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बिहार | दोपहर 12 बजे. सिविल कोर्ट में 17 से अधिक स्टॉल लगे थे. यह स्टॉल राष्ट्रीय लोक अदालत का था. ये लोक अदालत वैसे लोगों के लिए लगाए गए थे, जिन्होंने सरकारी या निजी सेक्टरों से विभिन्न मद में कर्ज लिए और उसका ससमय किसी कारण से भुगतान नहीं कर पाए. इस लोक अदालत के माध्यम से बीएसएनएल और बैंकिंग सेक्टर से जुड़े वर्षाों से चल रहे मामले का मिनटों में निपटारा किया गया. इन सभी स्टॉल पर कर्जदारों व बड़े बकायदारों की भीड़ थी, जो कर्ज को माफ कराने अथवा कम कराने के लिए अपील करने आए थे.
पीएनबी के स्टॉल पर कुरथौल से आए सिंटू कुमार कर्ज माफी को लेकर गुहार लगा रहे थे. सिंटू ने बताया कि बैंक से मुद्रा लोन 2 लाख रुपए लिए. यह 2016 में लिए थे. इसमें 30 हजार किस्त जमा किए थे. 2017 में एक्सीडेंट हो गया. उसके बाद जमा करना छोड़ दिया था. बैंक ने लोक अदालत में समझौता कर 70 हजार रुपया भुगतान करने को कहा.
पाटलिपुत्रा के राजेश कुमार बैंक ऑफ इंडिया के स्टॉल पर बैंक कर्मी के आगे हाथ जोड़ते नजर आए. उन्होंने ऑटेा के लिए 2016 में ऑटो के लिए 2.20 लाख रुपये का लोन लिया था. 2020 तक किस्त जमा किए थे. लेकिन कोरोना के समय से डीजल ऑटो चलना बंद हो गया. आर्थिक स्थिति खरबा होने के कारण किश्त चुकाने में असमर्थ हो गए. बच्चों की पढ़ाई तक छूट गई. ब्याज जोड़कर बैंक द्वारा दो लाख की तमांग की गई थी, जिसे लोक अदालत में समझौता के बाद 40 हजार कर दिया गया.
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Harrison
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