जनता दल (सेक्युलर) प्रमुख एवं पूर्व पीएम एच। डी। देवेगौड़ा ने मंगलवार को बोला कि उनकी पार्टी लोकसभा चुनाव अपने दम पर लड़ेगी। देवेगौड़ा ने, हालांकि जद (एस) और बीजेपी (भाजपा) के बीच हाल में दिखी नजदीकियों के बीच विकल्प खुले रखने का एक तरह से संकेत दिया। उन्होंने बोला कि पार्टी मौजूदा स्थिति के आधार पर भविष्य के अपने कदम को लेकर निर्णय करेगी।
देवेगौड़ा ने यह भी बोला कि उन्हें इस महीने की आरंभ में यहां विपक्षी दलों की बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया, क्योंकि कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी का एक वर्ग इस तरह के कदम का विरोध कर रहा था, जबकि बिहार के सीएम नीतीश कुमार चाहते थे कि वह (देवेगौड़ा) बैठक में शामिल हों।
देवेगौड़ा के पुत्र एवं कर्नाटक के पूर्व सीएम एच। डी। कुमारस्वामी ने पिछले हफ्ते बोला था कि उनकी पार्टी विभिन्न मामलों को लेकर राज्य में कांग्रेस पार्टी की गवर्नमेंट के विरुद्ध बीजेपी (भाजपा) के साथ मिलकर काम करेगी। इसी के साथ अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी और जद (एस) के हाथ मिलाने की अटकलें लगाई जाने लगी थीं।
‘अशोभनीय एवं अपमानजनक आचरण’ के लिए बीजेपी के 10 विधायकों को विधानसभा से निलंबित किए जाने के बाद जद (एस) और बीजेपी के विधायकों ने सदन के सत्र का बहिष्कार कर दिया था। देवेगौड़ा ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘जद (एस) लोकसभा चुनाव अपने दम पर लड़ेगी।’ उन्होंने कहा, ‘भले ही हम (पार्टी) पांच, छह, तीन, दो या एक ही सीट जीतें, लेकिन हम लोकसभा चुनाव अपने दम पर लड़ेंगे।’
देवेगौड़ा ने कहा, ‘हम अपने कार्यकर्ताओं से विचार-विमर्श करने के बाद लोकसभा चुनाव में सिर्फ़ उन क्षेत्रों में उम्मीदवार उतारेंगे, जहां हम मजबूत हैं।’ हालांकि, देवेगौड़ा ने बोला कि पार्टी मौजूदा स्थिति के आधार पर अपनी भविष्य की रणनीति तय करेगी। इस संदर्भ में, उन्होंने याद किया कि कैसे उनकी पार्टी ने तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस-नीत गवर्नमेंट को समर्थन दिया था।
जद (एस) और कांग्रेस पार्टी ने 2019 का लोकसभा चुनाव एकसाथ मिलकर लड़ा था। तब बीजेपी ने कर्नाटक की 28 में से 25 सीटें जीती थीं। जद (एस) और कांग्रेस पार्टी ने एक-एक सीट हासिल की थी, जबकि बीजेपी समर्थित एक निर्दलीय ने भी जीत हासिल की थी। तुमकुरु लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने वाले देवेगौड़ा भी हार गए थे।
इस प्रश्न पर कि 17 जुलाई को बेंगलुरु में विपक्षी दलों की बैठक के लिए उन्हें आमंत्रित क्यों नहीं किया गया, देवेगौड़ा ने बोला कि कर्नाटक के कांग्रेस पार्टी नेताओं के एक वर्ग ने उनकी उपस्थिति का विरोध किया था। उन्होंने कहा, ‘यहां (कर्नाटक में) कांग्रेस पार्टी के एक वर्ग ने धमकी दी थी कि यदि देवेगौड़ा को आमंत्रित किया गया तो वे कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे। इसलिए, मुझे नहीं बुलाया गया।’
देवेगौड़ा ने बोला कि नीतीश कुमार उन्हें आमंत्रित करना चाहते थे, लेकिन कांग्रेस पार्टी के कुछ क्षेत्रीय नेता इसके पक्ष में नहीं थे। मई में 224-सदस्यीय कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में जद (एस) ने खराब प्रदर्शन किया था और उसे सिर्फ़ 19 सीट हासिल हुई थीं। देवेगौड़ा ने कहा, ‘पार्टी 1983 से आज तक अस्तित्व में है और आगे भी रहेगी। जो लोग सोचते हैं कि पार्टी समाप्त हो जाएगी, वे भ्रम में जी रहे हैं। यह संभव नहीं है।’
देवेगौड़ा के अनुसार, 19 विधायकों, सात विधानपरिषद सदस्य और शीर्ष नेताओं ने पिछले हफ्ते एक बैठक की थी और जिलों में प्रचार के लिए कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की थी, जिसे कुमारस्वामी के विदेश से लौटने के बाद आखिरी रूप दिया जाएगा।