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पटना। राजधानी पटना में कोरोना के साथ अब वायरल बुखार और डेंगू का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। शहर के सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों की संख्या काफी बढ़ी है। वहीं, बीमारी की वजह पता करने के लिए कई-कई जांच करानी पड़ रही हैं। आम तौर पर बुखार-जुकाम और दर्द-थकान जैसे लक्षण डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, स्वाइन फ्लू, टाइफाइड और कोरोना संक्रमण में नजर आते हैं। ऐसे में डॉक्टर भी परेशान हैं कि एक तरह के मिलते-जुलते लक्षणों के आधार पर मरीज की कौन सी जांच करायी जाये। पीएमसीएच, आइजीआइएमएस, पटना एम्स, एनएमसीएच, गार्डिनर रोड के साथ-साथ प्राइवेट अस्पतालों में संबंधित लक्षण वाले मरीजों की संख्या अधिक देखने को मिल रही है।
ओपीडी में रोजाना पहुंच रहे हजारों मरीज
डॉक्टरों का कहना है कि अगर सभी तरह की जांच कराएं, तो यह मरीजों की जेब पर भारी पड़ता है। इस तरह की समस्या सबसे अधिक प्राइवेट अस्पतालों में अधिक देखने को मिल रही है। ऐसे में डॉक्टर कोरोना, ब्लड व यूरिन कल्चर और डेंगू की एलाइजा जांच अधिक कराने पर जोर दे रहे हैं। संबंधित जांच में बीमारी पकड़ में आ जाती है तो ठीक, वरना अन्य पैथोलॉजी जांच करायी जा रही हैं। वहीं, वायरल बुखार से पीड़ित सबसे अधिक मरीज पीएमसीएच, एम्स और गार्डिनर रोड अस्पताल में पहुंच रहे है।
तीन महीने सावधानी बरतने की जरूरत
ओपीडी में इलाज के लिए आने वाले अधिकतर मरीजों में वायरल फीवर, शरीर में दर्द और थकान की शिकायत अधिक देखने को मिल रही है। इन्हें मच्छरजनित और कोरोना जांच की सलाह दी जा रही है। इस बारे में डॉक्टरों का कहना है कि वायरल और मच्छरजनित रोग सितंबर से नवंबर तक पीक पर होते हैं। ऐसे में लोगों को तीन महीने और सावधानी रखने की जरूरत है। साफसफाई, संतुलित खान-पान का ध्यान रखे।
Admin4
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