बिहार

समय के साथ और अधिक प्रासंगिक हो जाते हैं राष्ट्रकवि दिनकर : पुष्कर सिंह

Shantanu Roy
20 Sep 2022 6:02 PM GMT
समय के साथ और अधिक प्रासंगिक हो जाते हैं राष्ट्रकवि दिनकर : पुष्कर सिंह
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बेगूसराय। राष्ट्रकवि दिनकर स्मृति विकास समिति के तत्वावधान में आयोजित किए जा रहे नौ दिवसीय दिनकर जयंती समारोह कार्यक्रम का सिलसिला लगातार जारी है। कार्यक्रम के पांचवें दिन मंगलवार को मध्य विद्यालय सिमरिया में दिनकर जयंती समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रकवि दिनकर के तैल चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। इसके बाद स्कूली बच्चों ने राष्ट्रकवि दिनकर जैसी ओजस्वी भाषा में दिनकर की रचना के माध्यम से आगत अतिथियों का स्वागत किया। इस अवसर पर विद्यालय के 60 बच्चों ने दिनकर की रचना का सस्वर पाठ किया। जिसमें कुरुक्षेत्र, रश्मिरथी, दिल्ली, उर्वशी, परशुराम की प्रतीक्षा आदि के पंक्तियों का सस्वर पाठ किया। बच्चों ने ''जनतंत्र का जन्म, हे जन्मभूमि शतवार धन्य, आशा का दीपक'' ही नहीं सुनाया, बल्कि यह भी जताया कि अब यहां किसी को उर्वशी की पीड़ा नहीं सताती है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रत्यक्ष गवाह के संपादक पुष्कर प्रसाद सिंह ने कहा कि दिनकर की कविता संघर्ष के लिए प्रेरित करती है। सिमरिया के हर बच्चे में दिनकर की प्रतिछाया दिखती है।उन्होंने कहा कि राजनीति करने वाले भी दिनकर की कविता का भरपूर उपयोग करते हैं। आज जब देश कॉरपोरेट के हवाले किया जा रहा है, तब दिनकर और अधिक प्रासंगिक हो जाते हैं। साहित्यकार आनंद शंकर ने कहा कि संस्कृति के चार अध्याय में वैश्विक संस्कृति की झलक मिलती है। सामाजिक न्याय की धारा को सबसे मजबूत करने वाले कवि दिनकर हैं। उन्होंने मानवता की आन हमारे दिनकर जी, बिहार की शान हमारे दिनकर जी कविता का पाठ भी किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए दिनकर पुस्तकालय के अध्यक्ष विश्वंभर सिंह ने दिनकर साहित्य के संबंध में विस्तार से चर्चा की। वहीं, पत्रकार प्रवीण प्रियदर्शी ने कहा कि दिनकर हम सबों के लिए हमेशा प्रासांगिक रहेंगे। बच्चों को दिनकर की कविताओं को आत्मसात करने की जरूरत है।
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