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मुजफ्फरनगर के पूर्व सांसद कादिर राणा सईदुज्जमा समेत 6 पर आरोप तय

Teja
2 Aug 2023 6:44 PM GMT
मुजफ्फरनगर के पूर्व सांसद कादिर राणा सईदुज्जमा समेत 6 पर आरोप तय
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सांसद : विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट ने पूर्व सांसद कादिर राणा, सईदुज़्ज़मा सहित छह लोगों पर आरोप तय कर दिए। आरोप है कि 2004 में आयोजित हुई चुनावी सभा को रोकने पहुंचे अफसरों के कार्य में बाधा डालते हुए उन पर हमला किया गया था। मुजफ्फरनगर में वर्ष 2004 में शहर कोतवाली के फक्करशाह चौक पर बिना अनुमति चुनावी सभा कर सरकारी काम मे बाधा डालते हुए अधिकारियों पर हमला करने का आरोप लगा था। इस मामले में पुलिस ने मुकदमा दर्ज कराते हुए पूर्व सांसद कादिर राणा, सईदुज़्ज़मा, एहसान कुरेशी, सलीम अहमद और सादिक सहित 6 लोगों के विरुद्ध विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था। 2 महीने पहले सिविल जज सीनियर डिविजन कोर्ट के जज मयंक जायसवाल ने सभी आरोपियों पर धारा-188, 353 व 392 के तहत आरोप तय कर दिये थे। निचली अदालत के इस फैसले के विरुद्ध बचाव पक्ष ने उच्च अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जिसके बाद कोर्ट में निचली अदालत को फिर से सुनवाई करने का आदेश दिया था। बुधवार को मामले की सुनवाई विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट सिविल जज सीनियर डिवीजन मयंक जायसवाल ने की। बचाव पक्ष की ओर से जानकारी दी गई कि कोर्ट ने सुनवाई के बाद केवल आईपीसी की धारा 353 के तहत ही आरोप तय किए।आरोप है कि 2004 में आयोजित हुई चुनावी सभा को रोकने पहुंचे अफसरों के कार्य में बाधा डालते हुए उन पर हमला किया गया था। मुजफ्फरनगर में वर्ष 2004 में शहर कोतवाली के फक्करशाह चौक पर बिना अनुमति चुनावी सभा कर सरकारी काम मे बाधा डालते हुए अधिकारियों पर हमला करने का आरोप लगा था। इस मामले में पुलिस ने मुकदमा दर्ज कराते हुए पूर्व सांसद कादिर राणा, सईदुज़्ज़मा, एहसान कुरेशी, सलीम अहमद और सादिक सहित 6 लोगों के विरुद्ध विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था। 2 महीने पहले सिविल जज सीनियर डिविजन कोर्ट के जज मयंक जायसवाल ने सभी आरोपियों पर धारा-188, 353 व 392 के तहत आरोप तय कर दिये थे। निचली अदालत के इस फैसले के विरुद्ध बचाव पक्ष ने उच्च अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जिसके बाद कोर्ट में निचली अदालत को फिर से सुनवाई करने का आदेश दिया था। बुधवार को मामले की सुनवाई विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट सिविल जज सीनियर डिवीजन मयंक जायसवाल ने की। बचाव पक्ष की ओर से जानकारी दी गई कि कोर्ट ने सुनवाई के बाद केवल आईपीसी की धारा 353 के तहत ही आरोप तय किए।

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