x
एनआरडीए ने 50 से अधिक को नोटिस जारी कर मांगा जवाब
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। नवा रायपुर की बसाहट बढ़ाने के लिए यहां पर रियल एस्टेट, औद्योगिक और स्कूल बनाने के लिए एनआरडीए ने लोगों को जमीन आबंटन में रियायत दी थी। जमीन लेने के बाद यहां पर काम की शुरुआत नहीं करने वाले करीब 50 लोगों को अंतिम नोटिस जारी किया है। अगर इसके बाद भी बिल्डर्स ने अपने प्रोजेक्ट शुरू करने में रुचि नहीं दिखाई, तो जमीनें वापस लेने की कार्रवाई भी की जा सकती है। एनआरडीए के सीईओ अय्याज तंबोली ने बताया कि कुछ बिल्डर्स ने अपने प्रोजेक्ट शुरू नहीं किए हैं। अब उन्हें नोटिस जारी किया जा रहा है। एनआरडीए का फोकस शहर में बसाहट, उद्योगों और रोजगार सृजन पर है। अगर उद्योग स्थापित होंगे, तो लोगों का रहना भी शुरू होगा, इसी दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। जल्द ही इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आएंगे।
नवा रायपुर में अब तक निजी व सरकारी निवेश और इंफ्रास्ट्रक्चर में खर्च की गई राशि 10 हजार करोड़ से भी अधिक है। नवा रायपुर में वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम, निजी यूनिवर्सिटी, ट्रिपल आईटी भवन, मंत्रालय, संचालनालय, जंगल सफारी, 6 लेन चौड़ी सडक़ें, विद्युतीकरण, इंटरटेनमेंट जोन, सत्य सांई हॉस्पिटल, बाल्को कैंसर अस्पताल आदि शामिल हैं। आबादी नहीं आने की वजह से निवेश करने वाले घराने भी घाटे में चल रहे हैं। छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर शहर को बसाने निजी और सरकारी योजनाओं के लिए जमीनें भी आबंटित की गईं। इतना सब करने के बावजूद नवा रायपुर में बसाहट तो दूर, जिन योजनाओं के लिए जमीनें दी गईं, वहां नींव तक नहीं रखी जा सकीं। एनआरडीए में विभागीय प्रक्रिया की शुरुआत कर दी गई है। कोरोना काल शुरू होने के बाद से यहां डेढ़ साल से कई सरकारी और निजी कार्य बंद पड़े हैं। बसाहट बढ़ाने नया रायपुर के नियोजन क्षेत्र को तीन परतों में बांटा गया है। मास रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (एमआरटीएस) को सुविधाजनक बनाने और बुनियादी ढांचे और सुविधाओं की योजना बनाने में आसानी के लिए नवा रायपुर को रैखिक आकार में डिजाइन किया गया है।
अधर में रीयल एस्टेट प्रोजेक्ट
नवा रायपुर को बसाने के लिए सरकारी प्रोजेक्ट तो तैयार हुए ही, कमर्शियल और रेसिडेंसियल प्रोजेक्ट भी तैयार किए गए। रीयल एस्टेट प्रोजेक्ट के लिए बिल्डर्स को कम कीमत पर जमीनें भी उपलब्ध कराई गईं। कई रीयल एस्टेट प्रोजेक्ट वर्तमान में अधर में हैं। लगभग 1500 करोड़ से अधिक के प्रोजेक्ट में अब तक नींव तक नहीं रखी जा सकी। पांच साल बीत जाने के बावजूद निर्माण की शुरुआत नहीं हो सकी है। ऐसे में शहर बसाने की योजना खटाई में पड़ती नजर आ रही है।
कोरोना के चलते इंफ्रास्ट्रक्चर, रेलवे लाइन और निजी प्रोजेक्ट पहले ही बंद
नवा रायपुर का काम पूरी तरह ठप हो गया है। शासन ने तीन माह पहले यानी 26 अप्रैल को लॉकडाउन के साथ ही नवा रायपुर में निर्माण रोकने का फैसला इसलिए लिया ताकि कोरोना से लडऩे की व्यवस्था के लिए 1497 करोड़ (करीब डेढ़ हजार करोड़ रुपए) बचाए जा सकें। लेकिन जैसे ही नवा रायपुर में राजभवन, सीएम हाउस, मंत्री बंगले, सर्किट हाउस और अफसर बंगलों का काम रोका गया, पूरे शहर के बाकी काम भी ठप हो गए। वहां डाली जा रही रेलवे लाइन और स्टेशन का काम रुक गया है। बसाहट में देरी के अंदेशे से प्रदेश में रियल एस्टेट के 5 बड़े प्लेयर्स ने अपने प्रोजेक्ट रोक दिए हैं। विधानसभा का 250 करोड़ का टेंडर रद्द कर दिया गया है। यही नहीं, इनकी वजह से सड़क, पानी और बिजली जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर के जरूरी काम भी रुक गए हैं। यही नहीं, बड़ा मसला यह आ गया है कि ठेकेदारों ने अब तक हुए काम के एवज में 70 करोड़ रुपए का पेमेंट मांगा तो एनआरडीए ने फंड की कमी बताकर हाथ उठा दिए हैं। जानकारों के मुताबिक निर्माण चालू करने का फैसला भी होता है तो कई एग्रीमेंट रद्द करने और नए टेंडर की प्रक्रिया में नवा रायपुर का विकास कम से कम एक साल और ठप रहने वाला है। नवा रायपुर में अभी मंत्रालयीन कर्मचारियों को मिलाकर 5 हजार परिवार रह रहे हैं। इनके लिए बुनियादी सुविधाएं जरूरी हैं, लेकिन सड़क, सीवरेज, पानी, बिजली के कम इसलिए बंद हैं क्योंकि एनआरडीए के पास पैसे नहीं हैं, और शासन से इसके लिए दिया जाने वाले 24 करोड़ रुपए भी रोक दिए गए हैं। मंत्रालय (महानदी) व एचओडी बिल्डिंग (इंद्रावती) समेत सरकारी इमारतों के मेंटेनेंस पर सालाना होने वाला लगभग 34 करोड़ रुपए का भुगतान भी अटका हुआ है। एनआरडीए संबंधित ठेका एजेंसियों को पेमेंट नहीं कर पा रहा है, इसलिए ठेकेदारों ने भी काम रोक दिया है।
Admin2
Next Story