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तालाब खुदाई के दौरान मिला शिवलिंग
नालंदा: प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय (Ancient Nalanda University) के भग्नावशेष ( Ruins Of Nalanda University) का 200 मीटर दायरा प्रतिबंधित क्षेत्र होने के बावजूद तालाब की खुदाई की जा रही थी. खुदाई के दौरान यहां से शिवलिंग सहित कई दुर्लभ मूर्ति व प्राचीन अवशेष मिले हैं. नालंदा खंडहर के समीप बड़गांव मुसहरी के डेहरा तालाब की खुदाई में मिले ये पुरातात्विक अवशेष प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय से जुड़ा प्रतीत हो रहा है. एक प्राचीन दीवार भी मिली है.
नालंदा में मिला शिवलिंग: अवशेष व मूर्तियों के निकलने की सूचना मिलते ही आसपास के ग्रामीणों की भीड़ जमा हो गई. ग्रामीण शिवलिंग को अपने साथ ले गए और मंदिर में स्थापित कर पूजा-अर्चना शुरू कर दी. ये सभी अवशेष पाल कालीन बताए जा रहे हैं. सूचना मिलने पर नालंदा संग्रहालय के सहायक अधीक्षण पुरातत्वविद शंकर शर्मा टीम के साथ मौके पर पहुंचे और खुदाई को रुकवाकर विभाग को सूचना दी. बुधवार को पटना से पुरातत्व विभाग की टीम पहुंची. पुरातत्व विभाग की टीम ने अवशेषों के साथ किए गए छेड़छाड़ पर नाराजगी जाहिर की है.
जल जीवन हरियाली के तहत हो रही थी खुदाई: लघु सिंचाई विभाग द्वारा जल जीवन हरियाली योजना के तहत जेसीबी मशीन से तालाब की खुदाई कराई जा रही थी. जबकि इस तालाब की खुदाई किए जाने पर पुरातत्व विभाग द्वारा विभाग के जेई को कई बार मना किया गया था. बावजूद इसके पुरातत्व विभाग के आदेश को दरकिनार कर खुदाई जारी रखा गया था.
रोक के बावजूद जारी थी खुदाई: खुदाई के दौरान ही पाल कालीन सीढ़ी घाट सहित कई अन्य अवशेष मिले. बताया जा रहा है कि कुछ अवशेषों को ग्रामीणों ने अपने कब्जे में ले लिया है. बुधवार को पटना से पहुंची अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. गौतमी भट्टाचार्या ने खुदाई स्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. उन्होंने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा लघु सिंचाई विभाग को तीन बार नोटिस दिया गया. इसके बाद भी कनीय अभियंता सतीश कुमार लापरवाह बने रहे और जान-बुझकर धरोहर को नुकसान पहुंचाया गया.
बफर जोन में नहीं हो सकती है खुदाई: पुरातत्वविद ने बताया कि स्मारक के सीमाओं की 100 मीटर को बफर जोन यानी प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित किया गया है. 100 मीटर से 200 मीटर तक बिना एनओसी लिए खुदाई नहीं की जा सकती. उन्होंने बताया कि ऐसी जानकारी मिली है कि बहुत सारी मूर्ति व अवशेष तालाब की खुदाई में मिले हैं, जिसमें से अधिकांश को छुपा दिया गया है. इस मौके पर सहायक अधीक्षण पुरातत्वविद जलज तिवारी भी मौजूद थे.
Rani Sahu
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