बक्सर: एक तरफ उत्तरी बिहार के कई जिले इन दिनों में बाढ़ ( Floods In Bihar ) की चपेट में हैं. लोग पलायन को मजबूर हैं. वहीं दक्षिण बिहार के कई जिलों में सूखे ( Drought In Bihar) के हालात बने हुए हैं. प्रदेश में एक साथ बाढ़ और सुखाड़ के कारण फसलों का नुकसान हो रहा है. उधर, बक्सर में सुखाड़ से किसान परेशान हैं. भीषण गर्मी और चिलचिलाती धूप के कारण जलस्तर काफी नीचे चला गया है. जिले में कृषि कार्य (Paddy Cultivation Affected In Buxar) प्रभावित हुआ है.
बक्सर में सुखाड़: कई ट्यूबेल और चापाकलों से पानी निकलना भी बंद हो गया है. सुखाड़ का संकट गहराने लगा है. खेतो में ही धान के बिचड़े सूखने लगे हैं. खेतों तक पानी पहुंचाने वाली नहरें खुद पानी के लिए तरस रही हैं. आलम यह है कि किसानो को एग्रीकल्चर फीडर से बिजली भी 24 घंटे में मात्र 5-6 घण्टे ही मिल रही है.
अब तक न के बराबर हुई है बारिश: कोरोना काल में पिछले 2 सालों में हुई अच्छी बारिश को देखते हुए इस साल अधिकांश किसानों ने रोहणी नक्षत्र में ही धान के बिचड़े खेतों में लगा दिया था. किसानों को इस बात की उम्मीद थी कि आदरा नक्षत्र में अच्छी बारिश होगी तो वह खेतों में रोपनी का कार्य शुरू कर देंगे लेकिन पूरे जिले में अब तक न के बराबर बारिश हुई है. नहरे सुख गई हैं. बीतते समय के साथ अब किसानों की चिंता बढ़ती जा रही है. बारिश नही होने के कारण धान की बिचड़े में तरह तरह के रोग लगने लगे हैं. टिड्डे (Locust) किसानों के बिचड़े को अपना निवाला बना रहे हैं.
1% भूमि पर भी नहीं हो पायी धान की रोपनी: पूरे जिले में 90 हजार हेक्टेयर भूमि पर इस बार धान की खेती करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. आद्रा नक्षत्र के आज समापन होने के बाद भी 1% भूमि पर भी अब तक धान की रोपनी नहीं हो पाई है. सूखे की हालात को देखते हुए किसान अब खेतों में दूसरे फसल लगाने की तैयारी में जुटे हुए हैं. जिले के किसान लाल बिहारी गोंड ने बताया कि कोरोना काल में जिस तरह से बारिश हुई उसको देखते हुए रोहिणी नक्षत्र में ही हम लोगों ने धान का बिचड़ा डाल दिया था लेकिन जिले में अब तक ना के बराबर बारिश हुई है.
लक्ष्य से काफी दूर हैं जिले के किसान: गौरतलब है कि जिले के 1 लाख 47 हजार 463 रजिस्टर्ड किसान हैं जिनके द्वारा 90 हजार हेक्टेयर भूमि में धान की रोपनी करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है लेकिन अब तक अच्छी बारिश नहीं होने के कारण 1% खेतों में भी धान की रोपनी नहीं हो पाई है. किसानों की मानें तो जब खेतों में बिचड़ा ही नहीं बचेगा तो आगे चलकर अगर अच्छी बारिश होती भी है तब भी किसानों को भारी नुकसान होगा.