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SBI कोलकाता ने की डिफॉल्टर की डालडा फैक्ट्री सील, 200 करोड़ का कर्ज नहीं चुकाने पर एक्

Admin4
28 July 2022 5:26 PM GMT
SBI कोलकाता ने की डिफॉल्टर की डालडा फैक्ट्री सील, 200 करोड़ का कर्ज नहीं चुकाने पर एक्
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वैशाली: स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (State Bank of India Kolkata ) कोलकाता ने अपने सबसे बड़े कर्जदार (Loan Of Two Hundred Crores In vaishali) में से एक की फैक्ट्री पर बुलडोजर चलाकर लगभग तीस बीघे में फैले डालडा कंपनी को सील कर अपना ताला लगा दिया है. हिडालगो इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड द्वारा सराय में लगभग 25 एकड़ में बने डालडा फैक्ट्री पर भारी पुलिस बल और दंडाधिकारी की मौजूदगी में ना सिर्फ बुलडोजर चलाया गया बल्कि उसे सील भी कर दिया गया.वैशाली में दो सौ करोड़ का कर्ज लेने पर एक्शन: एसबीआई कोलकाता से आए बैंक के रिकवरी एजेंट ने बताया कि हिडालगो कंपनी के ऑनर ने तीन अलग अलग नाम से खाता पर लगभग 200 करोड़ का लोन लिया था. जिसमें सराय के इस कंपनी और जमीन के अलावा मुजफ्फरपुर, दिल्ली और कोलकाता में स्थित जमीन को मॉर्गेज (संपत्ति के ऊपर लिया जाने वाला लोन होता है) रखा था.डिफॉल्टर की फैक्ट्री सील: जब कंपनी के मालिक जय श्री बालाजी कर्ज नहीं चुका सके तो बैंक ने उनकी संपत्ति को सील कर बेचना शुरू कर दिया है. कोलकाता,दिल्ली और मुजफ्फरपुर की जमीन को सील कर बैंक द्वारा पहले ही बेचा जा चुका है. अब सिर्फ सराय का यह डालडा फैक्ट्री ही बचा था जिसे सील करने के लिए पिछले पांच साल से प्रयास किया जा रहा था. लेकिन कोर्ट के आदेश पर आज फैक्ट्री की चारदीवारी को तोड़कर बैंक ने कारखाना और उसकी जमीन को सील कर लिया है और अब इसे बेचने की प्रक्रिया की जाएगी."हिडालगो कंपनी के ऑनर ने तीन अलग अलग नाम से खाता पर लगभग 200 करोड़ का लोन लिया था जिसमें सराय के इस कंपनी और जमीन के अलावा मुजफ्फरपुर, दिल्ली और कोलकाता में स्थित जमीन को मॉर्गेज रखा था. कंपनी के मालिक जय श्री बालाजी कर्ज नहीं चुका सके तो बैंक ने उनकी संपत्ति को सील कर बेचना शुरू कर दिया है. कोर्ट के आदेश पर फैक्ट्री की चहारदीवारी को तोड़कर बैंक ने कारखाना और उसकी जमीन को सील कर लिया है."- अनूप कुमार, रिकवरी एजेंट, एसबीआई कोलकाताक्या होता है बैंक डिफॉल्टर: Defaulter का मतलब दोषी या दिवालिया होता है. लोन डिफाल्टर यानि व्यक्ति लोन लेकर वापस न कर पाए, रीपेमेंट करने में असमर्थ हो. लोन डिफ़ॉल्ट, कई उधारकर्ता मजबूरी में बन जाते हैं. कई जानबूझकर बनते हैं. वैसे बैंक डिफाल्टर को लोन चुकाने के लिए कुछ समय देता है लेकिन कई डिफॉल्टर के द्वारा उस समय सीमा को भी पार कर दिया जाता है. फिर बैंक को पूरा अधिकार है अपने पैसे की वसूली के लिए कानून का सहारा ले सकता है.

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