बिहार

बांधों पर शरण लेने की तैयारी, बिहार में कोसी-बागमती और महानंदा का जलस्‍तर बढ़ा, गांवों में घुसने लगा पानी

Admin4
20 Jun 2022 8:22 AM GMT
बांधों पर शरण लेने की तैयारी, बिहार में कोसी-बागमती और महानंदा का जलस्‍तर बढ़ा, गांवों में घुसने लगा पानी
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बांधों पर शरण लेने की तैयारी, बिहार में कोसी-बागमती और महानंदा का जलस्‍तर बढ़ा, गांवों में घुसने लगा पानी

कोसी-बागमती और महानंदा नदी के जलस्‍तर में वृद्धि‍ के चलते बिहार के कई जिलों में बाढ़ की दहशत एक बार फिर बढ़ रही है। गांवों में घुसने लगा है। लिहाजा कुछ इलाकों में लोग गांव का घर छोड़ बांधों पर शरण लेने की तैयारी कर रहे हैं।

सीमांचल में नदियों के जलस्तर में उतार चढ़ाव रविवार को भी जारी रहा। कटिहार जिले में 12 घंटे तक घटने के बाद फिर से महानंदा नदी के जल स्तर में वृद्धि होने लगी है। रविवार को महानंदा मे 5 से 7 सेंटीमीटर, गंगा नदी के जलस्तर में 19 सेंटीमीटर तथा कोसी नदी के जलस्तर में 25 सेंटीमीटर की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है। महानंदा और गंगा नदी में हो रहे कटाव से लोगों मे दहशत है। अधीक्षण अभियंता गोपाल चंद्र मिश्र ने बताया कि नदियों के बढ़ते और घटते जलस्तर के कारण जगह जगह पर कटाव हो रहा है जिसकी निगरानी की जा रही है।

सहरसा और सुपौल जिले में कोसी नदी के जलस्तर रविवार को भी दिनभर जलस्तर के बढ़ने और घटने की रफ्तार जारी रही। रविवार को सुबह 6 बजे कोसी बराज पर 1 लाख 22 हजार 655 क्यूसेक डिस्चार्ज रिकार्ड किया गया जबकि शाम 4 बजे 1 लाख 21 हजार 860 क्यूसेक डिस्चार्ज रिकार्ड किया गया। जो बढ़ने की स्थिति में है। जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता मनोज कुमार रमण ने बताया कि तटबंध पर कोई दबाब नही है।

जलस्तर के बढ़ने और घटने के दोनों स्थिति पर नजर रखी जा रही है। वहीं खगड़िया जिले में कोसी व बागमती नदी उफान पर है । बागमती नदी के जलस्तर में रविवार को 92 सेंटीमीटर तथा बागमती नदी के जलस्तर में 27 सेंटीमीटर की वृद्धि दर्ज की गई। दोनों नदियां फिलहाल खतरे के निशान से नीचे है। इधर अररिया जिले में बारिश नही होने व नेपाल से पानी नहीं छोड़े जाने के कारण जिले होकर बहने वाली कमोवेश सभी नदियों का जलस्तर सामान्य है। हालांकि रविवार को जलनिस्सरण विभाग के अधिकारियों ने नूना नदी से प्रभावित घोड़ा, बाँसबाड़ी और सिंघिया तटबंध का जायजा लिया।

बागमती के जलस्तर में तेजी से हो रही बढ़ोतरी

बागमती नदी के जलस्तर में रविवार को तेजी से वृद्धि हुई। इससे लगभग दो फीट पानी बढ़ गया है। बाढ़ की आशंका से विस्थापित परिवार भी अब तेजी से बचाव की तैयारी में जुट गए हैं। बागमती तटबंध पर झोपड़ि‍यों को दुरुस्त कर रहे हैं। उन्हें अंदाजा हो गया है कि जल्द ही तटबंध पर शरण लेनी होगी।

दोपहर बाद बारिश होने से विस्थापित परिवारों की मुसीबत बढ़ गई। स्थानीय विकास सहनी, लालबाबू सहनी, अर्जुन मंडल आदि ने बताया कि पहले से ज्यादा पानी बढ़ गया है। अहले सुबह से लेकर देर शाम तक नदी के जलस्तर में वृद्धि जारी रही। बागमती तटबंध पर दर्जनों मवेशी खुले आसमान के नीचे रखे गए हैं। पशुचारा और जलावन की किल्लत होने लगी है। मधुबन प्रताप, चैनपुर, बहुआरा, बाड़ा खुर्द, बाड़ा बुजुर्ग समेत एक दर्जन गांवों के विस्थापित परिवार बागमती तटबंध के अंदर 12 साल से अपनी जिंदगी इसी तरह काटते आ रहे हैं।

विस्थापित नेता आफताब आलम ने बताया कि बाढ़ उनकी जिंदगी का हिस्सा बन गई है। सरकार की अनदेखी की वजह से विस्थापित परिवार फजीहत झेल रहे हैं। अब पॉलीथिन शीट से लेकर राहत की मांग भी भीख के समान लगने लगा है। उन्होंने बताया कि क्षेत्र में जलस्तर बढ़ने के साथ ही कीड़े-मकोड़े का आंतक भी बढ़ गया है। सबसे बड़ा खतरा जंगली जानवरों से रहता है, जो पानी फैलने से धीरे-धीरे गांव की तरफ आने लगते हैं। जल जनित बीमारियों से भी परेशानी खड़ी हो जाती है। बाढ़ विस्थापित परिवार रोजमर्रा और घरेलू उपयोग के सामान जमा करने लगे हैं। बागमती तटबंध पर छोटी-छोटी दुकानों में भी सामान पहुंचना मुश्किल साबित हो जा रहा है। इससे तटबंध के अंदर किराना सामान की कीमत 15 से 20 फीसदी बढ़ गई है।

चचरी पर बढ़ा दबाव, नाव से आवागमन

बभनगावां पूर्वी तटबंध पर बने चचरी पुल पर दबाव बढ़ रहा है। निजी नाव के सहारे लोग आवागमन कर रहे हैं। चैनपुर व बभनगामा पश्चिमी में पानी गांव के चौर में फैलने लगा है । अंचलाधिकारी रामानंद सागर ने बताया कि 39 सरकारी नाव हैं। मुख्यालय से और नाव की मांग की जा रही है। सरकारी नाव की मरम्मत कराने पर भी विचार किया जा रहा है। आवश्यकतानुसार नाव उपलब्ध कराई जाएगी। अभी हालात नियंत्रण में हैं।

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