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हिंदी विभाग के प्रमुख प्रो. इब्राहीम पाठक ने किया।
मधुबनी: ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के पीयाग हिंदी विभाग में एवं छात्रों के बीच सह काव्य पाठ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के प्रशिक्षक विभागाध्यक्ष प्रो. रमेश कुमार ने की. इस अवसर पर हिंदी विभाग के महत्वाकांक्षी 'किसलय' पत्रिका के उद्घाटन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विवि के पूर्व मानविकी डीन एवं हिंदी विभाग के प्रमुख प्रो. इब्राहीम पाठक ने किया।
प्रो. पाठक ने कहा कि व्यक्ति को किसी तरह का नहीं, बल्कि व्यक्ति को उस तरह का होना चाहिए। राजेंद्र कॉलेज, चापरा से जुड़े एक वृतांत की चर्चा करते हुए कहा कि हिंदी बोलना अत्यंत दुष्कर है। प्रो. पाठक ने कहा कि महादेवी वर्मा की हिंदी का लोहा सभी मानते थे। दिनकर की कविता को उद्धरित करते हुए उन्होंने कहा कि आज के भूमंडलीकरण को उन्होंने सबसे पहले ही पहचान लिया था। विद्या से भाषा आती है. भाषा मनुष्य का सबसे बड़ा आविष्कार है। विद्यार्थियों से उन्होंने कहा कि यह भाषा उन्हें अधिकार देने की आवश्यकता है, क्योंकि यह अतुल कीर्ति दाता है। प्रो. पाठक ने कहा कि भविष्य हिंदी का है, इसके बिना किसी का भी काम नहीं चलेगा। हिंदी रोटी खाते हैं, लेकिन रोटी खाने वालों का संस्कार पास नहीं होता, वे ही वर्गीकृत होते हैं। दुनिया में हर सातवां आदमी हिंदी बोलता है, इससे ही हिंदी की मोटी गति का अंदाजा लगाया जा सकता है।
विभागाध्यक्ष प्रो. रमेश कुमार ने कहा कि साहित्य कभी रुकता नहीं, इसलिए हिंदी कभी रुकती नहीं। हिंदी को संयुक्त राष्ट्र में आधिकारिक तौर पर विचारधारा के रूप में जारी रखने के लिए सतत विदेश मंत्रालय का प्रयास किया जाता है। यह अंग्रेजी दस्तावेज़ से खो जाता है। सच तो यह है कि हिंदी का दायरा संपूर्ण विश्व में व्याप्त है। नई शिक्षा नीति पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि हिंदी रीडिंग की नींव खत्म कर दी गई है जो कि स्टॉकहोम है।
जनाब की भाषा हिंदी है
बीज वक्ता डॉ. सुन्दर प्रसाद सुमन ने कहा कि हिंदी जनभाषा है. यहां की जनता ने इस भाषा का विकास किया है। हिंदी हिंदी भी है. इस भाषा में अमीर खुसरो और सरहपा दोनों के गले मिलते हुए नजर आते हैं। जिन लोगों का हिंदी से कोई लेना-देना नहीं वे हिंदी के नाम पर राजनीति करते हैं। हिंदी जनांदोलनों की भाषा है. कार्यक्रम में बड़ी संख्या में अन्य खोजों के छात्रों ने भाषण काव्य और पाठ्य प्रतियोगिता में भाग लिया। राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. मुनेश्वर यादव, डॉ. मुकुंद बिहारी वर्मा, कृष्णा अनुराग, अभिषेक कुमार सिन्हा, सियाराम मुखिया, दुर्गानंद ठाकुर, सुकंल रजक, अनुराधा प्रसाद, रोहित कुमार, भद्र कुमारी सहित कई शिक्षाविद, शोधार्थी और छात्र-छात्रा कार्यक्रम में शामिल हुए थे।
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Ritisha Jaiswal
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