बिहार
अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस पर वृद्धों के स्वास्थ्य जांच व इलाज को लेकर विशेष चिकित्सीय पखवाड़ा
Shantanu Roy
1 Oct 2022 6:21 PM GMT
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अररिया। हरेक साल एक अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस मनाया जाता है। इस मौके पर बुजुर्गों के सेहत से जुड़ी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग द्वारा कई जरूरी पहल किये जा रहे हैं।आगामी 14 अक्टूबर तक जिले में अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस पखवाडा आयोजित किया जा रहा है। इस दौरान जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में वृद्धों को निःशुल्क स्वास्थ्य जांच व परामर्श की सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी। सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह ने बताया कि हर साल 01 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस मौके पर सभी सरकारी अस्पतालों में वृद्धजनों के लिए महत्वपूर्ण व जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं का संचालन किया जाता है। उन्होंने कहा कि वृद्धावस्था में शारीरिक शक्ति कमजोर पड़ने लगती है।इससे शरीर पर कई रोगों का खतरा बढ़ जाता है।मधुमेह, उच्च रक्तचाप, गठिया, पार्किंसन्स, मनोभ्रंश, अल्जाइमर, हृदय रोग, आंख-कान-नाक व गला संबंधी रोगों से बुजुर्गों के ग्रसित होने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिये बुजुर्गों को अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है। 1 से 14 अक्टूबर तक आयोजित विशेष पखवाड़ा के तहत इन रोगों की जांच व इलाज को लेकर जरूरी सेवाओं का संचालन प्रमुखता से किया जायेगा।
सिविल सर्जन ने बताया कि इसे लेकर जिले के सभी स्वास्थ्य इकाई के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को जरूरी दिशा निर्देश दिये गये हैं।वरिष्ठ नागरिकों के लिए निःशुल्क स्वास्थ्य जांच-इलाज के साथ दवाओं का वितरण भी किया जायेगा।इसे लेकर सभी अस्पतालों के प्रभारी को निर्देश दिया जा चुका है। कोई भी बुजुर्ग व्यक्ति अपने नजदीकी सरकारी अस्पतालों में जाकर इलाज करवा सकते हैं। हालांकि आम दिनों में भी सभी सरकारी अस्पतालों में न सिर्फ वृद्ध, बल्कि सभी लोगों के लिए निःशुल्क जांच व इलाज की व्यवस्था होती है। लेकिन वृद्ध दिवस को ध्यान में रखते हुए पखवाड़ा के तहत इसे लेकर विशेष इंतजाम किये गये हैं। एसीएमओ डॉ राजेश ने बताया कि एक निश्चित उम्र के बाद लोगों को नियिमित रूप से अपना स्वास्थ्य परीक्षण कराते रहना चाहिये।बुजुर्गों के लिये तो ये और भी जरूरी हो जाता है। बहुत से बुजुर्गों को खैनी, बीड़ी, सिगरेट, गुटखा सहित अन्य तंबाकू उत्पाद के सेवन की लत होती है।इसे प्राथमिकता के आधार पर त्यागना जरूरी है। इस उम्र में शरीर की रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता कम होने लगता है।इससे रोग का खतरा काफी बढ़ जाता है।
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