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बिहार शहर में धूल-प्रदूषण से 15 दिन में ही चौक-चौराहे पर ट्रैफिक ड्यूटी में तैनात होमगार्ड जवान बीमार पड़ जा रहे हैं. उनमें खांसी, अस्थमा, नेत्र रोग व एलर्जी आदि की शिकायत बढ़ रही है. ब्रह्मपुरा और मिठनपुरा में अधिक धूल व प्रदूषण है. 40 से अधिक जवानों ने ट्रैफिक के बजाय थाने में ड्यूटी देने का आग्रह होमगार्ड कमांडेंट से किया है.
जानकारी के मुताबिक, ट्रैफिक पुलिस के जवान जिले में नहीं हैं. जवानों के रिटायर होने के बाद से सभी पद रिक्त हैं. इसलिए ट्रैफिक ड्यूटी के लिए होमगार्ड से जवानों को लिया जा रहा है. ज्यादातर होमगार्ड जवान 50 वर्ष के पार के हैं. इसलिए उन्हें लगातार सड़क पर आठ घंटे भीड़-भाड़ के बीच ट्रैफिक ड्यूटी के दौरान धूल व प्रदूषण से एलर्जी हो रही है.
ड्यूटी चार्ज के अनुसार एक जगह पर अधिकतम दो माह ही होमगार्ड जवान की तैनाती होगी, लेकिन स्थिति यह है कि तैनाती होने के बाद अक्सर 15 से 20 दिन में ही जवान दूसरी जगह तैनाती के लिए आग्रह करने लगते हैं.
जवानों की संख्या भी स्वीकृत पद से कम
जिले में पुलिस बल के जवानों की संख्या भी स्वीकृत पद से कम हैं. थानों में जवानों की संख्या की भरपाई होमगार्ड जवानों से की जा रही है. बड़ी संख्या में होमगार्ड जवान थानों में तैनात किए गए हैं. थानों की ड्यूटी ही उन्हें ज्यादा सहज लगती है. इसमें गाड़ियों पर गश्ती के लिए निकलना होता है. इस कारण धूल से अधिक परेशानी नहीं होती है.
सेहत के लिए ठीक नहीं शहर की हवा
शहर की हवा अब भी सेहत के दृष्टिकोण से ठीक नहीं है. भी अधिकतम एक्यूआई सौ के पार रहा. हवा में धूल-कण की अधिकता से लोग परेशान रहे. कई प्रमुख इलाकों में स्प्रिंक्लर से पानी का छिड़काव भी नहीं हुआ.
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