x
गोपालगंज, (आईएएनएस)। बिहार सरकार ऐसे तो शिक्षा व्यवस्था में सुधार का दावा करते रही हैं, लेकिन सरजमी पर हकीकत अलग नजर दिखाई देता है। गोपालगंज में भू-देव संस्कृत हाइस्कूल की बदहाल स्थिति के कारण शहर के लोगों की कानों में अब वेद- ऋचाओं की गूंज नहीं सुनायी देती है।
बताया जाता है कि शहर में संस्कृत से मैट्रिक (मध्यमा) तक की शिक्षा छात्रों को देने के लिए सरकार की ओर से वर्ष 1932 में गोपालगंज के हरखुआ में भू-देव संस्कृत हाइस्कूल की स्थापना की गयी थी।
जब यह स्कूल गुलजार था तब सुबह नौ बजे से ही यहां छात्रों द्वारा वेद मंत्रों के पाठ करते पूरा इलाका भक्ति भाव में डब जाता था।
लोग बताते हैं कि 90 के दशक तक इस स्कूल की प्रसिद्धि ऐसी थी कि यहां नामांकन कराने के लिए लंबी कतार लगती थी। उस समय नामांकन के लिए लोग पहुंच तक का इस्तेमाल करते थे, लेकिन स्कूल की बदहाली के बाद अब स्थितियां बदल चुकी हैं।
आज अपने अस्तित्व को बचाने के लिए ही भू-देव संस्कृत हाइस्कूल जूझ रहा है। स्कूल का भवन खंडहर बन गया है। आज यहां छात्रों की संख्या महज छह है, छात्र भी अब संस्कृत पढ़ना नहीं चाहते हैं।
इस स्कूल की बदहाली तक सांसद, विधायक सहित मंत्री और सरकार तक को बताया गया, लेकिन स्थिति नहीं सुधरी। अब लोग आशंकित हैं कि कहीं स्कूल ही बंद न हो जाए।
स्कूल की प्राचार्या निर्मला कुमारी कहती हैं कि समय पर परीक्षा नहीं होने के कारण एक ही वर्ग में छात्रों को दो वर्षों तक का समय लगने के कारण छात्र अब संस्कृत की पढ़ाई नहीं कर रहे हैं। अब संस्कृत से पढ़ने वाले छात्रों को नौकरी में जगह नहीं मिलने के कारण छात्र अब रुचि नहीं लेते हैं।
Next Story