बिहार | अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण मंत्री संतोष कुमार सुमन उर्फ संतोष मांझी के इस्तीफे से खाली हुई कुर्सी उसी कुनबे में रह गई। रत्नेश सदा उर्फ रत्नेश सादा को जदयू ने अपने कोटे से मंत्री पद देने की घोषणा की है। रत्नेश सदा 13 साल से विधायक हैं और जदयू के महादलित प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष के नाते अनुसूचित जाति-जनजाति का मामला ही देख रहे हैं। इनकी कुल संपत्ति 1.3 करोड़ है। 13 जून को इनका नाम मंत्री के रूप में तय हुआ।बिहार के सहरसा में सोनवर्षा राज विधानसभा के जदयू विधायक रत्नेश सदा के मंत्री बनने को लेकर लोगों में काफी उत्साह है। एनडीए सरकार में जब नीतीश कुमार मुख्यमंत्री थे, तब सहरसा के भाजपा विधायक डॉ. आलोक रंजन मंत्री थे। नीतीश कुमार जब महागठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री बने तो सहरसा से मंत्री किसी को नहीं रखा गया। महागठबंधन सरकार बनने के करीब 10 महीने के बाद मंत्री बनाए जाने को लेकर खुशी का माहौल् है।
सोनवर्षा राज सुरक्षित विधानसभा सीट है। मतलब, यहां अनुसूचित जाति-जनजाति के ही प्रतिनिधि चुने जाते हैं। जदयू कोटे की इस सीट से विधायक रत्नेश सदा महिषी थाना क्षेत्र अंतर्गत बलिया सिमर गांव के रहने वाले हैं। वह सहरसा के कहरा कुटी स्थित वार्ड नं 6 में रहते हैं। चुनाव आयोग में दायर हलफनामे के अनुसार उनकी शैक्षणिक योग्यता स्नातक है और उनकी उम्र 49 साल है। उनकी कुल घोषित चल-अचल संपत्ति 1.30करोड़ है। उनके ऊपर कोई आपराधिक मामला नहीं है। विधायक रत्नेश सदा को तीन बेटे और दो बेटियां हैं।
जदयू विधायक रत्नेश सदा का राजनीतिक सफर 1987 से शुरू हुआ। तब वह सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में जाने जाते थे। बाद में वह जदयू के कई संगठनों में सक्रिय रहे। विधायक रत्नेश सदा जदयू महादलित प्रकोष्ठ के अध्यक्ष हैं और इससे पहले वह पार्टी में उपाध्यक्ष समेत अन्य पदों पर भी रह चुके हैं। पहली बार वह सोनवर्षा राज 2010 में जदयू के विधायक बने। उसके बाद 2015 और 2020 में भी वह चुने गए। लगातार तीन बार विधायक रत्नेश सदा मुसहर समाज में अच्छे पढ़े-लिखे के रूप में जाने जाते हैं।