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पटना, (आईएएनएस)| बिहार के राज्यपाल फागू चौहान ने शनिवार को कहा कि मानवाधिकारों की रक्षा के लिए अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहें और दूसरों के अधिकारों का भी सम्मान करें। उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों को किसी व्यक्ति का जन्मजात अधिकार माना जाता है।
बिहार मानवाधिकार आयोग के 14 वर्ष पूरे होने के अवसर पर पटना में आयोजित एक समारोह को सम्बोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि मानवाधिकारों को किसी व्यक्ति का जन्मजात अधिकार माना जाता है।
उन्होंने कहा कि हमेशा और सभी जगह मिलने वाले ये अधिकार सबके लिए समान होते हैं तथा किसी व्यक्ति को रंग, नस्ल, धर्म, जाति, लिंग, भाषा, सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति या अन्य आधारों पर इनसे वंचित नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति या राज्य किसी व्यक्ति से इन अधिकारों को छीन नहीं सकता है।
राज्यपाल ने कहा कि व्यक्ति के इन्हीं अधिकारों को संरक्षित करने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा के द्वारा 10 दिसम्बर, 1948 को मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा की गयी तथा मनुष्य की गरिमा और अधिकारों के मामले में समानता दी गई।
राज्यपाल ने कहा कि मानवाधिकारों की रक्षा किसी व्यक्ति के गरिमापूर्ण विकास, सामाजिक प्रगति व प्रतिष्ठा तथा जीवन के स्तर को बेहतर बनाने के लिए अनिवार्य है तथा राज्य का प्रमुख दायित्व है कि वह नागरिकों के इन अधिकारों का संरक्षण सुनिश्चित करे।
राज्यपाल ने कहा कि मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए बिहार मानवाधिकार आयोग सतत प्रयत्नशील है। आयोग द्वारा मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों में त्वरित तथा कई महत्वपूर्ण मामलों में स्वत: संज्ञान लेकर भी कार्रवाई की जाती है।
इस मौके पर बिहार मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष विनोद कुमार सिन्हा ने राज्यपाल को पौधा और शॉल भेंट कर सम्मानित किया।
राज्यपाल ने बिहार मानवाधिकार आयोग की स्मारिका का विमोचन किया तथा निबंध एवं चित्रांकन आदि से संबंधित प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कृत भी किया।
--आईएएनएस
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Rani Sahu
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