बिहार में न्यूनतम मजदूरी दर में वृद्धि की गई है। श्रम संसाधन विभाग ने हर साल होने वाली अप्रैल व अक्टूबर की नियमित वृद्धि से हटकर छह साल के बाद मूल मजदूरी दर बढ़ाई है। नई दर एक सितम्बर से लागू होगी। इसके अनुसार मजदूरों को 48 रुपए से लेकर 74 रुपए अब रोजना अधिक मिलेंगे। सरकार के इस निर्णय का लाभ तीन करोड़ से अधिक मजदूरों को मिलेगा।
महंगाई को देखते हुए बिहार न्यूनतम मजदूरी परामर्शदातृ पर्षद ने इस बार मजदूरों के मूल वेतन में 15 फीसदी वृद्धि की अनुशंसा की थी। प्रस्ताव के तहत पूर्व से प्रचलित न्यूनतम मजदूरी की मूल दर एवं महंगाई भत्ता को समाहित कर उस पर 15 फीसदी अतिरिक्त आर्थिक लाभ देते हुए कामगारों के न्यूनतम मजदूरी के नये मूल वेतन का लाभ दिया जाना था। पर्षद के इस प्रस्ताव पर आम जनमानस का सुझाव लिया गया। इसी कड़ी में मंगलवार को श्रम संसाधन विभाग के प्रधान सचिव अरविन्द कुमार चौधरी की अध्यक्षता में पर्षद की बैठक हुई। बैठक में वर्ष 2016 में निर्धारित मूल मजदूरी की दरों पर 15 प्रतिशत की वृद्धि करने का निर्णय लिया गया।
पर्षद ने मूल मजदूरी की दरों पर वृद्धि करते हुए न्यूनतम मजदूरी दरों का पुनरीक्षण करने एवं बढ़ी हुई दर को एक सितम्बर से लागू करने की अनुशंसा की। बैठक में नियोजक के प्रतिनिधि एवं श्रमिक संघों के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे। उन लोगों ने भी सर्वसम्मति से वद्धि दर को एक सितम्बर से ही लागू करने पर सहमति दी।
अधिकारियों के अनुसार, न्यूनतम मजदूरी परामर्शदातृ पर्षद की अनुशंसा के बाद सामान्य कार्य के नियोजनों में कार्य करने वाले अकुशल श्रेणी के मजदूरों की दैनिक मजदूरी 48 रुपये की बढ़ोत्तरी के साथ 366 रुपए प्रतिदिन हो जाएगी, जबकि अर्द्धकुशल, कुशल, अतिकुशल के मजदूरों की दैनिक मजदूरी क्रमशः 50 रुपए की बढ़ोत्तरी के साथ 380 रुपए प्रतिदिन, 60 रुपये बढ़ोत्तरी के साथ 463 रुपए प्रतिदिन और 74 रुपए की बढ़ोत्तरी के साथ 566 रुपए हो जाएगी।
इसी प्रकार अन्य श्रेणी के नियोजनों में भी कोटिवार मजदूरी में वृद्धि होगी। न्यूनतम मजदूरी की दरों के पुनरीक्षण के उपरांत इसी दर पर 1 अक्टूबर 2022 से अतिरिक्त परिवर्तनशील महंगाई भत्ता भी देय होगा। इसके बाद सभी 88 नियोजनों में कार्य करने वाले श्रमिकों की दैनिक मजदूरी में सम्मानजनक राशि की बढ़ोत्तरी हो जाएगी।