तृतीय राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के पहले दिन राजधानी रायपुर के साइंस कालेज मैदान में जबरदस्त माहौल देखने को मिला. महोत्सव के पहले दिन विभिन्न राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के साथ ही विदेशी कलाकारों ने अपने नृत्य कौशल से सभी को अचंभित किया. महोत्सव के दौरान जनजातीय कलाकारों ने खेती, पर्व, अनुष्ठान एवं विवाह से संबंधित नृत्य कलाओं का प्रदर्शन कर लोगों को अपनी तरफ आकर्षित किया.
केरल राज्य के जनजातीय कलाकार पनिया निरूथम नृत्य लेकर मंच पर उपस्थित हुए थे. यह नृत्य पारंपरिक अनुष्ठानों के उपर आधारित है. केरल में पनिया का अर्थ पहला आदिवासी होता है. इसके बाद मिजोरम के कलाकार मंच पर अपने नृत्य को लेकर आए. चिराग नृत्य शैली को प्रदर्शित कर मिजोरम के कलाकारों ने समां बांधा. इस नृत्य को बंबू डांस के रूप में भी जाना जाता है. चिराग नृत्य जनजातीय प्राचीन नाट्य शैली है. यह नृत्य मुख्यत: फसल कटाई और वैवाहिक अनुष्ठान पर आयोजित होता है. लक्षद्वीप के जनजातीय कलाकारों ने भी अपने प्रसिद्ध लावा नृत्य प्रदर्शन कर लोगों का दिल जीता. यह नृत्य धीमी गति से प्रारंभ होकर विलंबित और फिर द्रुत नृत्य में परिवर्तित होता है जिसको देखकर रोमांच उत्पन्न होता है.