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बिहार | पर्यावरण में बदलाव हो रहा है. खेती में नयी तकनीकों का इस्तेमाल समय की मांग है. खासकर खेती-बाड़ी में रासायनिक की जगह जैविक खाद का प्रयोग सबसे बेहतर विकल्प है. इससे उत्पाद की गुणवत्ता अच्छी रहती है. नालंदा के किसान जैविक खेती में काफी बेहतर कर रहे हैं. इसे आगे भी अनवरत जारी रखने की जरूरत है.
यह सलाह किसानों को कृषि निदेशालय पटना के संयुक्त निदेशक (रासायन) सह वरीय प्रभारी पदाधिकारी (जैविक खेती) विजेन्द्र चौधरी और सहायक निदेशक डा नेहा पांडेय ने दी. दोनों अधिकारियों द्वारा जिले के नगरनौसा प्रखंड के रामचक एवं उस्मानपुर तथा चंडी के अनंतपुर व रुखाई में की जा रही जैविक खेती का निरीक्षण किया गया. नालंदा के 28 समूहों को जैविक प्रमाणन एजेंसी बसोका द्वारा कुछ माह पहले ही सी-3 सर्टिफिकेट दे दिया गया है. जैविक खेती का उन्होंने जायजा लिया. किसानों से मिलकर उन्हें प्रोत्साहित किया.
12 प्रखंडों में खेती का विस्तार नये वित्तीय वर्ष 2022-23 व 23-24 के लिए जिले के 12 प्रखंडों और प्रखंडों में जैविक खेती शुरू करायी गयी है. प्रथम वर्ष में किसानों को इनपुट अनुदान मुहैया करा दिया गया है. दोनों अधिकारियों ने चिह्नित की गयी प्रतिष्ठानों द्वारा वितरीत की जा रही जैविक उत्पादकों का भी मुआयना किया. बाद में संयुक्त निदेशक ने जिला कृषि कार्यालय में डीएओ महेन्द्र प्रताप सिंह के साथ बैठक की. जैविक खेती को बढ़ावा के लिए उन्हें कई निर्देश दिये. उन्होंने जिला कृषि कार्यालय कैंपस में खोले गये जिले के पहले जैविक आउटलेट्स का मुआयना किया. डीएओ ने कहा कि जिले के किसान जैविक खेती के प्रति काफी उत्साहित हैं. विभाग के स्तर पर उन्हें हर जरूरी मदद पहुंचायी जा रही है. मौके पर जैविक कॉरिडोर के नोडल पदाधिकारी पुरुषोत्तम कुमार थे.
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Harrison
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