोजना में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में 39 गांवों में पोट्ठ लइका अभियान की शुरुआत नवंबर 2022 से की गई है। बेमेतरा तहसील के समस्त आंगनबाड़ी केंद्रों में पोट्ठ लइका अभियान चलाया जा रहा है। जहां बेमेतरा व खण्डसरा परियोजना में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में बीस सेक्टरो में पोट्ठ लइका अभियान चलाया जा रहा है। जिले में अक्टूबर 2021 से गंभीर कुपोषित बच्चों को गर्म खिचड़ी एवं सप्ताह में तीन दिवस अण्डा, केला व सप्ताह में तीन दिवस चना व गुड़ दिया जा रहा है। बेमेतरा एसडीएम सुरुचि सिंह ने बताया कि बताया की पोट्ठ लईका अभियान के तहत प्रारंभ माह दिसंम्बर 2022 से अब तक खण्डसरा व बेमेतरा परियोजना अंर्तगत 1114 लक्षित मध्यम, लक्षित गंभीर व मध्यम व गंभीर कुपोषित बच्चो मे से 599 बच्चे कुपोषण से मुक्त होकर सामान्य ग्रेड मे आ गये है। इस प्रकार प्रतिशत में देख जाये तो 53.77 प्रतिशत बच्चे सामान्य श्रेणी मे आ गये हैं। प्रत्येक शुक्रवार को चिह्नांकित केन्द्रों में पर्यवेक्षकों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं, सक्रिय महिला सदस्य, मितानिनों, पंच, सरपंच की सहभागिता से गर्भवती, शिशुवती माताओं व सभी बच्चों के पालकों को पोषण एवं स्वच्छता संबंधी परामर्श दिया जाता है। इसमें पृथक से अन्य खाद्य सामग्री न देकर आंगनबाड़ी केन्द्रों में उपलब्ध रेडी टू ईट के महत्व को बताया जाता है। उन्होंने बताया कि यूनिसेफ की सहयोग से प्रारंभ इस अभियान के परिणाम भी आ रहे है।
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Shantanu Roy
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