राजनांदगांव। राजनीतिक रूप से बहुचर्चित छुरिया नगर पंचायत अध्यक्ष की कांग्रेस समर्थित अध्यक्ष राजकुमारी सिन्हा के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव में विपक्ष में मत पडऩे से उन्हें अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी। पिछले तीन माह से अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने के लिए मुहिम चल रही थी। प्रशासन की ओर से लेटलतीफी किए जाने से मामला लंबित था। सोमवार को छुरिया नगर पंचायत में 15 पार्षदों में से सिर्फ 5 पार्षदों ने अध्यक्ष श्रीमती सिन्हा के पक्ष में वोट किए। वहीं 10 पार्षदों ने उनके विरूद्ध मतदान किया। जिसके चलते उन्हें अपनी कुर्सी छोडऩी पड़ गई।
बताया जा रहा है कि एक पार्षद ने क्रॉस वोटिंग भी किया है। जिससे सिन्हा को 5 मत मिले। अगले दो माह तक कार्यवाहक अध्यक्ष के जिम्मे नगर पंचायत का संचालन होगा। बताया जा रहा है कि नाराज पार्षदों को मनाने के लिए कांग्रेस संगठन की मेहनत पानी में चली गई। कांग्रेस और भाजपा पार्षदों ने एकजुट होकर अध्यक्ष को पद से हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाया था। इसी के साथ श्रीमती सिन्हा को अपनी कुर्सी से हाथ धोना पड़ा। सिन्हा पहले कार्यकाल में 5 साल अध्यक्ष रही है। मौजूदा कार्यकाल में उन्हें साढ़े 3 साल से ज्यादा का वक्त मिला। वर्तमान कार्यकाल में छुरिया में राजनीतिक रूप से काफी उठापटक रही। कांग्रेस की गुटीय लड़ाई पूरे चरम पर रही। माना जा रहा है कि कांग्रेस के एक गुट ने सिन्हा को पदच्युत करने के लिए अंदरूनी रूप से अभियान छेड़ रखा था। कहा जा सकता है कि कांग्रेस की आपसी लड़ाई से एक महत्वपूर्ण नगर पंचायत की कुर्सी हाथ से चली गई।