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गया। जिस बोधगया की भूमि पर ज्ञान प्राप्त कर सिद्धार्थ भगवान बुद्ध हो गए, उसी बोधगया क्षेत्र के छात्रों को ज्ञान प्राप्त करने में कठिनाई हो रही है. सवाल ज्ञान प्राप्त करने का भी है और डिग्री का भी है. तीन साल के स्नातक का कोर्स 5 साल में भी पूरा नहीं हो पा रहा है. जबकि स्नातक रजिस्ट्रेशन की वेलिडिटी भी 5 साल की ही होती है. इससे छात्र परेशान रह रहे हैं. यहां के मगध विश्वविद्यालय के स्नातक के छात्रों की डिग्री 5 साल में भी नहीं पूरी हो पा रही है. ऐसे में हजारों-हजार छात्रों को भविष्य में मिलने वाली डिग्री भी सवालों के घेरे में रहेगी.
ज्ञान भूमि बोधगया के गया-डोभी रोड पर स्थित मगध विश्वविद्यालय की स्थापना 1 मार्च 1962 को हुई थी. स्थापना काल से लेकर कई दशक तक बिहार के सबसे बड़े विश्वविद्यालय का दर्जा मगध विश्वविद्यालय को प्राप्त था. लेकिन इस समय मगध विश्वविद्यालय में शैक्षणिक और बुनियादी व्यवस्था का घोर अभाव है. विश्वविद्यालय में कक्षा और परीक्षा दोनों सत्र काफी लेट हैं. गया स्थित मगध यूनिवर्सिटी उन्हीं सरकारी यूनिवर्सिटी में शामिल हैं, जहां पहले परीक्षा नहीं ली जाती है और अगर परीक्षा ली जा रही है तो रिजल्ट घोषित करने में सालों लग जाता है. छात्रों का कहना है कि जिन्होंने साल 2018 में स्नातक में दाखिला लिया था, उनका अभी सकेंड ईयर का भी रिजल्ट घोषित नहीं हुआ है. यहां नामांकित करीब 2-3 लाख छात्रों का भविष्य अंधकार में है.
माइग्रेशन सर्टिफिकेट के लिए मची होड़
छात्रों का आरोप है कि मगध यूनिवर्सिटी में एग्जामिनेशन और एकेडमिक कैलेंडर विलंब होने की समस्या कोई नया नहीं है. जब भी परीक्षा ली जाती है, उसका रिजल्ट समय पर नहीं निकला है. यह समस्या सत्र 2018 और सत्र 2019 में दाखिले लेने वाले छात्रों की है. नतीजा यह कि अब यहां के छात्र माइग्रेट करने को मजबूर हैं. प्रतिदिन हजारों की संख्या में छात्र यहां से माइग्रेशन सर्टिफिकेट ले रहे हैं.
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