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बेगूसराय। प्रगतिशील लेखक संघ (प्रलेस), जनवादी लेखक संघ (जलेस) एवं जन संस्कृति मंच (जसम) के संयुक्त तत्वावधान में हिन्दी के शीर्षस्थ आलोचक साहित्यकार डॉ. मैनेजर पांडेय की श्रद्धांजलि सभा का आयोजन मंगलवार को रिफाइनरी टाउनशिप सूरज भवन में किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत उनके तैल चित्र पर पुष्पांजलि तथा समापन एक मिनट का मौन रखकर किया गया। इस अवसर पर जसम के राज्य सचिव दीपक सिन्हा ने उनके साथ अपने वैचारिक सरोकार से संबद्ध स्मृतियों को ताजा करते हुए कहा कि मैनेजर पांडेय हिन्दी के शीर्षस्थ आलोचक और सिद्धांतकार थे। उनके निधन से हिन्दी आलोचना की अपूरणीय क्षति हुई। जलेस के राज्य सचिव कुमार विनीताभ ने कहा कि हिन्दी की प्रगतिशील जनवादी आलोचना को समृद्ध करने में डॉ. मैनेजर पांडेय का योगदान सदा स्मरणीय रहेगा। साहित्य के समाज शास्त्रीय अध्ययन को एक गंभीर शाखा के रूप में स्थापित करने में उनकी अहम भूमिका थी।
प्रलेस के राज्य कोषाध्यक्ष ललन लालित्य ने कहा कि मैनेजर पांडेय अध्ययन एवं अध्यापन की व्यस्तताओं के बाबजूद साहित्य आलोचना में निरंतर रचनात्मक रूप से हस्तक्षेप करते रहे। जीडी कॉलेज के हिन्दी प्राध्यापक डॉ. अभिषेक कुन्दन ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि डॉ. पांडेय पश्चिम की कई बहसों, सैद्धांतिक प्रस्थानों और भारतीय संदर्भ में उनकी उपयोगिता-अनुपयोगिता से हिन्दी की दुनियां को परिचित कराया। भक्ति काव्य से लेकर लोकप्रिय साहित्य तक उनकी आलोचना का दायरा अत्यंत विस्तृत था, उनके साहित्यिक और वैचारिक अवदान सदा प्रासंगिक रहेगें। इस मौके पर जलेस के जिला सचिव राजेश कुमार, प्रलेस के उपाध्यक्ष कन्हाई पंडित, कार्यकारिणी सदस्य अमर शंकर झा सुब्बा, प्रत्यक्ष गवाह के संपादक पुष्कर प्रसाद सिंह, गोपाल कुमार झा, अजय कुमार, शिवेश्वर राय, राकेश श्रीवास्तव, बैजू सिंह एवं चन्द्रदेव वर्मा समेत अन्य ने श्रद्धा निवेदित किया। स्मृति सभा की अध्यक्षता प्रलेस के जिला उपाध्यक्ष रंगकर्मी अनिल पतंग, जलेस के कार्यकारी जिलाध्यक्ष डॉ. चंद्रशेखर चौरसिया एवं जसम के जिलाध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा की अध्यक्ष मंडली तथा संचालन ललन लालित्य ने किया।
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